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पीएम मोदी के साहस, उत्साह और आशा के सौ दिन, राजनीतिक सेनापति के साथ उठाए ठोस कदम

स्वतंत्रता के बाद अब जाकर पूर्णत भारत का एकीकरण हुआ है। 2022 में नए भारत के निर्माण के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है लेकिन सौ दिन भरोसा दिलाता है। eksnh d

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 08:05 PM (IST)Updated: Sun, 08 Sep 2019 01:25 AM (IST)
पीएम मोदी के साहस, उत्साह और आशा के सौ दिन, राजनीतिक सेनापति के साथ उठाए ठोस कदम
पीएम मोदी के साहस, उत्साह और आशा के सौ दिन, राजनीतिक सेनापति के साथ उठाए ठोस कदम

प्रशांत मिश्र [ त्वरित टिप्पणी ]। चंद्रयान-2 की पूर्ण सफलता में आए संशय ने जब पूरे देश को मायूस कर दिया है तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो प्रमुख को गले लगाकर जिस तरह पूरे वैज्ञानिक समुदाय को ढाढस दिया वह बहुत कुछ कहता है। दरअसल, देश के मुखिया का यही व्यवहार होना चाहिए। हताश हुए बिना आगे बढ़ते रहने की चाह। आशा से लबरेज होकर लगातार कोशिश करते रहने की दृढ़शक्ति। साहस के साथ उठकर आगे बढ़ने की ललक।

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मोदी सरकार का साहसिक परिचय

चंद्रयान के 47 दिन के सफर को लेकर जहां कयास और शुभेच्छा का दौर जारी है वहीं मोदी सरकार के सौ दिन को भी तराजू पर कसा जा रहा है। वैश्विक मंदी के असर के कारण जहां आलोचक उपलब्धियों को नजरअंदाज कर रहे हैं वहीं इस सच्चाई से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि सरकार ने फिर से साहस का परिचय दिया है।

मोदी सरकार का दूसरा कार्यकाल बना यादगार

इन सौ दिनों ने यह भरोसा बढ़ा दिया है कि दूसरा कार्यकाल जो अनुच्छेद 370, तीन तलाक जैसे कदमों के कारण पहले ही यादगार बन चुका है, शायद भारत के अब तक के सफर में सफलतम साबित होगा।

डबल इंजन की सरकार

कहा जा सकता है कि यह डबल इंजन की सरकार है जिसमें प्रधानमंत्री मोदी को अपने राजनीतिक सेनापति अमित शाह का भी साथ मिल गया है। और ऐसे में यह माना जा सकता है कि देश कई बड़े व साहसिक बदलाव देखेगा।

मोदी सरकार ने उठाए ठोस कदम

यह बताने की जरूरत नहीं है कि कश्मीर या फिर आतंकवाद या तीन तलाक को लेकर जो फैसले हुए हैं और राजनीतिक सीमाओं को तोड़कर उसे जो समर्थन मिला है उसका क्या महत्व है। भाजपा के राजनीतिक विस्तार के लिए भी और देश व समाज में बदलाव के लिहाज से भी। इन कदमों ने देश की छवि बदल दी। किसी भी स्तर पर देश साफ्ट पावर नहीं है। भारत को किस दिशा में चलना है कि राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय दबाव में फैसला नहीं होगा।

लाल किले की प्राचीर से खींचा था भविष्य का खाका

प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से भविष्य का भी खाका खींच दिया है। जिसमें जनसंख्या से लेकर प्रदूषण तक, स्वस्थ जीवन से लेकर अर्थव्यवस्था तक हर पहलू पर विचार रखा गया था। यह भविष्य का खाका था। पिछले कार्यकाल में भी प्रधानमंत्री ने मजबूती से बड़े सुधार किए थे, लेकिन दूसरे कार्यकाल ने अचंभित कर दिया है।

मोदी के राजनीति के चाणक्य बने अमित शाह

इसका एक कारण शायद यह है कि मोदी के विश्वस्त तथा राजनीति के चाणक्य, माइक्रो मैनेजमेंट के गुरु माने जाने वाले अमित शाह अब सरकार का हिस्सा हैं। वह प्रधानमंत्री की भावनाओं को समझते भी हैं और बखूबी उसे जमीन पर उतारते भी हैं।

शाह राजनीति के ही नहीं बल्कि प्रशासन के भी मास्टर हैं

प्रधानमंत्री मोदी अनुच्छेद 370 की विदाई चाहते थे और सौ फीसद आश्वस्त होना चाहते थे कि कोई बाधा न खड़ी हो। शाह ने बतौर गृहमंत्री उसे पूरा कर दिया। सौ दिनों में शाह ने सरकार के अंदर भी और जनता के बीच भी यह साबित कर दिया है कि वह केवल राजनीति के ही नहीं बल्कि प्रशासन के भी मास्टर हैं।

शाह पर है विश्वास

सरकार के अंदर कई बड़े और अहम मंत्री समूहों के अध्यक्ष के तौर पर शाह को नियुक्त किया गया है तो सिर्फ इसीलिए कि प्रधानमंत्री की इच्छा के अनुरूप तेजी भी आए और स्पष्टता भी।

कालेधन के खिलाफ एसआइटी का गठन

कालेधन के खिलाफ एसआइटी के गठन के फैसले से पहले कार्यकाल की शुरूआत करने वाली मोदी सरकार का भ्रष्टाचार के खिलाफ रवैया दूसरे कार्यकाल में भी सख्त रहा। पहले सौ दिनों में ही आयकर और कस्टम विभाग के 49 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत कर सरकार ने साफ कर दिया कि संदिग्ध क्रियाकलापों वाले अधिकारियों के लिए अब कोई जगह नहीं है। इन विभागों के भ्रष्ट अधिकारियों द्वारा ईमानदारी से टैक्स देने वाले उद्योगपतियों और व्यापारियों को प्रताडि़त करने की भी शिकायतें भी सामने आती थीं। भ्रष्टाचारियों के दिलो दिमाग में अब शासन के प्रति भय उत्पन्न हो गया है।

स्विटजरलैंड की बैंकों में जमा धन की जानकारी

टैक्स हैवन माने जाने वाले देशों के बैंकों में जमा काले धन की समस्या से निपटना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती मानी जाती थी। इनमें स्विटजरलैंड के बैंक सबसे अधिक बदनाम थे। इसी हफ्ते से स्विटजरलैंड के बैंकों में जमा भारतीयों के धन की रियल टाइम जानकारी भारत को मिलने लगी है।

कालाधन छुपाना असंभव

जाहिर है अब किसी के लिए स्विटजरलैड के बैंक में कालाधन छुपाना असंभव बन गया है। एक तरफ जहां सामाजिक बदलाव, गरीबों के लिए योजनाएं, किसानों और व्यापारियों के लिए सुरक्षा कवच का इंतजाम किया गया वहीं आतंकवाद और भ्रष्टाचार निशाने पर रहा।

2022 में नए भारत का निर्माण

स्वतंत्रता के बाद अब जाकर पूर्णत: भारत का एकीकरण हुआ है। 2022 में नए भारत के निर्माण के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है, लेकिन सौ दिन भरोसा दिलाता है।

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