नेताओं की बेचैनी से बढ़ा दबाव तो कांग्रेस में शुरू हुई बदलाव की सरगर्मी
नये सिरे से पुर्नगठन में संसदीय बोर्ड में पार्टी अध्यक्ष समेत दस नेताओं को शामिल किए जाने की चर्चा गरम है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कांग्रेस की राजनीतिक दशा-दिशा पर लंबे समय से कायम असंमजस के चलते पार्टी नेताओं की बढ़ती बेचैनी का दबाव हाईकमान पर भी गहरा रहा है। संगठन में अहम और बड़े बदलाव की अंदरखाने चर्चा शुरू हो गई है। इस बदलाव में पार्टी संसदीय बोर्ड के पुर्नगठन से लेकर पांच उपाध्यक्षों की नियुक्ति पर भी विचार मंथन किया जा रहा है। कांग्रेस की राजनीतिक सक्रियता बढ़ाने के साथ पार्टी की सियासी वापसी के लिए संगठन के मौजूदा स्वरूप को नई धार देने की जरूरत पार्टी के तमाम नेता महसूस कर रहे हैं।
संगठन में बड़े बदलाव पर अंदरूनी मंत्रणा शुरू
पिछले हफ्ते सोनिया गांधी के साथ राज्यसभा सांसदों की हुई बैठक में पार्टी की मौजूदा दशा के कारण बढ़ रही राजनीतिक चुनौती को लेकर कई वरिष्ठ नेताओं ने काफी खरी-खरी बातें भी कही। इतना ही नहीं, कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी को युवा बनाम बुजुर्ग में बांटने के टीम राहुल गांधी के प्रयासों पर मीडिया के जरिये भी अपनी बात मुखर रूप से जाहिर की थी। सूत्रों ने बताया कि पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं की इस आक्रामकता को भांपते हुए ही संगठन में बड़े बदलाव पर अंदरूनी मंत्रणा शुरू हुई है। इसके तहत कांग्रेस संसदीय बोर्ड का फिर से पुर्नगठन करने के विकल्प पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। कई वरिष्ठ नेताओं ने सोनिया गांधी के साथ पिछले हफ्ते हुई बैठक में संसदीय बोर्ड के गठन की बात उठाई थी। पार्टी में संसदीय बोर्ड आखिरी बार करीब तीन दशक पहले था। नये सिरे से पुर्नगठन में संसदीय बोर्ड में पार्टी अध्यक्ष समेत दस नेताओं को शामिल किए जाने की चर्चा गरम है।
तीन दशक बाद फिर से संसदीय बोर्ड के पुर्नगठन पर हो रहा विचार
दरअसल, संसदीय बोर्ड के जरिए वरिष्ठ नेता यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि किसी मुद्दे पर पार्टी की नीति व दिशा वहीं तय हो और फिर आगे बढ़ा जाए। कांग्रेस की कमजोर हुई राजनीतिक जमीन को वापस हासिल करने के लिए संगठन को मजबूत करने के स्वरूप पर भी चल रहे मंथन के अनुसार पार्टी चार या पांच उपाध्यक्ष नियुक्त करने पर भी गंभीर है। इन उपाध्यक्षों को देश के चारों क्षेत्रों पूरब, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण के राज्यों का जिम्मा सौंपने की बात है। उपाध्यक्ष राज्यों के प्रभारी महासचिवों से इतर बनाए जाने का प्रस्ताव है।
चार से पांच उपाध्यक्ष बनाकर क्षेत्रवार जिम्मेवारी सौंपने के विकल्प पर भी चर्चा
2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद से ही संगठन को बड़ी सियासी चुनौती के लिए तैयार करने की कांग्रेस में मांग उठती रही है और इसके लिए क्षेत्रवार उपाध्यक्ष बनाए जाने की बात राहुल गांधी के पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद भी उठी थी। पार्टी संगठन में बदलाव की शुरू हुई इन चर्चाओं का संकेत साफ है कि राहुल गांधी की कांग्रेस अध्यक्ष के रुप में वापसी पर अभी असमंजस कायम है और फिलहाल सोनिया गांधी ही सेहत की चुनौतियों के बावजूद कुछ और समय तक पार्टी की कमान संभालती रहेंगी। संगठन में इन बदलावों के साथ पार्टी के भवनों और अचल संपत्तियों के प्रबंधन के लिए एक ट्रस्टी बोर्ड भी बनाए जाने की चर्चा है।