राज्य सरकारों की मंजूरी बगैर नहीं मिलेगी भारतीय नागरिकता : गृह मंत्रालय
भारतीय नागरिकता के लिए दिए गए प्रत्येक आवेदन पर संबंधित उपायुक्त या जिला मजिस्ट्रेट के जरिए इस बारे में पूछताछ होगी। आवश्यक कार्रवाई के बाद रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप देंगे।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि राज्य सरकार की मंजूरी के बगैर किसी भी विदेशी को भारतीय नागरिकता प्रदान नहीं की जाएगी। ऐसा मंत्रालय ने कुछ राज्य सरकारों के नागरिकता (संशोधन) विधेयक के एक अंश पर चिंता जताने के बाद कहा है।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अशोक प्रसाद ने मंगलवार को कहा कि भारतीय नागरिकता के लिए दिए गए प्रत्येक आवेदन पर संबंधित उपायुक्त या जिला मजिस्ट्रेट के जरिए इस बारे में पूछताछ होगी। फिर वह अपनी आवश्यक कार्रवाई करके रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप देंगे। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार को भी अपनी एजेंसियों के मार्फत जांच करानी होती है। तभी किसी व्यक्ति को भारतीय नागरिकता दी जा सकती है। राज्य सरकार की सिफारिश के बगैर यह संभव ही नहीं है।
बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले छह अल्पसंख्यक समुदायों जैसे हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसी और ईसाई लोगों को ही इस नए नागरिकता कानून के तहत भारत की नागरिकता मिल सकती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि ऐसे जो लोग पूर्वोत्तर के अलावा भारत में कहीं भी और बसना चाहेंगे भारत सरकार उन्हें इसके लिए लाभांवित भी करेगी।
उल्लेखनीय है कि पूर्वोत्तर में बड़े पैमाने पर संगठन और लोग इस बिल का विरोध कर रहे हैं। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह कह चुके हैं कि यह विधेयक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होगा। पड़ोसी देशों में धर्म के आधार पर दंडित किए गए इन लोगों को बसाने का बोझ पूरा देश उठाएगा। अकेले असम को इसका पूरा बोझ नहीं उठाना होगा।