दूसरे चरण की तेल ब्लॉक नीलामी में 40,000 करोड़ निवेश की संभावना
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि दूसरे चरण में नीलामी के लिए पेश किए गए 14 तेल व गैस क्षेत्रों में 40,000 करोड़ रुपये निवेश होने की सरकार को उम्मीद है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि ओपन एकरेज लाइसेंस पॉलिसी (ओएएलपी) के तहत दूसरे चरण में नीलामी के लिए पेश किए गए 14 तेल व गैस क्षेत्रों में 40,000 करोड़ रुपये निवेश होने की सरकार को उम्मीद है।
पिछले साल पॉलिसी के तहत पहले दौर की नीलामी में सरकार को उत्खनन में 60,000 करोड़ रुपये निवेश की प्रतिबद्धता मिली थी। उस समय सरकार ने 55 ब्लॉकों की नीलामी की थी। प्रधान ने बताया कि इसी महीने तीसरे चरण में तेल व गैस के 12 ब्लॉकों और पांच कोल-बेड मीथेन (सीबीएम) ब्लॉकों की नीलामी होगी। दूसरे चरण में नीलामी के लिए पेश किए गए 14 ब्लॉक 29,333 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हैं। इनकी बोलियां 12 मार्च तक लगाई जा सकेंगी।
वर्ष 2014 में एनडीए सरकार के आने के बाद से तेल व ब्लॉकों की दो चरणों में नीलामी हुई है। इसके अलावा छोटे क्षेत्रों के लिए दो अन्य चरणों में नीलामी हो चुकी है। इससे 1.20 लाख करोड़ रुपये निवेश के प्रस्ताव मिले। सरकार ने जुलाई 2017 में कंपनियों को अपनी पसंद के तेल व गैस क्षेत्र चुनने की अनुमति दी थी ताकि 28 लाख वर्ग किलोमीटर में फैले अछूते क्षेत्रों में उत्खनन हो सके।
इस पॉलिसी में कंपनियों को ऐसे क्षेत्रों के लिए अभिरुचि पत्र (ईओआइ) पेश करने की अनुमति है, जहां अभी खोज या उत्पादन नहीं हो रहा है। कंपनियां कभी भी ईओआइ पेश कर सकती हैं। नीलामी के समय उन सभी ईओआइ को शामिल किया जाएगा और किसी क्षेत्र में सबसे पहले बोली लगाने वाली कंपनी को प्राथमिकता मिलेगी।
ओएनजीसी व ओआइएल को मिलेगी भागीदार चुनने की आजादी
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सरकार ओएनजीसी व ऑयल इंडिया लि. (ओआइएल) जैसी सरकारी तेल उत्खनन कंपनियों को प्राइवेट व विदेशी भागीदारों को शामिल करने की अनुमति देगी ताकि वे तेल क्षेत्रों में उत्पादन बढ़ा सकें। इसके अलावा कंपनियों को कठिन उत्खनन क्षेत्रों में खोज के लिए विशेष इंसेंटिव भी दिया जाएगा।
ओएएलपी पॉलिसी के तहत दूसरे चरण में नीलामी की शुरुआत के समय प्रधान ने कहा कि ओएनजीसी और ओआइएल को इस बात की आजादी होगी कि वे कौन से तेल क्षेत्र अपने पास रखना चाहती हैं। उन्हें भागीदार को शामिल करने की भी अनुमति होगी। यह बदलाव सरकार के पिछले फैसले के विपरीत है।
2017 में पेट्रोलियम मंत्रालय के अपस्ट्रीम एडवायजरी संगठन डायरेक्टरेट जनरल ऑफ हाइड्रोकार्बन ने ओएनजीसी के 11 और ओआइएल के चार क्षेत्रों की पहचान की थी जिनकी 60 फीसद हिस्सेदारी विदेशी और निजी कंपनियों को दी जाए। लेकिन सरकारी तेल कंपनियों के कड़े विरोध के बाद यह फैसला लागू नहीं हो पाया।