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अमेरिकी मिसाइल प्रणाली 'थाड' का जवाब है रूस की 'एस-400' ट्रिंफ प्रणाली, जानें खासियत

एस-400 ट्रिंफ प्रणाली को अमेरिकी मिसाइल प्रणाली थाड का जवाब माना जा रहा है। रूस ने चीन को इसकी आपूर्ति शुरू कर दी है और इसको लेकर भारत से वार्ता पूरी हो गई है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 28 May 2018 01:50 PM (IST)Updated: Tue, 29 May 2018 08:33 AM (IST)
अमेरिकी मिसाइल प्रणाली 'थाड' का जवाब है रूस की 'एस-400' ट्रिंफ प्रणाली, जानें खासियत
अमेरिकी मिसाइल प्रणाली 'थाड' का जवाब है रूस की 'एस-400' ट्रिंफ प्रणाली, जानें खासियत

नई दिल्‍ली [स्‍पेशल डेस्‍क]। भारत और रूस अमेरिकी दबाव और प्रतिबंधों के बावजूद अपने रिश्‍तों को और अधिक मजबूत करने में लगे हुए हैं। इस बीच दोनों देशों के बीच एस-400 ट्रिंफ मिसाइल सिस्‍टम को लेकर भी बातचीत पूरी हो चुकी है। दोनों देशों के बीच यह सौदा करीब 40 हजार करोड़ रुपये का है। आपको यहां ये भी बता दें कि रूस एस-400 ट्रायंफ मिसाइल सिस्टम खरीदने वाला भारत दूसरा देश है। इससे पहले चीन इस प्रणाली को तैनात कर चुका है। खास बात ये है कि इसको अमेरिकी मिसाइल प्रणाली थाड का जवाब माना जा रहा है। हालांकि भारत-रूस के इस सौदे के बीच में अमेरिकी कानून आड़े आ रहा है जिससे बचने के लिए दोनों देश रास्ते खोज रहे हैं।

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एस-300 का उन्नत संस्करण है एस-400

आपको बता दें कि एस-400 ट्रिंफ प्रणाली एस-300 का उन्नत संस्करण है। यह मिसाइल प्रणाली रूस में साल 2007 से सेवा में है। भारत खासकर चीन से लगती करीब 4000 किलोमीटर लंबी सीमा पर अपनी वायु रक्षा प्रणाली को मजबूत करने के लिए लंबी दूरी की मिसाइल प्रणालियां खरीदना चाहता है। इस डिफेंस सिस्टम की मदद से तिब्बत में होने वाली चीनी सेना की गतिविधियों पर भी नजर रखने में आसानी हो जाएगी। दिलचस्प बात यह है कि चीन भी रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीद रहा है। रूस पर अमेरिका द्वारा प्रतिबंध लगाने के बाद चीन पहला देश था जिसने मॉस्को से रक्षा करार किया था। रूस ने चीन को इसकी आपूर्ति शुरू भी कर दी है। चीन हालांकि कितनी मिसाइलें खरीद रहा है, इसके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है।

तुर्की भी खरीद रहा है ये प्रणाली

गौरतलब है कि नाटो में इस मिसाइल प्रणाली का नाम SA-21 Growler है। रूस ने इसे सीरिया में भी तैनात किया हुआ है। इस मिसाइल प्रणाली पर सिर्फ भारत और चीन की ही निगाह नहीं है बल्कि दूसरे देश भी इसको खरीदने के इच्‍छुक हैं। तुर्की ने भी इसको लेकर रूस से समझौता किया हुआ है। दोनों देशों के बीच यह समझौता वर्ष 2016 में हुआ था। दोनों देशों के बीच चार सिस्टम की बिक्री के लिए कुल 2.5 अरब डॉलर (करीब 16 हजार करोड़ रुपये) का सौदा हुआ है। इसके बाद इसकी डिलीवरी को लेकर हाल ही में दोनों देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों के बीच वार्ता भी हो चुकी है। हालांकि नाटो इस प्रणाली को अपने यहां पर तैनात करने के खिलाफ है। इसके बावजूद तुर्की ने इसको अपने यहां तैनात करने को लेकर अंतिम निर्णय ले लिया है। एस-400 को अमेरिका की थाड एंटी मिसाइल सिस्टम की टक्कर का हथियार माना जाता है। इसके अलावा सऊदी अरब, कतर, बेलारूस, मिस्र भी इसको खरीदने की इच्छा जता चुके हैं।

