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जम्मू-कश्मीर में आम चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव पर नहीं कोई ऐतराज-राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर चुनाव आयोग (आम चुनावों के साथ-साथ) राज्य में चुनाव कराना चाहता है, तो हमारी सरकार को कोई आपत्ति नहीं होगी।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 06:49 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jan 2019 08:41 PM (IST)
जम्मू-कश्मीर में आम चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव पर नहीं कोई ऐतराज-राजनाथ सिंह
जम्मू-कश्मीर में आम चुनाव के साथ विधानसभा चुनाव पर नहीं कोई ऐतराज-राजनाथ सिंह

नई दिल्ली, पीटीआइ। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने को लेकर स्थिति साफ की और कहा कि यदि चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा का भी चुनाव कराने को तैयार है, तो सरकार को कोई आपत्ति नहीं होगी। केंद्र सरकार आयोग की मांग के मुताबिक पर्याप्त सुरक्षा बल उपलब्ध कराने को तैयार है। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया, चुनाव कहां और कब कराना है यह फैसला चुनाव आयोग का होता है। जम्मू-कश्मीर में फिलहाल राष्ट्रपति शासन है।

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गृहमंत्री गुरूवार को राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाने के प्रस्ताव पर हो रही चर्चा पर जवाब दे रहे थे। इस दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए पूछा कि जम्मू-कश्मीर में कब तक चुनाव होंगे? उन्होंने कहा कि यह वह इसलिए पूछ रहे है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर के चुनाव में केंद्र सरकार की भूमिका काफी अहम होती है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रस्ताव राज्यसभा में भी पारित हो गया।

लोकसभा यह पिछले दिनों ही पारित हो चुका है। इससे पहले गृहमंत्री ने चर्चा पर जवाब देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर की बेहतरी के लिए उनकी सरकार लगातार काम कर रही है। पंचायतों और नगरीय निकायों को मजबूत बनाने का एक बड़ा फैसला लिया गया है, जिससे उन्हें पहले के मुकाबले दस गुना ज्यादा वित्तीय अधिकार दिए गए है। जो देश के बाकी राज्यों के लिए भी आदर्श व्यवस्था है। उन्होंने इस दौरान हुर्रियत कांफ्रेंस के साथ बातचीत न करने के विपक्ष के आरोपों को गलत बताया और कहा कि उनकी ओर से बातचीत की कई कोशिशें की गई है। लेकिन उनकी ओर से ही बातचीत के दरवाजे बंद किए गए।

राजनाथ सिंह ने इस दौरान विपक्ष के जम्मू-कश्मीर में आतंकी घटनाएं के बढ़ने के सवाल का भी जवाब दिया और कहा कि पहले के मुकाबले इनमें भारी कमी आयी है। उन्होने इस दौरान सरकार पर जोड़-तोड़ करने के आरोप को भी खारिज किया। साथ ही कहा कि राष्ट्रपति शासन लगाने का भी फैसला तब लिया गया है, जब वहां सभी राजनीतिक दलों से चर्चा के बाद किसी ने भी सरकार बनाने को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। चर्चा में सभी दलों के सदस्यों ने हिस्सा।

इतिहास बताएगा जम्मू-कश्मीर पर मुखर्जी सही थे या नेहरू : जेटली
जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन के मुद्दे पर राज्यसभा में गुरूवार को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर को लेकर जब भी इतिहास में जाएंगे, तब पता चलेगा कि इसे लेकर श्यामा प्रसाद मुखर्जी की नीति सही या फिर पंडित जवाहर लाल नेहरू की। निश्चित ही इस मामले में मुखर्जी की नीति सही है।

सरकार की ओर से पलटवार करते हुए जेटली ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आजाद को जवाब दिया और कहा कि कश्मीर की समस्या कांग्रेस की लगातार गलत नीतियों का नतीजा हैं, जिनसे कांग्रेस को कभी मुक्ति नहीं मिलेगी। उन्होंने कहा कि हम पर आरोप लगाए जा रहे है, कि कश्मीर की स्थिति के हम जिम्मेदार है। साढे चार साल में आंतकवाद बढ़ा गया। उन्होंने इस दौरान कांग्रेस के उन सारे कामों को एक-एक कर गिनाया, जो जिसके चलते यह समस्या इस स्थिति तक पहुंची। कांग्रेस के उस समय के सरकार बनाने और चुनाव के खेल भी बताए।

राज्यसभा में इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इन चार साल में सबसे ज्यादा संघर्ष विराम तोड़ा गया और उससे सीधे स्थानीय नागरिकों की जानें गई। आतंकवाद हाल के साढे चार सालों में अपने चरम पर पहुंच गया है। उन्होंने इस दौरान भाजपा पर तोड़-फोड़ की कोशिश कर सरकार बनाने का आरोप भी लगाया।


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