विमानों में तकनीकी दिक्कतों के बढ़ते मामलों से सरकार ने बुलाई एयरलाइनों की बैठक
विमानन मंत्रालय ने मंगलवार को एयरलाइनों और एयरपोर्ट आपरेटरों के साथ डीजीसीए के अधिकारियों की बैठक बुलाई है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विमानन सुरक्षा से जुड़ी हाल की घटनाओं ने सरकार को चिंता में डाल दिया है। इंजन विफलता के मामलों से लगातार जूझ रही इंडिगो के अलावा एयर इंडिया और जेट एयरवेज की उड़ानों को भी तकनीकी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा। इसे देखते हुए विमानन मंत्रालय ने मंगलवार को एयरलाइनों और एयरपोर्ट आपरेटरों के साथ डीजीसीए के अधिकारियों की बैठक बुलाई है। इसमें रखरखाव व प्रशिक्षण में लापरवाही के खिलाफ एयरलाइनों को आगाह किया जाएगा।
आकाश में इंजन खराब होने से 3 जनवरी को इंडिगो की चेन्नई से कोलाकाता जाने वाले विमान को चेन्नई वापस लौटना पड़ा था। चेन्नई से उड़ान भरने के कुछ देर बाद ही विमान के एक इंजन में धमाके की आवाज के साथ धुआं निकलने लगा था।
इस मामले में इंजन बंद होने की बात भी सामने आई थी। लेकिन इंडिगो की ओर से इसका खंडन किया गया। उसका कहना था कि न तो इंजन बंद हुआ, और न ही आपात लैडिंग कराई गई। प्रक्रिया के मुताबिक केवल बारी से पहले प्रायोरिटी लैंडिंग हुई थी।
इंडिगो के साथ एक महीने में हुआ यह तीसरा वाकया था। पिछले साल 23 दिसंबर को आकाश में इंजन फेल होने से पोर्ट ब्लेयर से कोलकाता आ रहे इंडिगो विमान की इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी थी। यही नहीं, 11 दिसंबर को केबिन में धुआं भरने के कारण इंडिगो की जयपुर-कोलकाता फ्लाइट की कोलकाता में आपात लैंडिंग हुई थी।
इंडिगो के अलावा 20 सितंबर को जेट एयरवेज की मुंबई-जयपुर फ्लाइट में पायलट केबिन प्रेशर मेंटेन करना भूल गया था। इससे ऑक्सीजन की कमी के कारण यात्रियों की हालत पतली हो गई थी। यही नहीं, बीते शनिवार को एयर इंडिया की बैंकॉक-दिल्ली फ्लाइट को ईधन लीक होने के कारण कोलकाता में बीच रास्ते उतरना पड़ा था।
विमान सुरक्षा से जुड़े इन मामलों में कुछ का संबंध इंजन समस्या से है। जबकि बाकी पायलट अथवा अन्य की गलतियों जुड़े हैं। इंडिगो के ज्यादातर मामलों में एयरबस ए320 के नियो (न्यू इंजन ऑप्शन) विमानों में लगे प्रैट एंड ह्विटनी इंजनों को जिम्मेदार माना गया है। इन इंजनों के कारण पिछले वर्ष मार्च में इंडिगो और गो एयर के 11 विमानों की उड़ान पर डीजीसीए ने रोक लगा दी थी। इसके बाद लगातार खराब इंजन बदले जा रहे हैं। लेकिन समस्या पर पूरी तरह काबू नहीं पाया जा सका है।
विमानन मंत्रालय ने इसे गंभीरता से लिया है। मंत्रालय का मानना है कि यदि इस तरह की घटनाएं बढ़ीं तो अमेरिकी रेग्युलेटर एफएए भारत की विमानन सुरक्षा रैंकिंग को घटा सकता है। पिछले दिनो बड़ी मुश्किल से इसे बचाया गया है। इंटरनेशनल सिविल एविएशन नियामक आइसीएओ भारत की रैंकिंग को पहले ही कम कर चुका है।