भारत पाकिस्तान के साथ अच्छे पड़ोसी जैसे संबंध बनाने को लेकर वचनबद्ध
पाकिस्तान में पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी पीटीआई की सरकार बनने के साथ ही भारत के साथ द्विपक्षीय बातचीत को लेकर सुगबुगाहट शुरु हो गई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पाकिस्तान में पूर्व क्रिकेटर इमरान खान की पार्टी पीटीआई की सरकार बनने के साथ ही भारत के साथ द्विपक्षीय बातचीत को लेकर सुगबुगाहट शुरु हो गई है। इस सुगबुगाहट के पीछे पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ से उनके पाकिस्तानी समकक्ष इमरान खान को रविवार को भेजा गया पत्र है। इस पत्र में मोदी ने पाकिस्तान के साथ अच्छे पड़ोसी जैसे संबंध बनाने को लेकर न सिर्फ भारत की वचनबद्धता दिखाई है बल्कि यह भी कहा है कि इस क्षेत्र की जनता की भलाई के लिए दोनों देशो के बीच सार्थक व रचनात्मक सहयोग होना चाहिए। इसे सीधे तौर पर भारत की तरफ से वार्ता की पेशकश तो नहीं माना जा सकता लेकिन निश्चित तौर पर इसे भारत के रवैये में नरमी के तौर पर देखा जा सकता है।
पाकिस्तान की नई सरकार ने भी इसे इसी तर्ज पर लिया है। तभी नये विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने पहले तो दावा किया कि भारतीय पीएम मोदी ने बातचीत की पेशकश की है, लेकिन बाद में पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति जारी की और यह सफाई दी कि, 'कुरैशी यह कहना चाहते थे कि पीएम मोदी ने रचनात्मक शुरुआत की बात कही है।'
पाकिस्तान के विदेश मंत्री का पद संभालने के बाद कुरैशी ने मीडिया के साथ अपने पहले संवाद में कहा कि, भारत व पाकिस्तान के बीच सारी समस्याओं का एकमात्र समाधान सतत बातचीत ही है। हो सकता है कि इन समस्याओं का शीघ्र समाधान न निकले, लेकिन दोनो देश अविवेकी कदम नहीं उठा सकते।
सनद रहे कि पिछले आम चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरे पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी के मुखिया इमरान खान ने एक हफ्ते पहले कहा था कि, अगर भारत शांति के लिए एक कदम चलता है तो वह दो कदम चलने को तैयार हैं।
पीएम मोदी ने भी इमरान खान को 30 जुलाई को फोन कर बधाई दी भी थी और उसके बाद उन्हें पत्र भेजा है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी ने अपने पत्र में इमरान खान के साथ हुई टेलीफोन वार्ता का भी जिक्र किया है कि किस तरह से दोनो भारतीय उपमहाद्वीप में शांति, सुरक्षा व संपन्नता के विचार को साझा करते हैं।
उन्होंने पूरे क्षेत्र को आतंकवाद और हिंसा से मुक्त करने और विकास पर ध्यान देने का भी जिक्र किया है। इसके साथ ही पीएम ने पाकिस्तान के साथ अच्छे पड़ोसी जैसे संबंध बनाने के प्रति भारत की वचनबद्धता जताते हुए कहा है कि दोनो देशो के बीच सार्थक व सकारात्मक सहयोग की जरुरत है ताकि इस क्षेत्र के आवाम को फायदा हो सके।
कूटनीतिक सर्किल में पाकिस्तान के पीएम इमरान खान के पहले राष्ट्र के नाम संबोधन की भी चर्चा है जिसमें उन्होंने कश्मीर का जिक्र नहीं किया है। विदेश मंत्री कुरैशी ने कश्मीर का नाम जरुर लिया है, लेकिन इसके लिए उन्होंने पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की पाकिस्तान यात्रा को आधार बनाया है कि किस तरह से वाजपेयी ने माना था कि कश्मीर एक समस्या है।