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बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर अब पाया जाएगा काबू, सरकार ने लांच किया एकीकृत डेटाबेस

आइआरएडी प्रणाली पूरे देश से अलग-अलग प्रकार की सड़कों पर होने वाली सभी प्रकार की दुर्घटनाओं के आंकड़े एकत्र करने में सक्षम है

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 09:38 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 09:49 PM (IST)
बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर अब पाया जाएगा काबू, सरकार ने लांच किया एकीकृत डेटाबेस
बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर अब पाया जाएगा काबू, सरकार ने लांच किया एकीकृत डेटाबेस

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने सड़क दुर्घटनाओं की उचित निगरानी और सटीक विश्लेषण के लिए एकीकृत डेटाबेस तैयार किया है। इंटीग्रेटेड रोड एक्सीडेंट डेटाबेस आइआरडीए नाम से तैयार इस डेटाबेस को आइआइटी-मद्रास, एनआइसी तथा विश्व बैंक की मदद से तैयार किया गया है। इसका मकसद सड़क दुर्घटनाओं के मूल कारणों को जानना और उनके निराकरण के कारगर उपाय खोजना है। सरकार को उम्मीद है कि इस डेटाबेस की मदद से बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं पर काबू पाना अपेक्षाकृत आसान हो जाएगा।

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सोमवार को केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने इसे लांच किया। इसकी सहायता से केंद्र व राज्य सरकारें सड़क हादसों से संबंधित सूचनाओं को मिलाकर उनकी मूल वजहों का विश्लेषण कर सकेंगी और उसके अनुसार सड़कों के डिजाइन आदि में सुधार के उपाय सुनिश्चित करेंगी।

सभी प्रकार के दुर्घटनाओं के आंकड़े एकत्र करने में सक्षम

आइआरएडी प्रणाली पूरे देश से अलग-अलग प्रकार की सड़कों पर होने वाली सभी प्रकार की दुर्घटनाओं के आंकड़े एकत्र करने में सक्षम है। इनमें राष्ट्रीय राजमार्ग, प्रादेशिक राजमार्ग, सिटी रोड तथा ग्रामीण सड़कें आदि सब शामिल हैं। ये एक इंटरनेट आधारित ऐसा आइटी सॉल्यूशन है, जिस पर एनएचएआइ और पीडब्लूडी से लेकर पुलिस तक सभी एजेंसियां सड़क हादसों से संबंधित सूचनाओं के विवरण विभिन्न नजरियों से फीड कर सकती हैं। इनमें दुर्घटना की जांच, रोड इंजीनियरिंग, वाहन की दशा आदि से संबंधित विवरण शामिल हैं।

दुर्घटनाओं का हो सकेगा विश्लेषण

इन ब्यौरों के आधार पर विभिन्न एजेंसियां अपने-अपने हिसाब से दुर्घटनाओं का विश्लेषण करते हुए उनके लिए जिम्मेदार कारणों का पता लगा सकती हैं। इन विश्लेषणों के आधार पर किसी स्थान विशेष पर दुर्घटनाएं रोकने के लिए आवश्यक सड़क सुरक्षा उपायों-जैसे सड़क की खामी को दूर करना, आपात चिकित्सा के इंतजाम करना तथा वाहन चालकों को शिक्षित करना-आदि का निर्धारण किया जा सकता है।

शुरू में ये प्रणाली उत्तर प्रदेश समेत छह राज्यों में लागू की जा रही है। अन्य राज्यों में मध्य प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, कर्नाटक तथा तमिलनाडु के नाम शामिल हैं।

31वां राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह

इस प्रणाली को 11-17 जनवरी तक चलने वाले 31वें राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह के अवसर पर लांच करते हुए गडकरी ने कहा कि सड़क दुर्घटनाओं का सबसे ज्यादा बुरा असर युवा वर्ग पर पड़ता है। ये प्रणाली अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित सर्वश्रेष्ठ व्यवहारों पर आधारित है। इस प्रणाली में आंकड़े फीड करने के लिए राज्यों की पुलिस को 30 हजार टेबलेट्स प्रदान किए जाएंगे।

जबकि राजनाथ सिंह का कहना था प्राकृतिक आपदाओं और आतंकी हमलों से ज्यादा लोग हर साल सड़क दुर्घटनाओं में मारे जाते हैं। दुर्घटनाएं न केवल वित्तीय क्षति पहुंचाती हैं, बल्कि इनका मानसिक त्रास लंबे अरसे तक पूरे परिवार को झेलना पड़ता है। उन्होंने नए साल पर लोगों से सुरक्षा नियमों का पालन करने, दुर्घटना पीडि़तों की मदद करने तथा सोशल मीडिया के जरिए जागरूकता पैदा करने की शपथ लेने को कहा।


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