जेटली ने कसा विपक्ष पर तंज, कहा- मोदी की नीतियों से आया ग्रामीण जीवन स्तर में सुधार
जेटली ने कहा कि कृषि संकट दूर करने और ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर सुधारने का काम महज नारेबाजी से नहीं किया जा सकता।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि संकट के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि एनडीए सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकाधिक संसाधनों का निवेश किया है जिससे कृषि उत्पादकता बढ़ी है और गांव में लोगों के जीवन स्तर में सुधार आया है। जेटली ने कहा कि निवेश का मौजूदा स्तर अगले दो दशक तक कायम रहने पर ग्रामीण क्षेत्रों में भी शहरों जैसी ढांचागत सुविधाएं हो जाएंगी।
जेटली ने फेसबुक पर लिखे ब्लॉग में यह बात कही। जेटली ने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब विपक्ष सरकार पर ग्रामीण और कृषि क्षेत्र की अनदेखी करने का आरोप लगा रहा है और पिछले हफ्ते बड़ी तादाद में देशभर से आए किसानों ने दिल्ली में प्रदर्शन किया है।
जेटली ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने 26 मई 2014 को कार्यभार संभाला था और ऐसा नहीं है कि कृषि क्षेत्र पर संकट उसके बाद खड़ा हुआ हो। हकीकत यह है कि कांग्रेस पार्टी ने कृषि क्षेत्र में पर्याप्त संसाधनों का निवेश नहीं किया जिसके चलते कृषि संकट खड़ा हुआ है। एनडीए सरकार ने ग्रामीण जीवन की गुणवत्ता सुधारने के लिए बहुपक्षीय नीति अपनायी है।
जेटली ने कहा कि कृषि संकट दूर करने और ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर सुधारने का काम महज नारेबाजी से नहीं किया जा सकता। 1971 से ही कांग्रेस की नीति संसाधन देने के बजाय नारेबाजी करने की रही है। एनडीए सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों का निवेश किया है। इन संसाधनों से ढांचागत सुविधाएं बेहतर हो रही हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार आ रहा है और कृषि उत्पादकता में सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने नीतिगत उपाय किए हैं।
जेटली ने कहा कि विगत चार वर्ष बस एक शुरुआत भर हैं। अगर ग्रामीण क्षेत्रों में निवेश का मौजूदा स्तर दो दशक तक कायम रहता है और इसमें सालाना वृद्धि होती रहती है तो गांवों में भी शहरों जैसी ढांचागत सुविधाएं मिलना संभव हो जाएगा।
जेटली ने कहा कि मोदी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर सुधारने के लिए स्वच्छ भारत कार्यक्रम, ग्रामीण विद्युतीकरण, जन धन योजना, उज्जवला योजना और मुद्रा योजना जैसे कार्यक्रम शुरु किए हैं। इसके अलावा कृषि, पशुपालन और दुग्ध उद्योग जैसे क्षेत्रों पर सरकारी व्यय बढ़ाया है।