POS से है जुदा इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक, लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं, आप भी जानें
देश के ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में पहले से कायम डाक विभाग के माध्यम से आइपीपीबी की शुरुआत वाकई में एक अनूठी पहल है। इसके जरिये बैंकिंग व्यवस्थाओं से वंचित बड़ी आबादी को यह सुविधा हासिल हो सकती है।
सतीश सिंह। देश के गरीब-गुरबों को वित्तीय प्रणाली से जोड़ने के लिए गत शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की शुरुआत की। इसकी 650 शाखाएं और 3250 केंद्र बनाए जाएंगे। सभी 1.55 लाख डाक घरों को इससे 31 दिसंबर, 2018 तक जोड़ दिया जाएगा। इस कदम से देश के सुदूर इलाकों को भी बैंकिंग सेवा से जोड़ा जा सकेगा।
एक समान ब्याज
डाकघरों में पहले से ही लोगों को बचत खाता खोलने की सुविधा है। दोनों में चार फीसद तिमाई ब्याज दर भी समान है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के तहत खोला गया कोई बचत खाता डाकघरों में पहले से खोले गए बचत खाते से अलग कैसे हैं। पेश है एक नजर:
इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आइपीपीबी) बचत खाता
जीरो बैलेंस के साथ खोल सकते हैं बचत खाता। इसके साथ अन्य सभी सहूलियतें मिलती रहेंगी। किसी प्रकार का अतिरिक्त चार्ज नहीं चुकाना होगा।
खाताधारकों को बचत खातों में न्यूनतम राशि बनाए रखने की आवश्यकता नहीं है।
तीन प्रकार के बचत खाते हैं, नियमित, डिजिटल और बेसिक।
बचत खाते में 1 लाख रुपये से ज्यादा जमा की गई राशि अपने
आप उससे जुड़े व्यक्ति के डाकघर के बचत खाते में चली जाएगी।
घर तक बैंक सेवा, लेकिन अतिरिक्त भुगतान करना होगा।
डाक घर बचत खाता (पीओएसए)
बचत खाता खोलने के लिए न्यूनतम 20 रुपये की आवश्यकता होती है। वहीं चेक सुविधा के साथ खाता खोलने के लिए न्यूनतम 500 रुपये की जरूरत।
खाताधारकों को 50 रुपये प्रति माह (चेक सुविधा के बिना) और 500 रुपये (चेक सुविधा के साथ) की न्यूनतम राशि बनाए रखनी होगी।
सामान्य बचत खाता
खाते में राशि जमा करने की कोई सीमा नहीं। कोई भी व्यक्ति कितनी भी धनराशि जमा कर सकता है।
घर तक बैंक सेवा का नहीं प्रावधान।
इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (आइपीपीबी) एक सितंबर 2018 से अस्तित्व में आ चुका है। इस बैंक में 100 प्रतिशत हिस्सेदारी सरकार की होगी। माना जा रहा है कि यह बैंक पेशेवर तरीके से संचालित किया जाएगा। इस काम में मौजूदा डाक कर्मचारी सहयोग करेंगे। सरकार का लक्ष्य 31 दिसंबर तक देश के सभी 1.55 लाख भारतीय डाक से आइपीपीबी को जोड़ना है। आइपीपीबी को मजबूती देने के लिए सरकार ने बजट राशि को बढ़ाकर 14.35 अरब रुपये कर दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस बैंक के लिए 6.35 अरब रुपये की अतिरिक्त राशि भी मंजूर की है, जिसमें से चार अरब रुपये प्रौद्योगिकी पर और 2.35 अरब रुपये मानव संसाधन पर खर्च किए जाएंगे। पहले इसके लिए आठ अरब रुपये आवंटित किए गए थे।
