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सीबीआइ, सीआइडी को दाभोलकर व पनसारे हत्याकांड की स्वतंत्र जांच का निर्देश

दाभोलकर की हत्या पुणे में 20 अगस्त, 2013 को हुई थी जबकि पनसारे की कोल्हापुर में 16 फरवरी, 2015 को गोलियों से छलनी कर दिया गया था।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 17 Jan 2019 06:59 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2019 06:59 PM (IST)
सीबीआइ, सीआइडी को दाभोलकर व पनसारे हत्याकांड की स्वतंत्र जांच का निर्देश
सीबीआइ, सीआइडी को दाभोलकर व पनसारे हत्याकांड की स्वतंत्र जांच का निर्देश

मुंबई, प्रेट्र। बांबे हाईकोर्ट ने सीबीआइ और महाराष्ट्र सीआइडी को गौरी लंकेश मामले में पूरी तरह से मिली जानकारियों पर निर्भर नहीं रहने को कहा है। कोर्ट ने दोनों जांच एजेंसियों को यह निर्देश भी दिया है कि विचारक नरेंद्र दाभोलकर और वामपंथी नेता गोविंद पनसारे की हत्या की जांच स्वतंत्र रूप से कराई जाए। हाईकोर्ट ने कर्नाटक और महाराष्ट्र राज्यों की मशीनरी की तुलना करते हुए जहां कर्नाटक की जांच की तारीफ की वहीं महाराष्ट्र की आलोचना भी की। खंडपीठ ने सीबीआइ और सीआइडी को छह फरवरी को अपनी कार्यप्रगति रिपोर्ट सौंपने को कहा है।

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बांबे हाईकोर्ट ने जांच एजेंसियों को फटकारा, छह फरवरी को मांगी रिपोर्ट

जस्टिस एससी धर्माधिकारी और एमएस कार्णिक की खंडपीठ ने गुरुवार को दोनों जांच एजेंसियों सीबीआइ और महाराष्ट्र सीआइडी से कहा कि पनसारे और दाभोलकर मामले में फरार आरोपितों की धरपकड़ के लिए गंभीरता से प्रयास करें। हाईकोर्ट ने यह दिशा-निर्देश तब दिए जब महाराष्ट्र सीआइडी के गठित विशेष जांच दल (एसआइटी) ने खंडपीठ के समक्ष अपनी प्रगति रिपोर्ट सौंपी।

गौरी लंकेश मामले के भरोसे न रहें, कर्नाटक प्रशासन को सराहा

खंडपीठ ने पाया कि महाराष्ट्र सीआइडी की एसआइटी पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या में कर्नाटक में पकड़े गए लोगों से पूछताछ कर रही है। ताकि पनसारे मामले में फरार आरोपितों को पकड़ने में मदद मिल सके। खंडपीठ ने कहा कि पिछली सुनवाई में भी सीबीआइ और एसआइटी ने बताया था कि लंकेश मामले के आरोपितों से दाभोलकर और पनसारे की हत्याओं के संबंध में पूछताछ हो रही है। इस पर बांबे हाईकोर्ट ने कहा कि आप कर्नाटक के अन्य मामले के आरोपित से पूछताछ कर रहे हैं, लेकिन एसआइटी की प्रगति रिपोर्ट यह नहीं बताती कि फरार आरोपितों को पकड़ने के लिए आपने वास्तव में क्या कदम उठाए हैं।

आप पूरी तरह से किसी अन्य मामले के आरोपित के बयानों पर निर्भर नहीं रह सकते हैं। आपको स्वतंत्र जांच करनी होगी और कुछ सुबूत खुद से जुटाने होंगे। खासकर जब यह अपराध कर्नाटक में हुई हत्या से पहले ही महाराष्ट्र में हुए हैं। खंडपीठ ने कहा कि अफसोस की बात है कि एक राज्य में मशीनरी को पूरा सहयोग मिलता है और हमारे राज्य में या तो मशीनरी काम नहीं कर रही या फिर उसे सहयोग नहीं मिल रहा है।

हालांकि सीबीआइ के वकील एडीशनल सालीसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा कि उनके अफसर फरार आरोपितों को पकड़ने के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीबीआइ और सीआइडी के बेहद काबिल अफसरों को इन दो अभियानों में काम करने के लिए चुना गया है।

उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र का प्रशासन अन्य किसी से बेहतर काम कर रहा है। पनसारे और दाभोलकर मामले में कुछ गिरफ्तारियां की गई हैं। दाभोलकर मामले में हम जल्द ही आरोपपत्र दाखिल करेंगें।

उल्लेखनीय है कि दाभोलकर की हत्या पुणे में 20 अगस्त, 2013 को हुई थी जब वह मार्निग वाक कर रहे थे। जबकि पनसारे की कोल्हापुर में 16 फरवरी, 2015 को गोलियों से छलनी कर दिया गया था। उनकी मौत कुछ दिन बाद 20 फरवरी को हुई थी।

दाभोलकर और पनसारे हत्याकांड की जांच सीबीआइ और सीआइडी कर रहे हैं। हाईकोर्ट दाभोलकर और पनसारे के परिवार की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। जांच एजेंसियों के मुताबिक लंकेश की हत्या में आरोपित शरद कालसकर ने गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में कुबूल किया है कि वह दाभोलकर और पनसारे हत्याकांड से भी जुड़ा हुआ है। 


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