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दक्षिण एशिया के दूसरे देशों में साझा पहल करेंगे भारत और अमेरिका, तिलमिलाया चीन, जानें क्‍या है रणनीति

अमेरिका और भारत मिलकर समूचे दक्षिण एशिया में साझा पहल करेंगे। अमेरिका भारत की इस सक्रियता से चीन की नींद उड़ी हुई है। यही वजह है कि चीन ने बेहद आक्रामक प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है। जानें भारत और अमेरिका की क्‍या है रणनीति...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 07:41 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 07:41 PM (IST)
दक्षिण एशिया के दूसरे देशों में साझा पहल करेंगे भारत और अमेरिका, तिलमिलाया चीन, जानें क्‍या है रणनीति
अमेरिका और भारत मिलकर समूचे दक्षिण एशिया में साझा पहल करेंगे।

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। हर परिस्थिति में भारत के साथ खड़ा होने का अमेरिकी ऐलान से चीन की नींद उड़ी हुई है। सूत्र बताते हैं कि अमेरिका और भारत साथ साथ समूचे दक्षिण एशिया में साझा पहल करेंगे। अमेरिका भारत की इस सक्रियता से चीन सरकार सजग हो गई है। यही वजह है कि चीन ने बेहद आक्रामक प्रतिक्रिया देनी शुरू कर दी है। मंगलवार को भारत और अमेरिका के बीच हुई टू-प्लस-टू वार्ता में चीन को लेकर दिए गए परोक्ष इशारे पर बुधवार को नई दिल्ली स्थित दूतावास के साथ साथ विदेश मंत्रालय ने तल्ख प्रतिक्रिया जारी की।

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चीन ने इन दोनों बयानों के जरिए अमेरिका को परोक्ष तौर पर चेतावनी दी है कि वह भारत और चीन के द्विपक्षीय मुद्दों में दखलअंदाजी ना करे। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि अमेरिका इस क्षेत्र में शीतयुद्ध वाली मानसिकता के साथ काम कर रहा है। हिंद-प्रशांत रणनीति के साथ अमेरिका अपना दबदबा बनाने की कोशिश कर रहा है। चीन का कहना था कि क्षेत्रीय मुद्दों में दखल देने की अमेरिकी कोशिश का उल्टा असर होगा।

चीन ने आगे कहा कि जहां तक भारत और चीन के सीमा विवाद का सवाल है तो अभी एलएसी पर स्थिति काफी समान्य है और दोनों देश आपसी बातचीत से मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं चीन के दूतावास की तरफ से कहा गया है कि भारत और चीन सीमा विवाद को सुलझाने में सक्षम हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल पोंपियो ने जिस तरह से भारत में चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी का नाम लिया उससे भी चीन की सरकार काफी नाराज है। चीन की नाराजगी सिर्फ भारत तक ही सीमित नहीं रही है बल्कि पोंपियो जब बुधवार को श्रीलंका यात्रा पर पहुंचे तो वहां भी दोनों देशों में कूटनीतिक बहस हुई।

पोंपियो ने कोलंबो में चीन पर अपना हमला जारी रखा। उन्होंने पहले श्रीलंका में चीन की विकास परियोजनाओं को लेकर सवाल उठाए फिर साउथ चाइना सी के संदर्भ में चीन पर निशाना साधते हुए कहा कि सभी देशों को समुद्र से जुड़े अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन करना चाहिए। इसके बाद पोंपियो ने श्रीलंका को लोकतांत्रिक देशों के साथ आने का आह्वान किया और यह भी याद दिलाया कि चीन से ही पूरी दुनिया में कोरोना फैला है। अमेरिकी विदेश मंत्री ने सभी देशों के लिए समान अवसर वाले हिंद-प्रशांत सेक्टर के लिए श्रीलंका के महत्व को भी रेखांकित किया।

पोंपियो के इस हमले के तुरंत बाद कोलंबो स्थित चीनी दूतावास ने यह कहा कि वह अमेरिका की तरफ से फूट डालो वाली नीति में शामिल होने को इच्छुक नहीं है। बता दें कि अमेरिकी विदेश मंत्री नई दिल्ली की यात्रा के बाद श्रीलंका और मालदीव पहुंचे हैं। अमेरिका की दक्षिण एशिया में बढ़ती इस गतिविधि को सीधे तौर पर चीन की तरफ से समूचे हिंद और प्रशांत महासागर क्षेत्र में आक्रामक रवैये पर लगाम लगाने के तौर पर देखा जा रहा है। मालदीव जैसे बेहद छोटे से देश में अमेरिका ने बुधवार को एक संपूर्ण दूतावास खोलने का भी ऐलान किया है।

भारत और अमेरिका में जो बातचीत चल रही है उसमें पाकिस्तान को छोड़ कर श्रीलंका, मालदीव समेत दूसरे दक्षिण एशियाई देशों में संयुक्त तौर पर गठबंधन स्थापित करना भी शामिल है। इन देशों को अमेरिकी मदद पहुंचाने की कोशिश में भारत की भूमिका अहम होगी। मौजूदा वक्‍त में दोनों देशों के बीच क्षेत्र के छोटे देशों में साझा पहलकदमी शुरू करने की बातचीत चल रही है।  


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