यह बैंक बचत एवं चालू खाता, पैसों का हस्तांतरण, बिल और यूटिलिटी भुगतान आदि सेवाएं ग्राहकों को उपलब्ध कराएगा। ये सुविधाएं शाखा में काउंटर पर, माइक्रो एटीएम, मोबाइल एप, इंटरनेट बैंकिंग, आइवीआर आदि के जरिये ग्राहकों को उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अलावा यह प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण, पेंशन आदि की सुविधाएं भी उपलब्ध कराएगा। आइपीपीबी खाता खोलते समय ग्राहकों को एक क्यूआर कोड दिया जाएगा, जिससे ग्राहकों को खाता संख्या याद रखने की जरूरत नहीं होगी। क्यूआर कोड की मदद से ग्राहक कई दूसरे तरह के वित्तीय लेनदेन भी कर सकेंगे। इस सुविधा की मदद से आइपीपीबी ग्राहकों को लुभा सकता है। इन सुविधाओं को ग्राहकों तक पहुंचाने के लिए डाकियों को जरूरी उपकरण और स्मार्टफोन दिए जाएंगे।
व्यावसायिक बैंक से इतर स्वरूप
भुगतान बैंक का स्वरूप व्यावसायिक बैंक से अलग होगा। मौजूदा बैंक नकदी जमा और निकासी पर नाममात्र का शुल्क लेते हैं, क्योंकि वे जमा राशि का उपयोग ब्याज या सूद पर कर्ज देने में करते हैं, जबकि भुगतान बैंक जमा राशि का इस्तेमाल कर्ज देने में नहीं कर सकेंगे। रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार भुगतान बैंक में चालू एवं बचत खाता के तहत एक लाख रुपये तक की जमाएं स्वीकार की जा सकेंगी लेकिन क्रेडिट कार्ड एवं कर्ज देने की अनुमति इसे नहीं होगी। इस बैंक को एक साल तक की परिपक्वता वाले सरकारी बॉन्डों में उनकी मांग का न्यूतनम 75 प्रतिशत निवेश करना अनिवार्य होगा, जबकि अधिकतम 25 प्रतिशत जमाएं बैंकों के सावधि व मियादी जमाओं के रूप में रखी जा सकेगी।
मुनाफे के लिए लेनदेन पर शुल्क
आइपीपीबी लाभ अर्जित करने के लिए लेन-देन पर शुल्क आरोपित करेगा। देश में ग्रामीण इलाकों में पर्याप्त बैंकिंग सुविधाएं नहीं है। इस आधार पर आइपीपीबी उम्मीद कर रहा है कि बैंकिंग कारोबार में तीन प्रतिशत की दर से लेन-देन शुल्क लगाकर वह हजारों करोड़ रुपये हर साल कमा सकेगा। विगत एक साल में भारतीय डाक विभाग ने 27,215 डाकघरों को कोर बैंकिंग नेटवर्क के जरिये आपस में जोड़ा है। शेष डाकघरों को भी इस नेटवर्क से जोड़ने का कार्य चल रहा है। आइपीपीबी के विस्तार के लिए एक विशेषज्ञ संस्था द्वारा सुझाए गए हाइब्रिड मॉडल पर काम किया जा रहा है। इसके तहत मौजूदा डाककर्मी आइपीपीबी की शाखाओं का संचालन करेंगे। आइपीपीबी महानगरों और राज्यों की राजधानियों सहित दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में शाखाएं खोलेगा। ग्रामीण इलाकों में शाखाओं को खोलना इसकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है।
बैंकिंग यात्रा पर एक नजर
वर्ष 2013 में भारतीय डाक ने बैंकिंग क्षेत्र में कदम रखने की योजना बनाई थी। अगस्त 2015 में इसे सैद्धांतिक रूप से लाइसेंस देना रिजर्व बैंक ने मंजूर कर लिया था। आइपीपीबी को वर्ष 2017 में ही शुरू करने की योजना थी लेकिन किन्हीं कारणों से ऐसा नहीं हो सका पर सितंबर 2017 में सरकार ने साफ कर दिया कि इस बैंक की शुरुआत वर्ष 2018 में हो जाएगी। पहले आइपीपीबी 50 शाखाओं के साथ बैंकिंग कारोबार शुरू करना चाहता था। उसने नये बैंक खोलने से जुड़ी शर्तो से जुड़ी औपचारिकताओं को पूरा भी कर लिया था। आइपीपीबी के आधुनिकीकरण और बैंकिंग सेवा को बेहतर बनाने के लिए इन्फोसिस, टीसीएस, सिफी, रिलायंस आदि कंपनियों के साथ करार किया गया था। वित्तीय प्रणाली में सुधार की जिम्मेदारी इन्फोसिस को दी गई थी। कोर सिस्टम इंटीग्रेटर का काम टीसीएस, डाटा सेंटर का काम रिलायंस और नेटवर्क का काम सिफी को सौंपा गया था।
