शिवराज चौहान से नीयत की लड़ाई में कांग्रेस को चित करने की कोशिश
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने चुनौती दी कि कोई भी माई का लाल शिवराज सिंह चौहान की नीयत पर सवाल नहीं उठा सकता हैं।
नीलू रंजन, रीवा (मध्यप्रदेश)। विधानसभा चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में भाजपा नीयत की लड़ाई में कांग्रेस को चित करने की कोशिश में जुटी है। सिंगरौली और रीवा में रैलियों को संबोधित करते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने चुनौती दी कि कोई भी माई का लाल शिवराज सिंह चौहान की नीयत पर सवाल नहीं उठा सकता हैं। वहीं चुनाव के ठीक कांग्रेस नेताओं का मंदिर दौड़ उनकी नीयत पर सवालिया निशान लगाता है।
शिवराज सिंह चौहान सरकार के विकास और सुशासन की चर्चा पर चुनावी रैलियों बजती तालियाँ बताती हैं कि जनता भी इससे अनभिज्ञ नहीं है। जनता की मनोदशा को भाँपते हुए राजनाथ सिंह कहते हैं कि इस बात पर तो बहस हो सकता है कि मध्यप्रदेश में विकास कितना हो पाया है या कितना होना चाहिए, लेकिन विकास के प्रति शिवराज की नीयत पर सवाल नहीं उठाया सकता है।
वहीं मध्यप्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ का मुसलमानों से 90 फीसदी वोट करने की विनती और साथ ही घोषणापत्र में गोशाला खोलने के वायदे और मंदिरों की दौड़ कांग्रेस किसी भी तरह सिर्फ वोट हासिल करना चाहती हैं। राहुल गांधी की आलू की फ़ैक्टरी खोलने के वायरल वीडियो का हवाला देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कांग्रेस किस तरह विकास के नाम पर हवा-हवाई बातें करती है।
शिवराज सिंह के विनम्र, सादगीपूर्ण और सरल व्यक्तित्व का हवाला देते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि 13 सालों के शासन का हवाला देते हुए कांग्रेस इस चेहरे को बदलने की बात कर रही है। लेकिन इसके बदले में कांग्रेस के पास कोई चेहरा ही नहीं है। कांग्रेस की चुनावी बारात तैयार है, लेकिन दुल्हे का पता ही नहीं की टिप्पणी पर तालियाँ बज उठती है। राजनाथ सिंह ने लोगों को याद दिलाया कि 2003 तक मध्यप्रदेश में सड़क, बिजली, पानी, सिंचाई की क्या स्थिति थी और शिवराज सिंह चौहान इसे कहाँ तक लेकर आए हैं, यह यहाँ की जनता देख रही है।
राजनाथ सिंह बताते है कि विकास का पर्याय होने के साथ-साथ भाजपा राष्ट्रीय स्वाभिमान की रक्षा भी बख़ूबी कर कर रही है। एक तरफ़ पिछले साढ़े चार सालों में भारत को दुनिया की नौंवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था से पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने में सफल रही है, तो वहीं दूसरी ओर कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में आतंकी हिंसा रोकने में काफी हद तक कामयाबी भी मिली है। उनके अनुसार अगले तीन से पाँच सालों में नक्सल समस्या का पूरी तरह खात्मा हो जाएगा।