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जम्मू-कश्मीर की राजनीति पार्टियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने दिया भरोसा, परिसीमन खत्म होते ही होंगे कश्मीर में चुनाव

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से फिर भरोसा दिलाया गया कि परिसीमन होते ही चुनाव होंगे और सही वक्त आते ही पूर्ण राज्य का दर्जा भी मिल जाएगा। बैठक के बाद सभी ने विश्वास जताया कि यह कश्मीर के लिए अच्छा होगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 09:02 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jun 2021 09:35 AM (IST)
जम्मू-कश्मीर की राजनीति पार्टियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने दिया भरोसा, परिसीमन खत्म होते ही होंगे कश्मीर में चुनाव
जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री के साथ गुरुवार को हुई बैठक

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर में हाल में हुए जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कांफ्रेस समेत गुपकार गठबंधन के दलों ने भले ही अनुच्छेद-370 की वापसी की बात उठाई हो, लेकिन सच्चाई यह है कि अब वे भी मान चुके हैं कि इसकी वापसी नहीं हो सकती। यही कारण है कि पीडीपी और नेशनल कांफ्रेस जैसे जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री के साथ गुरुवार को हुई बैठक में यह बात उठाई तो जरूर, लेकिन नेशनल कांफ्रेस ने साफ कर दिया कि वह कोई गैरकानूनी कदम नहीं उठाएगी, जो भी लड़ाई लड़नी होगी वह कानूनी रूप से लड़ेगी। हां, पीडीपी ने जरूर कहा कि वह संघर्ष करती रहेगी। जबकि कांग्रेस ने अनुच्छेद-370 की बात छेड़ने के बजाय सिर्फ डोमिसाइल की बात की। ऐसे में लगभग साढ़े तीन घंटे चली बैठक में मांग विधानसभा चुनाव और पूर्ण राज्य के दर्जे पर केंद्रित रही।

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पीएम ने कहा, अब न दिल्ली की दूरी होगी और न दिल की दूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से फिर भरोसा दिलाया गया कि परिसीमन होते ही चुनाव होंगे और सही वक्त आते ही पूर्ण राज्य का दर्जा भी मिल जाएगा। संवाद की इस शुरुआत के साथ ही प्रधानमंत्री ने भरोसा दिलाया, 'अब न दिल्ली की दूरी होगी और न दिल की दूरी।' बैठक के बाद सभी ने विश्वास जताया कि यह कश्मीर के लिए अच्छा होगा। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 खत्म किए जाने के बाद से रुका हुआ संवाद गुरुवार को शुरू हुआ तो तेज गति से आगे बढ़ा।

दरअसल इस बैठक के लिए कोई एजेंडा तय नहीं किया गया था बल्कि सभी को यह अवसर दिया गया कि वे जो भी चाहें कहें। इसका असर भी दिखा। सभी ने माना कि बैठक बहुत अच्छे माहौल में हुई। मोटे तौर पर जो मुख्य मांगें आईं और खुद सरकार भी सकारात्मक दिखी उसमें परिसीमन और पूर्ण राज्य का दर्जा था। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की ओर से राजनीतिक बंदियों को छोड़ने की भी बात कही गई। उनकी ओर से तीन दशकों के दौरान जम्मू-कश्मीर छोड़ चुके कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए हर प्रयास करने की भी मांग हुई।

अनुच्छेद-370 के मुद्दे पर पीडीपी और नेशनल कांफ्रेस के तेवर

आजाद ने नौकरियों और जमीन पर हक में डोमिसाइल (स्थानीय निवास) की शर्त रखने की भी मांग की। कुछ ऐसी ही मांगें दूसरे दलों ने भी की। बताते हैं कि पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती ज्यादा मुखर थीं और उन्होंने कहा कि अनुच्छेद-370 को जिस तरह हटाया गया उसके खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा। वह पाकिस्तान से बातचीत का मुद्दा भी उठा गईं। जबकि फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अब एक नया कानून बन गया है तो उनकी लड़ाई कानूनी होगी। यानी कहीं न कहीं यह भाव पैदा हो चुका है कि संविधान के नियमों के अनुरूप अनुच्छेद-370 को हटाया गया है, उसकी वापसी किसी जिद से नहीं हो सकती।

पूर्ण राज्य का दर्जा देने में चुनाव अहम

सभी के बोलने के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि वह पहले ही कह चुके हैं कि राज्य में चुनाव भी होगा और उसे पूर्ण राज्य का दर्जा भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि पूर्ण राज्य का दर्जा देने में चुनाव अहम कदम साबित होंगे। संकेत साफ था कि पूर्ण राज्य के दर्जे का फैसला चुनाव बाद होगा। दरअसल, आजाद ने चुनाव से पहले ही पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग की थी।

सभी दलों को मिलकर पैदा करना होगा सुरक्षा का भाव

प्रधानमंत्री ने राज्य में हो रहे विकास कार्यो पर संतोष जताया और कहा कि जम्मू-कश्मीर के युवाओं को अवसर देने का वक्त आया है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि प्रदेश में भ्रष्टाचार मुक्त शासन हो। सरकार लोकतांत्रिक प्रक्रिया की बहाली के लिए कृतसंकल्प है और इसीलिए पिछले महीनों में डीडीसी चुनाव भी हुए। आगे भी प्रक्रिया को बढ़ाया जाना है। लेकिन यह हर किसी की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि प्रदेश के हर वर्ग में सुरक्षा और विकास की भावना बढ़े। किसी एक की भी मौत दुखदायी होती है। सभी को मिलकर इसे रोकना होगा। उन्होंने हर दल से अपील की कि परिसीमन की चर्चा में जुटें और इसे तेज करें। ध्यान रहे कि परिसीमन आयोग की पिछली बैठकों में नेशनल कांफ्रेंस के नेता शामिल नहीं हुए थे।


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