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ऑनलाइन फॉलोइंग के मामले में पीएम मोदी सबसे आगे, ट्विटर पर हिंदी की बल्‍ले-बल्‍ले

ऑनलाइन फॉलोइंग के मामले में पीएम नरेंद्र मोदी सबसे आगे हैं। वहीं, जनवरी से अप्रैल 2018 के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के ट्वीट के औसत ने दूसरे भारतीय राजनेताओं को पीछे छोड़ा है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 11:06 AM (IST)Updated: Fri, 21 Sep 2018 11:15 AM (IST)
ऑनलाइन फॉलोइंग के मामले में पीएम मोदी सबसे आगे, ट्विटर पर हिंदी की बल्‍ले-बल्‍ले
ऑनलाइन फॉलोइंग के मामले में पीएम मोदी सबसे आगे, ट्विटर पर हिंदी की बल्‍ले-बल्‍ले

नई दिल्‍ली। हिंदी भाषा में ट्वीट करना भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। भारत और अमेरिका के शोधकर्ताओं की ओर से किए गए एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। शोध में यह भी कहा गया कि ऑनलाइन फॉलोइंग के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सबसे आगे हैं। वहीं, जनवरी से अप्रैल 2018 के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के ट्वीट के औसत ने दूसरे भारतीय राजनेताओं को पीछे छोड़ा है। शोध के अनुसार 2016 के उत्तरार्ध में भाजपा और कांग्रेस के साथ-साथ क्षेत्रीय पार्टियों के हिंदी में किए गए ट्वीट को बेहतर प्रतिक्रिया मिल रही है, जबकि क्षेत्रीय पार्टियों के अन्य भाषाओं के ट्वीट को उतनी बेहतर प्रतिक्रिया नहीं मिल रही है। पाल ने कहा, इसका एक कारण यह हो सकता है कि इनके ट्वीट में टकराव की शैली आक्रामक होती है, जिससे उनके संदेश लोकप्रियता हासिल करने में सफल रहते हैं। 

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मिशिगन विश्वविद्यालय के जॉयजीत पाल और लिज बोजार्थ की ओर से किए गए अध्ययन में यह पता चला कि भारत में सोशल मीडिया 2014 से विकसित होना शुरू हुआ। उस वक्त ट्विटर पर अधिकांश ट्वीट अंग्रेजी भाषी शहरी आबादी से किए जाते थे। अध्ययन में पाया गया है कि हिंदी भाषा में किए जाने वाले ट्वीट तेजी से शेयर किए जाते हैं और भारत में ज्यादा लोकप्रिय हैं।

इस पूरे रुझान में आए बदलाव का प्रमुख कारक यह है कि औसत रूप से भारतीय राजनेताओं की ओर से बीते साल किए हर 15 री-ट्वीट्स में से 11 हिंदी भाषा के रहे हैं। इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सोशल मीडिया फॉलोइंग के मामले में सबसे आगे है। यू-एम स्कूल ऑफ इन्फॉर्मेशन के सहायक प्रोफेसर और अध्ययन के मुख्य लेखक पाल ने बताया, ‘सोशल मीडिया फॉलोइंग के पैमाने पर सत्तारूढ़ भाजपा सबसे आगे चल रही है, क्योंकि वह केंद्र की सरकार का नेतृत्व कर रही है। वहीं, राजनीतिक लाभ के लिए अन्य पार्टियां भी सोशल मीडिया की भूमिका को समझ रही हैं।

पाल और डॉक्टरेट के छात्र लिज बोजार्थ ने अपने शोध के दौरान 274 राजनेताओं और राजनीतिक अकाउंट्स से संबंधित आंकड़ों को एकत्रित किया। इस दौरान दो बातों का विशेष ध्यान रखा गया कि नेताओं की पार्टी मशीनरी में आधिकारिक पद क्या और उनके कितने फॉलोअर्स हैं। कम से कम 50 हजार फॉलोअर्स वालों को ही शामिल किया गया था। वहीं, सोशल मीडिया पर भाषा का इस्तेमाल राजनेताओं के चुनावी क्षेत्र के लोगों का परिचायक नहीं था, लेकिन इससे यह तो पता चल ही जाता है कि राजनेता किससे ऑनलाइन बात कर रहे थे।

पाल ने कहा, ‘भाषा भी व्यक्त की जा रही भावनाओं का संकेतक हो सकती है। हिंदी में कुछ सबसे ज्यादा री-ट्वीट किए गए संदेशों में कटाक्ष या अपमान का भाव है।’ पाल ने कहा कि यह पिछले शोध की बातों को ही साबित करता है कि अंग्रेजी की तुलना में स्थानीय भाषाएं ज्यादा मजबूती से लोगों की भावनाओं को एक-दूसरे से जोड़ने में सफल रहती हैं। पाल ने यह भी कहा कि अब हम उस युग की तरफ बढ़ रहे हैं जिसमें राजनेता लोगों से संवाद के लिए पारंपरिक समाचार मीडिया की तुलना में सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने पर ज्यादा जोर देंगे।

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