चुनावी खर्च में भेदभाव पर केंद्र और चुनाव आयोग से मांगा जवाब
चुनावी खर्च में निर्दलीय प्रत्याशियों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
By Vikas JangraEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 09:33 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 09:33 PM (IST)
नई दिल्ली [ब्यूरो]। चुनावी खर्च में निर्दलीय प्रत्याशियों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
याची ने आरोप लगाया है कि चुनाव के दौरान प्रचार व विज्ञापन के लिए राजनीतिक दलों को खर्च में छूट दी गई है, जबकि निर्दलीय प्रत्याशियों को इसका लाभ नहीं दिया गया है। मामले में अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी।
याची अधिवक्ता अमित साहनी ने आरोप लगाया कि चुनावी खर्च का प्रावधान मनमाना है, क्योंकि यह राजनीतिक दल और निर्दलीय व्यक्ति के बीच भेदभाव करता है।
उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 का मूल उद्देश्य चुनाव में रपये के अवैध इस्तेमाल पर रोक लगाना है न कि राजनीतिक पार्टी को लाभ पहुंचाना।
उन्होंने दावा किया कि राजनीतिक पार्टियां रैलियों व विज्ञापन पर ब़़डे पैमाने पर रपये खर्च करती हैं, मगर यह खर्च उनके प्रत्याशियों के खर्च में शामिल नहीं होता है।
याची ने आरोप लगाया है कि चुनाव के दौरान प्रचार व विज्ञापन के लिए राजनीतिक दलों को खर्च में छूट दी गई है, जबकि निर्दलीय प्रत्याशियों को इसका लाभ नहीं दिया गया है। मामले में अगली सुनवाई 14 नवंबर को होगी।
याची अधिवक्ता अमित साहनी ने आरोप लगाया कि चुनावी खर्च का प्रावधान मनमाना है, क्योंकि यह राजनीतिक दल और निर्दलीय व्यक्ति के बीच भेदभाव करता है।
उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 का मूल उद्देश्य चुनाव में रपये के अवैध इस्तेमाल पर रोक लगाना है न कि राजनीतिक पार्टी को लाभ पहुंचाना।
उन्होंने दावा किया कि राजनीतिक पार्टियां रैलियों व विज्ञापन पर ब़़डे पैमाने पर रपये खर्च करती हैं, मगर यह खर्च उनके प्रत्याशियों के खर्च में शामिल नहीं होता है।
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