भारत ने कहा, अमेरिका के साथ व्यापार संबंधी सभी रिश्ते जल्द सुलझाएंगे
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि दोनों पक्षों के अधिकारी दोनों पक्षों के अधिकारी व्यापार से संबंधित सभी बकाया मुद्दों को हल करने के लिए मिलेंगे।
नर्इ दिल्ली, एएनआइ। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा कि जैसा कि हमने बताया लंच के बाद एक मीटिंग (अमेरिका के साथ) थी। ओसाका में यह फैसला लिया गया जब पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप ने मुलाकात की कि दोनों पक्षों के अधिकारी व्यापार से संबंधित सभी बचे मुद्दों को हल करने के लिए मिलेंगे।
अलकायदा चीफ जवाहिरी के धमकी भरे विडियो पर रवीश कुमार ने कुमार ने कहा कि ऐसी धमकियां जो हैं न, हम आए दिन सुनते रहते हैं। मुझे नहीं लगता कि इनको गंभीरता से लेना चाहिए। हमारे सुरक्षाबल पूरी तरह से सुसज्जित हैं और हमारी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को बनाए रखने में सक्षम हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा था कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर भारी-भरकम शुल्क लगाकर खूब फायदा ले चुका है, लेकिन अब इसे अमेरिका बर्दाश्त नहीं करेगा।
ट्रंप की यह टिप्पणी ओसाका में बीते 28 जून को जी20 शिखर सम्मेलन से इतर ट्रंप की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के कुछ ही दिनों के बाद आई है, मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार के विवादों से जुड़ी चिंता जाहिर की थी और मुद्दों के समाधान के लिए उनके व्यापार मंत्रियों की बैठक के लिए सहमति जताई थी।
अमेरिक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपनी 'अमेरिका फर्स्ट' पॉलिसी को जोर-शोर से आगे बढ़ा रहे हैं। 'भारी-भरकम आयात शुल्क' लगाने को लेकर भारत की आलोचना कर चुके हैं। ट्रंप भारत को 'टैरिफ किंग' बता चुके हैं।
वहीं आतंकी संगठन अलकायदा के प्रमुख जवाहिरी ने बुधवार को एक विडियो जारी कर 'कश्मीर में मुजाहिदीनों' से भारतीय सेना और सरकार पर हमले जारी रखने को कहा था। जवाहिरी ने 'कश्मीर में मुजाहिदीनों' से कहा था कि वे भारतीय सेना और सरकार पर निरंतर हमले करते रहें। यह संदेश अलकायदा के मीडिया विंग अल शबाब ने जारी किया था। जवाहिरी ने यह भी बताया कि किस तरह से पाकिस्तान कश्मीर में सीमापार आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है।
अलकायदा की ओर से जारी संदेश का शीर्षक में कहा गया कि 'कश्मीर को न भूलें।' अपने संदेश में जवाहिरी ने कहा कि '(मैं) समझता हूं कि कश्मीर में मुजाहिदीन को वर्तमान स्तर पर केवल भारतीय सेना और सरकार पर हमले पर फोकस करना चाहिए। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था कमजोर होगी और उसे कामगारों और सामानों की कमी होगी।'