असम में एनआरसी का प्रकाशन एक महीने और टला
लंबित गणना कार्य के चलते 31 जुलाई की गई अंतिम तिथि।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार ने असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) के प्रकाशन की तिथि एक महीने के लिए टाल दी है। इस एक महीने के दौरान गणना का कार्य पूरा किया जाएगा। अवैध रूप से सीमा पार कर आए बांग्लादेश के नागरिकों की पहचान के सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एनआरसी तैयार किया जा रहा है। कई राजनीतिक दल इसका विरोध भी कर रहे हैं।
ताजा अधिसूचना में देश के नागरिक पंजीयन महानिदेशक विवेक जोशी ने कहा है कि असम में रहने वाले नागरिकों की गणना की प्रक्रिया 30 जून की निर्धारित अवधि में पूरी नहीं की जा सकी है। इसलिए केंद्र सरकार ने इसे 31 जुलाई तक बढ़ाने का फैसला किया है।
सबसे पहले छह दिसंबर, 2013 को सरकार ने पहली अधिसूचना जारी कर तीन साल में एनआरसी बनाने का कार्य पूरा कर उसे प्रकाशित करने की घोषणा की थी। इसके बाद से अभी तक समयसीमा को छह बार बढ़ाया जा चुका है लेकिन कार्य पूरा नहीं हुआ।
30 जुलाई, 2018 को जब एनआरसी की अंतरिम सूची का प्रकाशन हुआ तो उसे लेकर भारी विवाद खड़ा हो गया था। उसमें राजनीतिक दलों और प्रभावित लोगों ने 40.7 लाख लोगों के नाम दर्ज न करने पर सवाल उठाए। रजिस्टर में नाम दर्ज करने के लिए आए कुल 3.29 करोड़ आवेदनों में से 2.9 करोड़ को नागरिक माना गया, बाकी का नाम भारतीय नागरिक के तौर पर रजिस्टर में दर्ज नहीं किया गया।
जून में जारी हुई एक अन्य अंतरिम सूची में एक लाख और लोगों को एनआरसी से बाहर कर दिया गया। अब एनआरसी में दर्ज नामों का अंतिम रूप से प्रकाशन 31 जुलाई को होगा। यह पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही हैं। इसका मूल उद्देश्य घुसपैठ करके अवैध रूप से भारत में आए लोगों की पहचान करना है।