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ईरान पर प्रतिबंध को लेकर भारत अमेरिकी दबाव में झुकने को तैयार नहीं

टू प्लस टू वार्ता में भी भारत यह बताएगा कि ईरान के साथ उसके कारोबारी रिश्ते खुद अमेरिका के व्यापक हित में है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 28 Aug 2018 08:37 PM (IST)Updated: Wed, 29 Aug 2018 12:14 AM (IST)
ईरान पर प्रतिबंध को लेकर भारत अमेरिकी दबाव में झुकने को तैयार नहीं
ईरान पर प्रतिबंध को लेकर भारत अमेरिकी दबाव में झुकने को तैयार नहीं

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ईरान पर प्रतिबंध को लेकर भारत फिलहाल अमेरिकी दबाव में पूरी तरह से झुकने को तैयार नहीं दिखता। यही वजह है कि एक तरफ जहां पेट्रोलियम कंपनियां कुछ अवरोधों के बावजूद ईरान से कच्चे तेल का आयात करना जारी रखे हुए हैं वही दूसरी तरफ अगले पखवाड़े भारत की ईरान व अफगानिस्तान के साथ एक अहम बैठक भी होनी है जिसमें इन दोनों देशों में चलाई जा रही परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की जाएगी। ईरान व अफगानिस्तान के साथ भारतीय अधिकारियों की यह बैठक भारत व अमेरिका के बीच टू प्लस टू वार्ता के ठीक बाद होनी है।

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माना जा रहा है कि दोनो देशों की विदेश व रक्षा मंत्रियों की अगुवाई में होने वाली इस बैठक में भी अमेरिका ईरान का मुद्दा उठाएगा। विदेश मंत्रालय से जुड़े सूत्रों का कहना है कि ईरान को लेकर भारत की नीति में अभी तक कोई बदलाव नहीं आया है। अप्रैल से जुलाई तक भारत ने ईरान से जम कर कच्चे तेल की खरीद की है। अगस्त के आंकड़े अभी आने शेष हैं लेकिन संकेत हैं कि देश की तेल रिफाइनरी कंपनियां अभी भी ईरानी तेल खरीद रही हैं।

भारत एक तरफ जहां अमेरिका से भी बात कर रहा है कि ईरान के साथ उसके कारोबारी रिश्ते को प्रतिबंध के दायरे से बाहर रखा जाए तो दूसरी तरफ ईरान से भी बात की जा रही है कि अमेरिकी प्रतिबंध के बावजूद किस तरह से ज्यादा लंबे समय तक तेल आयात को जारी रखा जाए।

वर्ष 2010 में भी तब अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया था तब भी भारत व ईरान ने तेल कारोबार को जारी रखने का तरीका निकाल लिया था। हालांकि बाद में भारत ने ईरान से कम तेल खरीदने लगा था लेकिन यह पूरी तरह से बंद नहीं हुआ था।

टू प्लस टू वार्ता में भी भारत यह बताएगा कि ईरान के साथ उसके कारोबारी रिश्ते खुद अमेरिका के व्यापक हित में है। भारत ईरान के जरिए अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया को मजबूत करने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए भारत की मदद से चाबहार पोर्ट से ईरान-अफगानिस्तान बोर्डर (जारंज) तक रेल लाइन बिछाई जा रही है। अमेरिकी दल के सामने भारत यह पक्ष रखेगा कि जब अफगानिस्तान में तालिबान नए सिरे से मजबूत हो रहा है तब वहां की विकास परियोजनाओं को और तेज करने की जरुरत है।

सितंबर, 2016 में भारत ने अफगानिस्तान में 116 परियोजनाओं को शुरु करने का वादा किया था। इनमें से अधिकांश परियोजनाओं को पूरा करने के लिए ईरान की मदद जरुरी होगी। इसके अलावा भारत का एक तर्क यह भी रहेगा कि अगर उसने ईरान के साथ कारोबारी रिश्ते पूरी तरह से खत्म किये तो इसका असर चाबहार पोर्ट पर भी पड़ेगा। भारत यह कोशिश कर रहा है कि अमेरिका चाबहार के उस हिस्से के निर्माण को प्रतिबंध से बाहर रखे जिसका इस्तेमाल अफगानिस्तान के साथ कारोबार के लिए किया जाना है। चाबहार पोर्ट हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे को देखते हुए रणनीतिक दृष्टिकोण से भारत व अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण है।


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