संभलकर कदम बढ़ा रहा भारत

दरअसल भारत और रूस के बीच इस सौदे को लेकर चल रही बातचीत में सबसे बड़ी अड़चन अमेरिकी प्रतिबंध ही हैं, जिसके अनुसार रूस के रक्षा अथवा खुफिया प्रतिष्ठानों से लेन-देन करने पर दंड देने की बात कही गई है। गौरतलब है कि अमेरिका ने ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन्स एक्ट’ के तहत रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं। इसलिए दोनों पक्ष इस सौदे को अमेरिका के प्रतिबंधों से बचाने के रास्ते तलाश कर रहे हैं। भारत यहां पर इसलिए भी सावधानी से कदम आगे बढ़ा रहा है क्‍योंकि वह अमेरिका के साथ अपने रिश्‍तों को बिगाड़ना नहीं चाहता है, भले ही कुछ मुद्दों पर भारत की अमेरिका से नाराजगी हो। फिलहाल इस सौदे को लेकर सबसे बड़ी अड़चन यानी वित्‍तीय पक्ष को अंतिम रुप दे दिया गया है। इसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अक्टूबर में होने वाले वार्षिक शिखर सम्मेलन से पहले की जा सकती है।

सोची में हुई इसकी बातचीत

माना जा रहा है कि इस सौदे का मुद्दा प्रधानमंत्री ने पिछले सप्ताह सोची में पुतिन से हुई मुलाकात के दौरान उठाया था। भारत ने 2016 में रूस से यह मिसाइल खरीदने पर सहमति जताई थी। यह मिसाइल सिस्टम दुश्मन के विमान, मिसाइल और यहां तक कि ड्रोन विमान को भी 400 किलोमीटर के दायरे में नष्ट कर सकती है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में भारतीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि फौज को हथियार और तकनीक के मामले में किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। सरकार उनकी हर जरूरत को पूरा करेगी।

S-400 Triumf मिसाइल की खासियत

- यह एक ऐसी एयर डिफेंस मिसाइल प्रणाली है जो बाहरी मिसाइल हमलों से देश की रक्षा करती है।

- यह देश पर संभावित मिसाइल हमले की तुरंत जानकारी देता है और जरूरत पड़ने पर यह एंटी मिसाइल दागकर दुश्मन की मिसाइल को मार गिराता है।

- इस प्रणाली में लगे रडार एक साथ 100 से लेकर 300 टार्गेट को ट्रैक कर सकते हैं।

- एस-400 ट्रायंफ की मदद से भारत 600 किमी तक की रेंज में ट्रैकिंग कर सकता है।

- यह मिसाइल सिस्टम एक समय में 400 किमी की रेंज में 36 टार्गेट को निशाना बना सकता है।

- S-400 Triumf रूस की नई एयर मिसाइल डिफेंस प्रणाली का हिस्सा है, जिसे रूसी सेना ने 2007 में अपने बेड़े में तैनात किया था।

- इस डिफेंस सिस्टम से विमानों, क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ-साथ जमीनी ठिकानों को भी निशाना बनाया जा सकता है।

- ये मिसाइलें 400 किलोमीटर तक की दूरी तक मार कर सकती हैं।

- इस सिस्टम से एक साथ तीन मिसाइलें दागी जा सकती हैं

- इससे मिसाइल से लेकर ड्रोन तक से किये जाने वाले हमले को नाकाम कर सकता है।


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