लद्दाख को आदिवासी क्षेत्र का दर्जा देने को राजी केंद्र सरकार, 11 सितंबर को अंतिम निर्णय
चार सितंबर को हुई बैठक में गृह विधि और जनजाति मंत्रालय सहित एनसीएसटी ने लद्दाख को आदिवासी क्षेत्र का दर्जा देने पर सहमति जताई है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। गृह, विधि और जनजाति मामलों के मंत्रालय सहित अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) लद्दाख के लिए 'आदिवासी इलाके' के दर्जे की अनुशंसा करने वाले एक प्रस्ताव पर 'मोटे तौर पर' राजी है। एनसीएसटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस मुद्दे पर चार सितंबर को मंत्रालय और आयोग के प्रतिनिधियों के बीच चर्चा हुई।
अधिकारी ने कहा, 'मोटे तौर पर हर कोई लद्दाख के लिए आदिवासी इलाके के दर्जे की अनुशंसा करने वाले प्रस्ताव पर राजी है। बैठक के दौरान पांचवीं और छठी अनुसूची के विभिन्न प्रावधानों पर पर चर्चा हुई। इस मामले पर अंतिम निर्णय 11 सितंबर को लिया जाएगा।' लद्दाख को 'आदिवासी क्षेत्र' का दर्जा देने के लिए क्षेत्र के नेताओं की बढ़ती मांग के बीच यह बैठक हुई है। बता दें कि छठी अनुसूची असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम राज्यों में आदिवासी इलाकों को स्वायत्त जिला और क्षेत्रीय परिषद गठित करके प्रशासन मुहैया कराती है।
बता दें कि लद्दाख के लोगों ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को समाप्त करने और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने के केंद्र के फैसले का स्वागत किया था। हालांकि साथ ही आशंका जताई थी कि बाहरी लोगों के आने से क्षेत्र की जनसांख्यिकी बदल जाएगी और उनकी संस्कृति तथा पहचान पर खतरा उत्पन्न हो जाएगा।
आयोग ने पहले कहा था कि वह यह भी जानना चाहता है कि मुख्यत: आदिवासी आबादी वाले केंद्र शासित प्रदेशों को आदिवासी क्षेत्र क्यों घोषित नहीं किया गया चाहे वह अंडमान-निकोबार हो, लक्षद्वीप हो या दादरा-नगर हवेली हो। आदिवासी मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा को अगस्त में दिए एक ज्ञापन में लद्दाख से भाजपा सांसद जामयांग सेरिंम नांग्याल ने कहा था कि यह क्षेत्र मुख्यत: आदिवासी इलाका रहा है। इसकी 98 फीसद आबादी आदिवासी है। लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद के अध्यक्ष ग्याल पी वांग्याल ने भी मुंडा से कहा था कि 'अब उनकी एक ही मांग है कि लद्दाख को छठी अनुसूची के तहत लाया जाए ताकि उनकी भूमि संरक्षित रहे।'