वित्तीय धोखाधड़ी के आरोप में ICCW के खिलाफ FIR दर्ज, 21 बहादुर बच्चों को भुगतना पड़ा खामियाजा
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने वित्तीय धोखाधड़ी आरोप में ICCW के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई है। ICCW विवाद के कारण इस साल बाल वीरता पुरस्कार से सम्मानित 21 बच्चों को गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल नहीं किया जाएगा।
नई दिल्ली, एएनआइ। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने वित्तीय धोखाधड़ी आरोप में ICCW के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई है। ICCW विवाद के कारण इस साल बाल वीरता पुरस्कार से सम्मानित 21 बच्चों को गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल नहीं किया जाएगा।
61 साल में पहली बार वीरता पुरस्कार के लिए चुने गए बच्चे राजपथ पर परेड नहीं करेंगे। 1957 से लगातार वीरता पुरस्कार से सम्मानित बच्चे 26 जनवरी की परेड में शामिल होते आए हैं। लेकिन वीरता पुरस्कार के लिए बच्चों को चुनने वाली इंडियन काउंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर (ICCW ) पर वित्तीय गड़बड़ी के आरोप का साया बच्चों की परेड में छा गया है।
बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने काउंसिल पर सवाल उठाए थे। जिसके बाद महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने खुद को काउंसिल से अलग कर लिया। जिसका खामियाजा देश के 21 बहादुर बच्चों को भुगतना पड़ रहा है।
- ICCW ने 1957 से बच्चों को बाल वीरता पुरस्कार के लिए चुनने की शुरुआत की थी।
- अबतक 963 बहादुर बच्चों को वीरता पुरस्कार मिल चुका है।
- जिनमें 680 लड़के और 283 लड़कियां शामिल हैं।
सरकार हर साल पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर मनाए जाने वाले राष्ट्रीय बाल दिवस पर मेधावी बच्चों को नेशनल अवॉर्ड फॉर चिल्ड्रेन देती रही है। हालांकि, इस बार इन पुरस्कारों का नाम बदलकर प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार कर दिया गया है। इसके लिए 26 बच्चों का चयन हुआ है। इन्हीं बच्चों को गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने का मौका मिलेगा। इसमें पहले पांच श्रेणियां थीं, इस बार बहादुरी की श्रेणी भी जोड़ी गई है। बहादुरी की श्रेणी में तीन बच्चे चुने गए हैं। इनमें दो मध्यप्रदेश से हैं और एक कर्नाटक से है।