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भारत-मध्य एशिया डायलाग में मध्य एशियाई देशों ने बुलंद की आवाज, कहा- आतंकियों को शरण देने में नहीं हो अफगान धरती का इस्तेमाल

भारत और पांच मध्य एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव-2593 (2021) की महत्ता को दोहराया है। प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकियों को शरण देने के लिए नहीं होना चाहिए।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Sun, 19 Dec 2021 08:29 PM (IST)Updated: Sun, 19 Dec 2021 08:33 PM (IST)
भारत-मध्य एशिया डायलाग में मध्य एशियाई देशों ने बुलंद की आवाज, कहा- आतंकियों को शरण देने में नहीं हो अफगान धरती का इस्तेमाल
भारत और पांच मध्य एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों ने यूएनएससी के प्रस्ताव-2593 (2021) की महत्ता को दोहराया है।

नई दिल्ली, एएनआइ। भारत और पांच मध्य एशियाई देशों के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव-2593 (2021) की महत्ता को दोहराया है। प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकियों को शरण देने, उन्हें प्रशिक्षित करने, आतंकी योजना बनाने या आतंकी वित्त पोषण के लिए नहीं होना चाहिए। साथ ही इसमें सभी आतंकी समूहों के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान किया गया है। प्रस्ताव-2593 को यूएनएससी ने भारत की अध्यक्षता में 30 अगस्त, 2021 को पारित किया था। इस दौरान चीन और रूस मतदान से गैरहाजिर रहे थे।

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आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा

भारत-मध्य एशिया डायलाग की तीसरी बैठक के बाद रविवार को जारी संयुक्त बयान के मुताबिक, विदेश मंत्रियों ने आतंकवाद की सभी रूपों और प्रारूपों में निंदा की और अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर संयुक्त राष्ट्र की व्यापक संधि को जल्द से जल्द अपनाने का आह्वान किया।

आतंकरोधी सहयोग को मजबूत करने पर सहमति

साथ ही संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में वैश्विक आतंकरोधी सहयोग को मजबूत करने और प्रासंगिक यूएनएससी प्रस्तावों, वैश्विक आतंकरोधी रणनीति व एफएटीएफ मानकों को पूरी तरह लागू करने पर बल दिया। बैठक में अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति व क्षेत्र पर उसके प्रभाव को लेकर विस्तार से बातचीत हुई और आगे भी इस तरह की बातचीत जारी रखने पर सहमति व्यक्त की।

स्थिर अफगानिस्तान का समर्थन

विदेश मंत्रियों ने शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान का मजबूती से समर्थन किया, साथ ही उसकी संप्रभुता, एकता व क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने और उसके आंतरिक मामलों में दखल नहीं दिए जाने पर जोर दिया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में तुर्कमेनिस्तान, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिजस्तान और उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया।

आतंकवाद को बढ़ावा देने की निंदा

सभी देशों ने अफगानिस्तान के लोगों को तत्काल मानवीय सहायता उपलब्ध कराने की पैरवी करते हुए कहा कि आतंकी समूहों को शरण उपलब्ध कराना, सीमा पार आतंकवाद के लिए छद्म आतंकियों का इस्तेमाल, आतंकी वित्त पोषण और कट्टरपंथी विचारधारा का प्रसार मानवता के सिद्धांतों और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के खिलाफ है।

क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने पर जोर

क्षेत्रीय संपर्क योजनाओं का जिक्र करते हुए प्रतिभागी देशों ने कहा कि ऐसी परियोजनाएं पारदर्शिता, विस्तृत भागेदारी, स्थानीय प्राथमिकताओं, वित्तीय स्थायित्व और सभी देशों की संप्रभुता व क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान पर आधारित होनी चाहिए। उन्होंने चाबहार बंदरगाह को इंटरनेशनल नार्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कारिडोर (आइएनएसटीसी) के ढांचे में शामिल करने के प्रस्ताव का समर्थन किया और मध्य व दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय संपर्क के विकास व मजबूती से जुड़े मुद्दों पर सहयोग में दिलचस्पी दिखाई।

भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन

मध्य एशियाई देशों के पांचों विदेश मंत्रियों ने सुधार के बाद विस्तारित यूएनएससी में अपने-अपने देशों की ओर से भारत की सदस्यता का समर्थन किया। साथ ही सुरक्षा परिषद में भारत के वर्तमान अस्थायी कार्यकाल और उसकी प्राथमिकताओं का स्वागत किया।

कोरोना पर सहयोग पर जताया संतोष

विदेश मंत्रियों ने कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में मध्य एशिया और भारत के बीच जारी सहयोग पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने महामारी के शुरुआती दौर में वैक्सीन और आवश्यक दवाइयों की आपूर्ति में भारत की मदद की सराहना भी की।

जयशंकर ने रखा चार 'सी' का दृष्टिकोण

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि भारत मध्य एशिया के साथ अपने संबंधों को अगले स्तर पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए उन्होंने सहयोग के चार 'सी' का दृष्टिकोण सामने रखा। ये हैं कामर्स (वाणिज्य), कैपासिटी इंहेंसमेंट (क्षमता बढ़ाना), कनेक्टिविटी (संपर्क) और कांटेक्ट्स (संपर्क)। 


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