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अमेरिका से बढ़ते रक्षा सहयोग का असर भारत-रूस के रिश्तों पर पड़ेगा

13 और 14 सितंबर को मॉस्को में स्वराज और रूस के उप प्रधान मंत्री युरी बोरिसोव की अध्यक्षता में सरकारी आयोग की बैठक होगी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 09 Sep 2018 08:15 PM (IST)Updated: Mon, 10 Sep 2018 12:06 AM (IST)
अमेरिका से बढ़ते रक्षा सहयोग का असर भारत-रूस के रिश्तों पर पड़ेगा
अमेरिका से बढ़ते रक्षा सहयोग का असर भारत-रूस के रिश्तों पर पड़ेगा

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच प्रगाढ़ होते रक्षा सहयोग का असर भारत और रूस के सामरिक रिश्तो पर पड़ना तय है। विदेश और रक्षा मंत्रालय के अधिकारी मान रहे हैं कि भारत के रक्षा क्षेत्र में रूस की हिस्सेदारी अब और तेजी से घट सकती है।। हालांकि भारत सहयोग के दूसरे आयाम तलाशने की कोशिश में हैं। इस साल के अंत तक पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन की अगुवाई में होने वाली बैठक इस लिहाज से काफी महत्पूर्ण मानी जा रही है। इस हफ्ते विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की मॉस्को में रूस में ऊर्जा, कृषि और तकनीकी सहयोग पर विचार विमर्श होग।

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मोदी व पुतिन की सालाना बैठक की तैयारी के लिए विदेश मंत्री स्वराज इस हफ्ते मॉस्को यात्रा पर

आज से 15 वर्ष पहले तक भारत अपनी हर तरह की रक्षा जरूरत के लिए रूस पर निर्भर था। रक्ष मंत्रालय के एक अधिकारी मुताबिक दो दशक पहले हम अपनी 80 फीसद रक्षा उपकरण रूस से लेते थे। यह अब घट कर अभी 60 फीसद तक रह गया है।

अमेरिका और भारत के बीच तब कोई रक्षा कारोबार नहीं होता था, लेकिन अब दोनों देशों के बीच 10 अरब डॉलर से ज्यादा का रक्षा कारोबार हो रहा है। यह बदलाव इसलिए भी हो रहा है कि भारत की हथियारों की जरूरत बदल रही है। वैसे भी भारत अब इजरायल, दक्षिण कोरिया, फ्रांस से अपनी सैन्य जरूरतों को पूरी करने लगा है।

भारत और अमेरिका की टू प्लस टू वार्ता के बाद अब यह माना जा रहा है कि अगले तीन से चार दशकों में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा रक्षा सहयोगी राष्ट्र होगा। वैसे भी हाल के वषरें में भारत ने जितने नए रक्षा सौदे अमेरिका के साथ किया है उससे काफी कम रूस से किया है। अगर एस 400 खरीदने के प्रस्ताव पर मुहर लग जाती है तो यह हाल में भारत और रूस के बीच पहला बड़ा सौदा होगा।

भारत यह मानने लगा है कि उसे अब जिस तरह की रक्षा तकनीकी की जरूरत होगी उसे रूस पूरा नहीं कर सकता। मसलन, भारत को अपनी वायु सेना और नौ सेना के लिए हर तरह के वाहक जहाज़ की जरूरत है जिसे सिर्फ अमेरिका पूरा कर सकता है।

भारत रूस के साथ कृषि, आर्थिक व एनर्जी सहयोग पर देगा जोर

सूत्रों के मुताबिक मोदी और पुतिन के बीच सोची में हुई अनौपचारिक बैठक में भी रक्षा सहयोग से ज्यादा द्विपक्षीय संबंधों के दूसरे आयामों पर बात हुई थी। इन दोनो की अगुवाई में फिर भारत और रूस की सालाना बैठक भी होगी जिसमें कृषि और ऊर्जा सहयोग का एजेंडा काफी व्यापक होगा। कृषि क्षेत्र में एक खास एजेंडा रूस में भारत की जरूरत के मुताबिक कुछ अनाजों या अन्य खाद्यों का उत्पादन करना है। इस तरह का समझौता रूस ने पहले से चीन के साथ किया है।

दूसरा एजेंडा रूस से और ज्यादा गैस लाना है। अक्टूबर, 2016 में मोदी और पुतिन के बीच वार्ता में इस पर शुरुआती बात हुई थी। इसमें रूस से भारत तक गैस पाइप लाइन बिछाने की योजना भी शामिल है।

सनद रहे कि 13 और 14 सितंबर को मॉस्को में स्वराज और रूस के उप प्रधान मंत्री युरी बोरिसोव की अध्यक्षता में सरकारी आयोग की बैठक होगी। स्वराज की रूस के अधिकारियों के साथ 400 मिसाइल सिस्टम खरीदने पर भी अंतिम बात होने की उम्मीद है। 


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