भारत और मालदीव में होगा नया आर्थिक समझौता, सालिह-मोदी की मुलाकात से रिश्तों में आयी मजबूती
मालदीव के नए विदेश मंत्री अबदुल्लाह शाहिद अगले सोमवार भारत आ रहे हैं जहां दोनो देशों के बीच एक नये आर्थिक समझौते को लेकर बात होगी।
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। रविवार को मालदीव की राजधानी माले में नए राष्ट्रपति पद मोहम्मद सालिह और पीएम नरेंद्र मोदी के बीच हुई मुलाकात ने यह तय कर दिया कि पिछले दो वर्षो में द्विपक्षीय रिश्तों को जो क्षति पहुंची है उसकी भरपाई करने में कोई कसर नहीं छोड़ा जाएगा। खास तौर पर पूर्व राष्ट्रपति अबदुल्लाह यामीन ने जिस तरह से चीन के साथ कारोबारी रिश्तों को परवान चढ़ाने के लिए भारतीय हितों की अनदेखी की है उसको दुरुस्त किया जाएगा। भारत भी हिंद महासागर में स्थित इस छोटे से देश की अहमियत को समझते हुए इसे कई तरह के आर्थिक सहयोग देने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है। इसकी घोषणा राष्ट्रपति सालिह की आगामी भारत यात्रा के दौरान की जा सकती है।
अगले सोमवार को नए विदेश मंत्री आएंगे भारत, विस्तार से होगी चर्चा
मालदीव के नए विदेश मंत्री अबदुल्लाह शाहिद अगले सोमवार भारत आ रहे हैं जहां दोनो देशों के बीच एक नये आर्थिक समझौते को लेकर बात होगी। कोशिश यह है कि अगले राष्ट्रपति सालिह जब भी भारत के दौरे पर आये तब दोनो देशों के बीच एक नये आर्थिक सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर हो।
भारत करेगा मालदीव को आर्थिक मदद का ऐलान
सूत्रों के मुताबिक सालिह ने मोदी को बताया है कि उनका देश भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है और इससे बाहर निकलने के लिए उसे मदद की दरकार हो सकती है। खास तौर पर जिस तरह से मालदीव की अर्थव्यवस्था के एक ऋण जाल में फंसने के आसार दिख रहे हैं उसे देखते हुए सरकार को ढांचागत सुविधाओं के विकास के लिए बाहरी कर्ज की जरुरत होगी।
राष्ट्रपति सालिह की भारत यात्रा के दौरान ऐलान संभव
सालिह चीन से कर्ज ले कर बनाये गये ढांचागत परियोजनाओं की सार्वजनिक तौर पर आलोचना कर चुके हैं। जबकि मोदी के साथ मुलाकात में उन्होंने भारत से कई तरह के आर्थिक सहयोग की इच्छा जताई। पीएम मोदी ने उन्हें इन सभी में हरसंभव मदद देने का आश्वासन दिया।
सालिह ने चीन के साथ एफटीए से जुड़ी कठिनाइयों के बारे में मोदी को बताया
सनद रहे कि वर्ष 2017 में पूर्व राष्ट्रपति यामीन ने कहा था कि मालदीव पहला एफटीए भारत के साथ करेगा लेकिन इसके कुछ ही महीनों बाद उन्होंने चीन के साथ के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर कर लिया। सूत्रों के मुताबिक इसमें एक ऐसा प्रावधान है जिसको लेकर भारत को काफी चिंता है।
यह है चीन से मालदीव होने वाले कई उत्पादों पर शुल्क का नहीं लगना। इससे मालदीव में चीन जब चाहे तेजी से पैर पसार सकता है यानी बिना किसी दिक्कत के वहां छोटी बड़ी परियोजनाएं लगा सकता है। इससे वहां की अर्थव्यवस्था पर पूरी तरह से चीन के काबिज होने का भी खतरा है। पहले से ही मालदीव के कुल विदेशी कर्ज का 70 फीसद चीन का है।
दूसरी तरफ भारत के लिए वहां परियोजना लगाना काफी महंगा है। चीन के साथ एफटीए होने से पहले तक मालदीव आर्थिक मदद के लिए दशकों से भारत की तरफ देखता रहा है। पूर्व यासीन सरकार ने वहां भारतीय कंपनियों को हतोत्साहित करने की कोई कसर नहीं छोड़ी थी। भारत व मालदीव के बीच नये आर्थिक सहयोग समझौते को इसके संभावित समाधान के तौर पर देखा जा रहा है।