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जनप्रतिनिधियों के बुरे व्यवहार की बढ़ती घटनाएं लोकतांत्रिक संस्थानों की छवि को चोट : ओम बिरला

संसद और अन्य विधानसभाओं में अनुशासन और मर्यादा बनाए रखने पर जोर देते हुए बिरला ने याद दिलाया कि इस मुद्दे पर 1992 1997 और 2001 में विभिन्न सम्मेलन आयोजित किए गए थे। स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर देश में सांसदों-विधायकों का मेगा सम्मेलन आयोजित हो सकता है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 05:00 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 05:00 PM (IST)
जनप्रतिनिधियों के बुरे व्यवहार की बढ़ती घटनाएं लोकतांत्रिक संस्थानों की छवि को चोट : ओम बिरला
जनप्रतिनिधियों के बुरे व्यवहार की बढ़ती घटनाएं लोकतांत्रिक संस्थानों की छवि को चोट : ओम बिरला

नई दिल्ली, एएनआइ। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को कहा कि हाल के वर्षों में जनप्रतिनिधियों के असंसदीय व्यवहार की घटनाओं में वृद्धि हुई है, जिससे लोकतांत्रिक संस्थानों की छवि खराब हुई है। बिरला ने कहा कि अनुशासन सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। वह संसद भवन एनेक्सी में 81वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन (एआईपीओसी) के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

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इस अवसर पर बोलते हुए, बिरला ने कहा कि विधायिकाओं की विश्वसनीयता उनके सदस्यों के आचरण और व्यवहार से जुड़ी होती है और यही कारण है कि सदस्यों से विधायिकाओं के अंदर और बाहर अनुशासन और शिष्टाचार के उच्चतम मानकों का पालन करने की अपेक्षा की जाती है।

बिरला ने कहा कि एक निर्वाचित जन प्रतिनिधि होने के नाते, एक सदस्य के पास कुछ विशेषाधिकार होते हैं और ये विशेषाधिकार, जो जिम्मेदारियों के साथ आते हैं, सांसदों के रूप में अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से और बिना किसी बाधा के निभाने के लिए होते हैं।

उन्होंने जनप्रतिनिधियों के रूप में सदस्यों द्वारा व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से उनके आचरण, अनुशासन और मर्यादा के बारे में आत्मनिरीक्षण करने का आह्वान किया। विधायिकाओं के सुचारू कामकाज से लोकतंत्र को मजबूत करने में मदद मिलने की बात कहकर लोकसभा अध्यक्ष ने सुझाव दिया कि विधायिकाओं को नियमों और परंपराओं के अनुसार जनहित में प्रभावी ढंग से कार्य करना चाहिए, ताकि लोगों की आशाएं और आकांक्षाएं पूरी हों और लोकतांत्रिक संस्थानों में उनका विश्वास बढ़े।

संसद और अन्य विधानसभाओं में अनुशासन और मर्यादा बनाए रखने पर जोर देते हुए, बिरला ने याद दिलाया कि इस मुद्दे पर 1992, 1997 और 2001 में विभिन्न सम्मेलन आयोजित किए गए थे।

उन्होंने जोर देकर कहा कि जनहित में उन सम्मेलनों में लिए गए प्रस्तावों और निर्णयों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए पीठासीन अधिकारियों, सभी दलों के नेताओं द्वारा सामूहिक और समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। लोकसभा अध्यक्ष ने सुझाव दिया कि वर्ष 2022 में अगले सम्मेलन का एजेंडा 'लोकतांत्रिक संस्थानों में अनुशासन और मर्यादा और इन संस्थानों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना' होना चाहिए।

बिरला ने आगे सुझाव दिया कि स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने पर देश में सांसदों और विधायकों का एक मेगा सम्मेलन आयोजित किया जा सकता है। साथ ही स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर वर्तमान एवं पूर्व सांसदों एवं 75 वर्ष से अधिक आयु के विधायकों के सम्मेलन अपने-अपने राज्यों में आयोजित किए जा सकते हैं।

इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ने यह भी बताया कि लोक लेखा समिति का शताब्दी वर्ष अगले 4-5 दिसंबर को मनाया जाएगा। लोक सभा और राज्य सोभा के वर्तमान और पूर्व पीठासीन अधिकारियों, राज्य विधानमंडलों के अध्यक्षों, संसद की लोक लेखा समितियों के अध्यक्षों और सभी राज्यों के विधान मंडलों के अध्यक्षों, राष्ट्रमंडल देशों की संसदों के पीठासीन अधिकारियों और अन्य गणमान्य व्यक्तियों को विशेष आयोजन के लिए आमंत्रित किया जा रहा है।

बिरला ने सुझाव दिया कि लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने में महिलाओं और युवा सांसदों और विधायकों की भूमिका पर एक कार्यक्रम आयोजित किया जा सकता है।


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