Move to Jagran APP

कश्मीर में सुधरते हालात, नेताओं की रिहाई शुरू, फारूक, उमर, महबूबा ने शर्तें मानने से किया इनकार

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पहले उन्हें हरि निवास से उनके घर उनके पिता डॉ. फारूक अब्दुल्ला के साथ ही रखा जाए। इसके बाद ही वह अगली बातचीत करेंगे अन्यथा नहीं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 09:33 PM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 11:13 PM (IST)
कश्मीर में सुधरते हालात, नेताओं की रिहाई शुरू, फारूक, उमर, महबूबा ने शर्तें मानने से किया इनकार
कश्मीर में सुधरते हालात, नेताओं की रिहाई शुरू, फारूक, उमर, महबूबा ने शर्तें मानने से किया इनकार

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। कश्मीर में सुधरते हालात और निकट भविष्य में होने जा रहे ब्लॉक विकास परिषद (बीडीसी) के चुनाव की प्रक्रिया के मद्देनजर राज्य सरकार ने पांच अगस्त को एहतियातन हिरासत में लिए गए राजनीतिक नेताओं व कार्यकर्ताओं की रिहाई शुरू कर दी है। जम्मू प्रांत में मुख्यधारा की सियासत से जुड़े सभी प्रमुख राजनीतिक नेताओं को नजरबंदी से मुक्त कर दिया गया है।

loksabha election banner

घाटी में नेताओं की पृष्ठभूमि और राज्य की संवैधानिक स्थिति में बदलाव को लेकर उनकी विचारधारा का आकलन करने के बाद उन्हें रिहा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। अलबत्ता, तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों डॉ. फारूक अब्दुल्ला, उमर और महबूबा व कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं ने रिहाई के लिए बांड व अन्य प्रशासनिक शर्तों को मानने से इनकार कर दिया है। ऐसे में माना जा रहा है कि पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और नेशनल कांफ्रेंस के बड़े नेता अभी नजरबंद ही रहेंगे।

तीन दर्जन प्रमुख नेता रिहा

राज्य में अब तक नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी और कांग्रेस से जुड़े करीब तीन दर्जन प्रमुख नेता जिन्हें कथित तौर पर नजरबंद बनाया गया था, उन्हें मुक्त कर दिया गया है। अलबत्ता, राज्य के तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के अलावा पीपुल्स कांफ्रेंस के चेयरमैन सज्जाद गनी लोन और नौकरशाही छोड़ रियासत की सियासत में सक्रिय हुए शाह फैसल समेत करीब एक हजार प्रमुख नेता व कार्यकर्ता फिलहाल एहतियातन हिरासत या नजबंद हैं।

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों में पुनगर्ठित किए जाने के बाद राज्य में उपजी स्थिति के मद्देनजर राज्य सरकार ने करीब चार हजार लोगों को हिरासत में या नजरबंद रखा था। इनमें से करीब 700 लोग मुख्यधारा की सियासत करने वाले राजनीतिक दलों से संबंध रखते हैं।

राज्य सरकार ने हालात में बेहतरी के आधार पर गत माह ही करीब सात वरिष्ठ नेताओं को सशर्त रिहा किया था। इनमें पीडीपी के एमएलसी खुर्शीद आलम, पीपुल्स कांफ्रेंस के महासचिव और पूर्व मंत्री इमरान रजा अंसारी भी शामिल हैं। इन नेताओं की रिहाई के बाद करीब तीन दिन पहले राज्य सरकार ने एक ओर बड़ा कदम उठाते हुए जम्मू प्रांत में नेकां, कांग्रेस, पीडीपी, पीपुल्स कांफ्रेंस के सभी नेताओं को नजरबंदी से मुक्त कर दिया था।

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीए मीर को भी किया जा चुका रिहा

जम्मू में सभी प्रमुख नेताओं को रिहा करने के बाद राज्य सरकार ने कश्मीर में नजरबंद कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष जीए मीर को भी गत रोज मुक्त कर दिया। हालांकि दावा किया जा रहा है कि उनके साथ ही पूर्व विधायक हाजी अब्दुल रशीद, पूर्व विधायक शोएब लोन समेत कांग्रेस के करीब दस नेताओं व कार्यकर्ताओं को भी पाबंदियों से मुक्त किया गया है, लेकिन पुष्टि नहीं हो पाई है। न यह नेता मिल रहे हैं और न प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर इसकी पुष्टि करने में समर्थ हैं। वह कहते हैं कि वहां सभी संचार सेवाएं ठप हैं, इसलिए पता नहीं है कि कौन कहां पर है। अगर रिहा भी किए गए होंगे तो उन्हें सियासी गतिविधियों से दूर रहने की ताकीद गई होगी।

चुनाव प्रचार करें पर कोई ऐसा काम न करें जिससे हालात बिगड़ें

प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि वादी में नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी, पीपुल्स कांफ्रेंस, माकपा और अवामी इत्तेहाद पार्टी से जुड़े करीब तीन दर्जन नेताओं और स्थानीय कार्यकर्ताओं जिनमें कई ब्लॉक प्रधान और तहसील प्रधान भी हैं, बीते एक सप्ताह के दौरान पाबंदियों से मुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि इन नेताओं से कहा गया है कि वह चाहें तो ब्लॉक विकास परिषद का चुनाव लड़ें या इस प्रक्रिया में भाग लेने वालों का प्रचार करें। लेकिन कोई भी ऐसी गतिविधि न करें, जिससे किसी भी तरह से हालात बिगडऩे की आशंका हो। ऐसा होने पर उन्हें हिरासत में ले लिया जाएगा। इसके अलावा इन पर किसी तरह की रोक नहीं है।

तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों की रिहाई के बारे में पूछने पर उन्होंने इतना कहा कि संतूर होटल में इस समय करीब तीन दर्जन वरिष्ठ नेता जिनमें कई पूर्व विधायक और मंत्री हैं, बंद हैं। यह बीडीसी चुनावों से पहले रिहा होंगे, इसकी उम्मीद बहुत कम है।

उमर चाहते हैं उन्हें पिता के साथ रखा जाए, उसके बाद ही बातचीत

प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि नजरबंद वरिष्ठ नेताओं से कथित तौर पर हुई बातचीत में इन नेताओं ने रिहाई के लिए किसी भी तरह की शर्त मानने से इनकार कर दिया है। उन्होंने बताया कि पीडीपी के नईम अख्तर, मंसूर हुसैन और वहीदुर्रहमान पारा व सरताज मदनी के अलावा एजाज मीर ने बांड भरने से इनकार किया है। पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद गनी लोन ने भी साफ शब्दों में कहा कि वह शर्ताें पर रिहाई नहीं चाहते।

उन्होंने बताया कि महबूबा ने इस मुद्दे पर किसी तरह की बातचीत से इनकार करते हुए कहा कि वह अपनी और अपने साथियों की सियासी गतिविधियों पर, बैठकों पर किसी भी तरह की रोक नहीं चाहतीं, जबकि उमर अब्दुल्ला ने सीधे शब्दों में कहा कि पहले उन्हें हरि निवास से उनके घर, उनके पिता डॉ. फारूक अब्दुल्ला के साथ ही रखा जाए। इसके बाद ही वह अगली बातचीत करेंगे, अन्यथा नहीं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.