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सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर हिन्दू पक्ष की सुनवाई पूरी, सोमवार को सुन्नी वक्फ बोर्ड करेगा बहस

सोलहवें दिन की सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि अयोध्या में राम के जन्म पर कोई विवाद नहीं है सिर्फ निश्चित जगह को लेकर विवाद है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 30 Aug 2019 10:05 PM (IST)Updated: Fri, 30 Aug 2019 10:05 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर हिन्दू पक्ष की सुनवाई पूरी, सोमवार को सुन्नी वक्फ बोर्ड करेगा बहस
सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले पर हिन्दू पक्ष की सुनवाई पूरी, सोमवार को सुन्नी वक्फ बोर्ड करेगा बहस

माला दीक्षित, नई दिल्ली। अयोध्या राम जन्मभूमि मामले में जमीन पर मालिकाना हक के चल रहे मुकदमे में शुक्रवार को उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हिन्दू पक्ष का खुल कर समर्थन किया। शिया बोर्ड ने कहा कि बाबरी मस्जिद शिया वक्फ थी इसलिए हाईकोर्ट के फैसले में मुसलमानों को दिया गया जमीन का एक तिहाई हिस्सा शिया वक्फ बोर्ड का है और वह अपना हिस्सा हिन्दुओं को देता है। शुक्रवार को हिन्दू पक्ष की ओर से दलीलें पूरी हो गईं। सोमवार को यूपी सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड व अन्य मुस्लिम पक्षकारों की ओर से बहस शुरू होगी।

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शिया वक्फ बोर्ड की ओर से वकील एमसी धींगरा ने पक्ष रखते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण मीर बाकी ने कराया था जो कि शिया था। वहां 1949 में जिलाधिकारी के आदेश पर ताला लगने तक शिया मुतवल्ली ही रहा और वहां उसी का कब्जा था। वहां शिया-सुन्नी एक साथ नमाज करते थे और तरामी (रमजान के दौरान सुन्नी द्वारा की जाने वाली विशेष नमाज) कराने के लिए शिया मुतवल्ली ने वहां सुन्नी इमाम नियुक्त किया था।

उन्होंने कहा कि 1936 में यूपी वक्फ कानून आने से पहले कभी किसी ने शिया वक्फ में दखल नहीं दी। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 26 फरवरी 1944 को नोटिफिकेशन जारी किया जिसकी लिस्ट में बाबरी मस्जिद को सुन्नी वक्फ घोषित किया। जिसके बाद 1945 में शिया वक्फ बोर्ड ने जिला अदालत में बाबरी मस्जिद को शिया वक्फ घोषित करने की मांग की, लेकिन 1946 अदालत ने याचिका खारिज कर दी। कारण वहां सुन्नी इमाम होना था, लेकिन मांग खारिज होने के बावजूद वहां शिया मुतवल्ली ही रहा।

उन्होंने कहा कि उस फैसले के खिलाफ शिया बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है। जिस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का कहना था कि अब 70 साल बाद चुनौती दी। धींगरा ने कहा कि शिया बोर्ड हिन्दुओं के खिलाफ नहीं है इसलिए उसने मामले में कभी मुकदमा दाखिल कर दावा पेश नहीं किया।

उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने जमीन का एक तिहाई हिस्सा मुसलमानों को दिया है न कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को। इस मामले में तो मुकदमे की शुरुआत में ही 1966 में अदालत ने घोषित कर दिया था कि सुन्नी वक्फ नहीं था और सही वक्फ नहीं माना था। ऐसे में सुन्नी वक्फ बोर्ड को नकार दिये जाने के बाद मुसलमानों को मिली जमीन शिया वक्फ बोर्ड को जाएगी और शिया बोर्ड अपना हिस्सा हिन्दुओं को देता है।

देवता कानूनी व्यक्ति पर अल्लाह नहीं

धींगरा ने कहा कि हिन्दू देवता कानूनी व्यक्ति माने जाते हैं, लेकिन अल्लाह कानूनी व्यक्ति नहीं होते है ऐसे में सुन्नी वक्फ बोर्ड जमीन पर प्रतिकूल कब्जे का दावा नहीं कर सकता।

जन्मस्थान के राजस्व रिकार्ड में छेड़छाड़ कर जोड़ा गया मस्जिद शब्द

राम जन्म भूमि पुनुरोद्धार समिति के वकील पीएन मिश्रा और रंजना अग्निहोत्री ने 1861 के राजस्व रिकार्ड का हवाला देकर कहा कि राम जन्मस्थान के जिलाधिकारी द्वारा की गई जांच और फोरेन्सिक रिपोर्ट में पाया गया है कि छेड़छाड़ करके जन्मस्थान के साथ कही जमा मस्जिद और कहीं मस्जिद शब्द जोड़ा गया। रिपोर्ट कहती है कि ये विभिन्न लिखावट और विभिन्न स्याही से लिखा गया है।

उन्होने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर यह जांच हुई थी और रिपोर्ट आयी थी। उन्होंने इस्लामिक कानून का हवाला देकर कहा कि विवादित ढांचा मस्जिद मस्जिद नहीं थी क्योंकि मस्जिद में कम से कम दो बार अजान और नमाज होनी चाहिए। वहां मूर्ति या चित्र नहीं हो सकते। घंटा नहीं हो सकता। इस्लाम के मुताबिक एक स्थान पर दो धर्म स्थल मंदिर मस्जिद साथ नहीं हो सकते।

जन्मस्थान पर हिन्दुओं का है संवैधानिक अधिकार

हिन्दू महासभा के वकील हरिशंकर जैन ने कहा कि बाबर आक्रांता था जिसने भारत पर हमला किया। वह यहां मुस्लिम धर्म स्थापित करने आया था। उसने मंदिर तोड़ कर मस्जिद बनाई थी। वह दासता का काला वक्त था जिसमें हिन्दुओं के अधिकार बाधित किये गए थे। भारत का संविधान लागू होने के बाद अनुच्छेद 13 के तहत उस जगह हिन्दुओं का अधिकार है।

अनुच्छेद 13 कहता है कि रीति रिवाज परंपरा आदि लागू मानी जाएगी ऐसे में हिन्दुओं की वहां आस्था और पूजा अर्चना का अधिकार दोबारा स्थापित हो जाएगा। जैन ने कहाकि 1855 के पहले कोई नहीं जानता था कि वहां मस्जिद थी। अकबर के समय में भी वहां पूजा होती थी। 1855 में अंग्रेजों ने सांप्रदायिक दांव खेला और वहां रेलिंग लगा कर उस जगह को मस्जिद कहा।

राम महल में जन्मे थे कोई निश्चित स्थान कैसे बता सकता है

जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि अयोध्या में राम के जन्म पर कोई विवाद नहीं है सिर्फ निश्चित जगह को लेकर विवाद है। हरि शंकर जैन ने कहा कि भगवान राम महल मे जन्मे थे कोई वहां उनके जन्म का निश्चित स्थान कैसे बताया जा सकता है। अगर कोई राष्ट्रपति भवन में जन्म लेता है तो यही कहा जाएगा कि राष्ट्रपति भवन में उसका जन्म हुआ कोई निश्चित स्थान कैसे बताएगा।


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