Move to Jagran APP

भारत-बांग्लादेश ने रोहिंग्या मामले में म्यांमार पर दबाव के लिए चीन को किया राजी

म्यांमार की सेना के आतंक व जुल्म के बाद रखाईन प्रांत से भागकर बांग्लादेश में आए 12 लाख रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी आसान नहीं है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 08 Oct 2018 09:09 PM (IST)Updated: Tue, 09 Oct 2018 07:21 AM (IST)
भारत-बांग्लादेश ने रोहिंग्या मामले में म्यांमार पर दबाव के लिए चीन को किया राजी
भारत-बांग्लादेश ने रोहिंग्या मामले में म्यांमार पर दबाव के लिए चीन को किया राजी

संजय मिश्र, ढाका। भारत और बांग्लादेश की संयुक्त कूटनीतिक पहल के बाद रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस लेने के लिए चीन म्यांमार सरकार पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करेगा। इसकी शुरूआत करने के लिए भारत की तरह चीन भी म्यांमार के रखाईन प्रांत में शरणार्थियों के लिए 1000 मकानों का निर्माण करेगा। बांग्लादेश का साफ कहना है कि भले ही उसने रोहिंग्या शरणार्थियों को तत्काल शरण दिया है मगर म्यांमार को उन्हें वापस लेना ही होगा क्योंकि वे उसके नागरिक हैं। म्यांमार पर दबाव बढ़ाने के लिए बांग्लादेश ने भी अपनी तरफ से 6000 रोहिंग्या शरणार्थियों के पहले बैच को वापस भेजने की तैयारी कर ली है।

loksabha election banner

6000 रोहिंग्या शरणार्थियों का पहला बैच जल्द वापस भेजा जाएगा म्यांमार: बांग्लादेश

सात रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस भेजने के भारत के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की बांग्लादेश के मीडिया में भी चर्चाएं गरम है। हालांकि भारत के इस फैसले को उसका आंतरिक मसला बता बांग्लादेश ने इस पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। ढाका आए विदेशी पत्रकारों से रूबरू होते हुए बांग्लादेश के विदेश मंत्री अबू हसन महमूद अली ने कहा कि रोहिंग्या समस्या समाधान के लिए भारत उसका पूरा सहयोग कर रहा है।

उन्होंने कहा कि यह भारत-बांग्लादेश की साझा पहल ही रही कि न्यूयार्क में हाल में इस मसले पर भारत, बांग्लादेश चीन और म्यांमार के बीच रोहिंग्या शरणार्थी समस्या पर उच्चस्तरीय बैठक हुई। भारत-बांग्लादेश ने चीन से कहा कि म्यांमार सरकार पर उसका अच्छा प्रभाव है, जिसके सहारे वह शरणार्थियों की वापसी में अहम भूमिका निभा सकता है।

अबू हसन ने कहा कि इसी बैठक का नतीजा रहा कि चीन ने म्यांमार के रखाईन प्रांत से पलायन करने वाले रोहिंग्या गांवों में पहले चरण में 1000 मकान बनाने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि भारत ने रखाइन प्रांत में 250 मकानों का निर्माण लगभग पूरा कर दिया है तथा रोहिंग्या की वापसी के लिए और भी मकान बनाएगा।

रोहिंग्या मामले में भारत की सख्त नीति पर बांग्लादेश का रुख पूछे जाने उन्होंने साफ कहा कि भारत-बांग्लादेश रिश्ते सबसे बेहतरीन दौर में हैं और दोनों देश मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने का प्रयास कर रहे हैं। अबू हसन अली ने कहा कि यह बात म्यांमार को समझ लेनी चाहिए कि रोहिंग्या बंगाली नहीं बल्कि उसके नागरिक हैं और इनके वतन लौटने के लिए रखाइन प्रांत में हालात समान्य करने की जिम्मेदारी उसकी है।

बांग्लादेश लंबे समय तक शरणार्थियों को नहीं रख सकता क्योंकि उसकी अपनी स्थानीय जनता के जीवन पर इसका प्रतिकूल असर होगा। म्यांमार की शिखर नेता आन सान सू के रोहिंग्या मसले पर रुख को लेकर अपनी नाखुशी का इजहार करते हुए बांग्लादेशी विदेशमंत्री ने कहा कि उनके जैसे नेता में आए अचानक बदलाव से हैरत में है।

हसन ने यह भी माना कि म्यांमार की सेना के आतंक व जुल्म के बाद रखाईन प्रांत से भागकर बांग्लादेश में आए 12 लाख रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी आसान नहीं है।

बांग्लादेश के विदेश मंत्री के अनुसार रोहिंग्या लोगों के साथ म्यांमार में बीते कई सदियों से यह सलूक हो रहा है। 250 साल पूर्व रखाइन प्रांत के बौद्धों को वहां से भगा दिया गया। इसी तरह 1978 में कई हजार तो 1991-92 में भी म्यांमार सैनिकों के जुल्म के शिकार 2 लाख लोग भागकर बांग्लादेश पहुंच गये जिन्हें कई सालों की मशक्कत के बाद वापस भेजा गया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.