मप्र की सियासत में बढ़ी उमा भारती की अहमियत, कांग्रेस के एक-दो और विधायक छोड़ सकते हैं पार्टी
पिछले कुछ माह से उमा की सक्रियता धीरे-धीरे बढ़ी लेकिन उनकी अब बड़े नेताओं द्वारा नोटिस ली जा रही है।
आनन्द राय, भोपाल। अपने विद्रोही स्वभाव के चलते मध्य प्रदेश की सियासत से दूर हो चलीं पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती अब फिर यहां तेजी से दखल देने लगीं हैं। राज्य में उनकी अहमियत भी उसी अनुपात में बढ़ी है और पार्टी के दिग्गज नेता उनके दर तक पहुंचने लगे हैं। विधानसभा की 25 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिहाज से तो यह अहम है ही, भविष्य के नए समीकरण की आहट भी है।
कांग्रेस के एक-दो और विधायक उमा भारती के संपर्क में
कहते हैं कि उमा के संपर्क में कांग्रेस के एक-दो और विधायक हैं जो अपनी पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो सकते हैं। हाल में उमा के प्रयास से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए और उन्हें उसी शाम शिवराज सरकार ने कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया।
उमा भारती ने मंत्रिमंडल में जातीय संतुलन बिगड़ने पर सनसनी फैला दी थी
शिवराज सरकार के मंत्रिमंडल के विस्तार के समय उमा भारती ने तीखी टिप्पणी कर सनसनी फैला दी थी। उन्होंने मंत्रिमंडल में जातीय संतुलन बिगड़ने और अपने सुझावों की अनदेखी की भी बात कही थी। इसके बाद ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उमा से संपर्क साधा और विधायक लोधी को कांग्रेस से तोड़ने और उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिए जाने की भूमिका रची गई। इस घटना ने यह साबित किया कि अब मध्य प्रदेश में उमा भारती के हस्तक्षेप का मतलब है। इसके पहले विकास दुबे के आत्मसमर्पण और गिरफ्तारी पर भी सवाल उठाकर उन्होंने अपनी ओर ध्यान खींचा था।
सिंधिया एयरपोर्ट से उतरकर सीधे उमा के घर गए
मप्र में उमा की बढ़ती अहमियत का अंदाजा तब और हुआ जब गत दिवस भोपाल के एक दिवसीय दौर में आए पूर्व केंद्रीय मंत्री व राज्यसभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया एयरपोर्ट से उतरकर सीधे उमा भारती से मिलने उनके आवास पर पहुंच गए। भाजपा में आने से पहले भी उमा और सिंधिया की एक मुलाकात चर्चा का विषय बनी थी। इस बीच कई विधायक और पूर्व मंत्रियों ने उमा भारती से मुलाकात का सिलसिला शुरू कर दिया है। यहां तक कि अपनी शादी की साल गिरह पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह भी उनका आशीर्वाद लेने पहुंची थी।
उमा की सक्रियता को लेकर अब बड़े नेताओं के रडार पर
देखा जाय तो पिछले कुछ माह से उमा की सक्रियता धीरे-धीरे बढ़ी, लेकिन उनकी अब बड़े नेताओं द्वारा नोटिस ली जा रही है। भाजपा मध्य प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय कहते हैं कि उमा भारती राज्य की वरिष्ठतम नेता हैं और प्रदेश में उनका प्रभाव है। स्वाभाविक रूप से महत्वपूर्ण फैसलों से पहले उनकी राय ली जाती है।
सियासी उतार-चढ़ाव के दौर से गुजरी हैं उमा
आठ दिसंबर, 2003 को भोपाल के लाल परेड मैदान पर मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले उमा भारती ने विधायक दल की बैठक में नेता चुने जाने के बाद यह कहा था कि अगर कोई विधायक मुख्यमंत्री के लिए दूसरा नाम प्रस्तावित करना चाहे तो वह सहयोग करेंगी। उमा के अलावा और कोई नाम नहीं आया, लेकिन उमा तब यह बताने में सफल हुई थीं कि उनके नाम पर सर्वसम्मति है, लेकिन एक दिन ऐसा आया कि उनका विरोध शुरू हो गया। परिस्थिति ऐसी बनी कि उन्होंने 21 अगस्त 2004 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। यूं तो उमा की पसंद के बाबूलाल गौर को ही अगला सीएम बनाया गया, लेकिन धीरे-धीरे खटास बढ़ने लगी।
उमा ने 2005 को अमरकंटक पहुंचकर विद्रोह का बिगुल बजा दिया था
उमा ने 21 अप्रैल, 2005 को अमरकंटक पहुंचकर विद्रोह का बिगुल बजा दिया। कुछ समय बाद उन्होंने भाजपा छोड़ने का एलान कर दिया। वह अयोध्या तक राम रोटी यात्रा लेकर निकलीं। पार्टी ने उनकी अनदेखी कर दी और अंतत: उन्होंने 30 अप्रैल 2006 को उज्जैन में भारतीय जनशक्ति पार्टी का गठन कर दिया। दिग्विजय सिंह की सरकार उखाड़ने के लिए 2003 में भी उज्जैन से ही यात्रा प्रारंभ की थी। 2008 में उनकी पार्टी ने 213 सीटों पर चुनाव लड़ा और मात्र छह सीटों पर जीत हुई। इसका सीधा लाभ शिवराज सिंह चौहान को हुआ। बाद में आने वाली चुनौतियों ने उमा को बहुत कमजोर कर दिया। उन्हें भाजपा में वापसी का निर्णय लेना पड़ा। उन्होंने इसके लिए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से संपर्क साधा और बात बन गई।