Move to Jagran APP

मप्र में कांग्रेस को अपने ही बागियों के खिलाफ नहीं मिल रहे जिताऊ चेहरे

मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमल नाथ सरकार को पलटने वाले छह पूर्व मंत्रियों सहित 22 पूर्व विधायकों के चुनाव क्षेत्रों में कांग्रेस के पास अब कद्दावर और जिताऊ प्रत्याशियों का टोटा हो गया है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 02 Apr 2020 09:46 PM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2020 09:46 PM (IST)
मप्र में कांग्रेस को अपने ही बागियों के  खिलाफ नहीं मिल रहे जिताऊ चेहरे
मप्र में कांग्रेस को अपने ही बागियों के खिलाफ नहीं मिल रहे जिताऊ चेहरे

राजीव सोनी, भोपाल। मध्य प्रदेश में कांग्रेस की कमल नाथ सरकार को पलटने वाले छह पूर्व मंत्रियों सहित 22 पूर्व विधायकों के चुनाव क्षेत्रों में कांग्रेस के पास अब कद्दावर और जिताऊ प्रत्याशियों का टोटा हो गया है। राज्य की दो सीटें जौरा और आगर पहले से तत्कालीन विधायकों के निधन से रिक्त हैं, इसलिए 24 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है। इनमें से 23 पर कांग्रेस काबिज थी। ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की 16 सीटें हैं लेकिन अब बदले परिदृश्य में कांग्रेस को यहां अपने ही बागियों के खिलाफ दमदार नेता नहीं मिल रहे। कांग्रेस का दावा है कि हम 'लॉकडाउन' खत्म होने के बाद इस मुद्दे का निराकरण कर लेंगे। मध्य प्रदेश में डेढ़ दशक बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस सरकार को उसका आंतरिक कलह ही ले डूबा। अब कांग्रेस के सामने अपने ही बागी माननीयों के सामने जिताऊ चेहरे नहीं मिल पा रहे हैं। 

prime article banner

कांग्रेस के पास टक्कर के प्रत्याशी नहीं

छह पूर्व मंत्रियों-प्रद्युम्न सिंह तोमर ग्वालियर, तुलसी सिलावट सांवेर, डॉ प्रभुराम चौधरी सांची, इमरती देवी डबरा, गोविंद सिंह राजपूत सुरखी और महेंद्र सिंह सिसोदिया बमोरी के अलावा एंदल सिंह कंषषाना सुमावली, बिसाहू लाल सिंह अनूपपुर, हरदीप सिंह डंग सुवासरा, राज्यवर्धन सिंह दत्तीगांव बदनावर, मुन्नालाल गोयल ग्वालियर पूर्व और रघुराज सिंह कंषषाना मुरैना के खिलाफ कांग्रेस के पास टक्कर के प्रत्याशी नजर नहीं आ रहे हैं। इनके अलावा बाकी सीटों पर भी कमोबेश यही स्थिति बन रही है। 

सिंधिया के समर्थन में 22 ने दिया था इस्तीफा 

उल्लेखनीय है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में 22 विधायकों ने इस्तीफे देकर कमल नाथ सरकार को अल्पमत में ला दिया था, जिसके बाद भाजपा पुन: सत्ता पर काबिज हो गई। 

अभी औपचारिक बैठक नहीं 

उपचुनाव में कांग्रेस की नैया कैसे पार लगे, इसे लेकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ और प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया सहित अन्य वरिष्ठ पदाधिकारियों के बीच प्रारंभिक चर्चा हो चुकी है। कोरोना आपदा के चलते अभी पार्टी ने औपचारिक तौर पर इस विषषय पर बैठक नहीं बुलाई। लेकिन वरिष्ठ स्तर पर पदाधिकारियों और संबंधित जिले में संगठन स्तर पर फीडबैक बुलाया जा रहा है। 

सिंधिया फैक्टर से फर्क नहीं : गुप्ता 

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता भूपेंद्र गुप्ता का कहना है कि ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में भी सिंधिया फैक्टर का बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ने वाला। उनके समर्थन में जिन विधायकों ने जनमत से धोखा और इस्तीफा देकर कांग्रेस की सरकार गिराई वे भले ही सिंधिया के बंधुआ हो सकते हैं लेकिन जनता बंधुआ नहीं है। लोकसभा चुनाव के दौरान स्वयं सिंधिया के नतीजे से उनके चुनावी 'इंडेक्स' का खुलासा हो गया था इसलिए कांग्रेस को जनता पर पूरा भरोसा है। 

पूरी गंभीरता से चुनाव लड़ेंगे 

मप्र कांग्रेस के प्रभारी महासचिव दीपक बावरिया ने कहा कि कोरोना संकट के चलते अभी हमने औपचारिक तौर पर चर्चा नहीं की है। प्रदेश अध्यक्ष से विचार विमर्श चल रहा है, 24 सीटों के उपचुनाव हम पूरी गंभीरता से लड़ेंगे लड़ेंगे और जीतेंगे। जहां तक प्रत्याशी की बात है तो इसका निर्णय केवल मेरे स्तर पर नहीं सामूहिक तौर पर लिया जाएगा। अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी है। 

15 महीने के कामकाज पर लगेगी मुहर 

एमपी कांग्रेस के अध्‍यक्ष और पूर्व मुख्‍यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि मध्‍य प्रदेश की रिक्त घोषित 24 में से 23 सीटों पर कांग्रेस ही काबिज थी। उपचुनाव में इन सभी सीटों पर हमारी पुख्ता तैयारी है, इन्हें हम हर हाल में जीतेंगे। हमने 15 महीने प्रदेश हित में जो काम किए हैं उन पर चुनाव परिणाम मुहर लगाएंगे। भाजपा ने खरीद-फरोख्त से सरकार गिराने का जो खेल खेला है चुनावी नतीजों से उसे जवाब मिल जाएगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.