व्यावसायिक बैंकों को चुनौती
अनुमान है कि आइपीपीबी से मौजूदा सभी बैंकों को जबर्दस्त चुनौती मिलेगी, क्योंकि वित्तीय समावेशन एवं अन्य सामाजिक सरोकारों को पूरा करने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। साथ ही सूचना एवं प्रौद्योगिकी, परिचालन से जुड़े जोखिम, बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करने, बढ़ती प्रतिस्पर्धा का मुकाबला करने एवं ग्राहकों की अनंत इच्छाओं को पूरा करने में भी यह समर्थ है।
भारतीय डाक की ताकत
भारतीय डाक की स्थापना एक अप्रैल 1854 में की गई थी। इसकी स्थापना के 150 से ज्यादा साल हो गए हैं। 31 मार्च 2016 तक इसमें 4,48,840 कर्मचारी कार्यरत थे। आजादी के वक्त भारतीय डाक शाखाओं की संख्या 23,344 थी जो 31 मार्च 2014 तक बढ़कर 1,54,882 हो गई, जो सभी वाणिज्यिक बैंकों की शाखाओं से लगभग दोगुना थी। उल्लेखनीय है कि इनमें से 89.86 प्रतिशत यानी 1,39,182 शाखाएं ग्रामीण इलाकों में थीं। सुदूर ग्रामीण इलाकों में भारतीय डाक की गहरी पैठ है। ग्रामीणों का इस पर अटूट भरोसा है। ग्रामीण इलाकों में डाककर्मी चौबीस घंटे सेवा देते हैं। अमूमन वे भारतीय डाक का संचालन घर से करते हैं। ऐसे व्यावहारिक स्वरूप के कारण ही 31 मार्च 2007 तक भारतीय डाक में कुल 3,23,781 करोड़ रुपये जमा किये गये थे जो दिसंबर 2014 में बढ़कर छह लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गए थे।
वित्तीय समावेशन में सहायक
मौजूदा समय में ग्रामीण इलाकों में प्र्याप्त संख्या में बैंकों की शाखाएं नहीं हैं। जहां बैंक की शाखा है वहां भी सभी लोग बैंक से नहीं जुड़ पाए हैं। इसलिए कुछ सालों से वित्तीय समावेशन की संकल्पना को साकार करने की दिशा में डिपार्टमेंट ऑफ फाईनेंशियल सर्विसेज, डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स, डिपार्टमेंट ऑफ पोस्ट और इनवेस्ट इंडिया इकोनॉमिक फाउंडेशन के द्वारा काम किया जा रहा है। हालांकि बीते दिनों देशभर में अभियान के तहत बड़ी संख्या में लोगों क बैंकिंग खाते खोले गए हैं लेकिन एक बड़ी ग्रामीण आबादी अब भी इसके दायरे से बाहर है। बीपीएल वर्ग में केवल 18 प्रतिशत के पास ही बैंक खाता है। फिलहाल सार्वजानिक क्षेत्र के बैंकों की कुल शाखाओं का 40 प्रतिशत ग्रामीण इलाकों में है।
सरकार चाहती है कि आइपीपीबी की सेवाओं का लाभ कमजोर तबके तक पहुंचे। निजी, सरकारी और विदेशी बैंक वित्तीय समावेशन की संकल्पना को साकार नहीं कर पा रहे हैं। मौजूदा समय में देश के कमजोर और वंचित तबके को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाए बिना देश के समुचित विकास को सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है। आजादी के 70 सालों के बाद भी देश की आबादी का एक बड़ा तबका अपनी वित्तीय जरूरतों को पूरा करने के लिए महाजन, साहूकार आदि पर निर्भर है, जबकि वे गरीबों का शोषण कर रहे हैं जिसके कारण अक्सर आत्महत्या के मामले प्रकाश में आते हैं। सरकार को उम्मीद है कि आइपीपीबी अपने बड़े नेटवर्क और मानव संसाधन की मदद से वित्तीय समावेशन को अमलीजामा पहनाने और लोगों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने की दिशा में प्रभावी भूमिका निभाएगा।
(लेखक बैंकिंग मामलों के जानकार हैं)