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Ayodhya Land Dispute Case: जस्टिस बोबड़े की तबियत खराब, सुनवाई टली, जानें अब तक क्‍या हुआ

Ayodhya Land Dispute Case सुप्रीम कोर्ट में आज आठवें दिन सुनवाई नहीं हुई। आइये जानतें है कि अब तक इस मामले में किन पक्षों ने क्‍या-क्‍या दलीलें रखी हैं।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 09:22 AM (IST)Updated: Mon, 19 Aug 2019 12:36 PM (IST)
Ayodhya Land Dispute Case: जस्टिस बोबड़े की तबियत खराब, सुनवाई टली, जानें अब तक क्‍या हुआ
Ayodhya Land Dispute Case: जस्टिस बोबड़े की तबियत खराब, सुनवाई टली, जानें अब तक क्‍या हुआ

नई दिल्‍ली, जेएनएन। Ayodhya Land Dispute Case सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ सोमवार को आठवें दिन अयोध्या भूमि विवाद पर सुनवाई के लिए नहीं बैठी। दरअसल, जस्टिस एसए बोबड़े की तबीयत खराब होने के चलते वह नहीं पहुंचे जिसकी वजह से मामले की सुनवाई को टालना पड़ा। पिछली सुनवाई पर 'रामलला विराजमान' की ओर से वकील सीएस वैद्यनाथन (CS Vaidyanathan) ने अपनी दलीलें रखी थीं। उन्‍होंने खुदाई के दौरान मिले अवशेषों पर आधारित रिपोर्ट पेश की थी और दावा किया कि वहां बाल रूप में भगवान राम की मूर्ति विराजमान थी। आइये जानतें है कि अब तक इस मामले में किन पक्षों ने क्‍या-क्‍या दलीलें रखी हैं। 

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'राम लला विराजमान' के पक्ष की दलीलें
'रामलला विराजमान' के वकील सीएस वैद्यनाथन (CS Vaidyanathan) ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि विवादित स्थल पर देवताओं की अनेक आकृतियां मिली हैं। इसके साथ ही उन्‍होंने विवादित स्थल का निरीक्षण करने के लिए अदालत द्वारा नियुक्त कमिश्नर की रिपोर्ट के अंश पढ़ और कहा कि 16 अप्रैल, 1950 को विवादित स्थल का निरीक्षण किया गया था। कमिश्‍नर ने वहां भगवान शिव की आकृति वाले स्तंभों की मौजूदगी का जिक्र रिपोर्ट में किया है। उन्‍होंने विदेशी यात्रियों की किताबों का जिक्र करते हुए कहा था कि अयोध्या में एक किला या महल था जहां, हिंदुओं का विश्वास है कि भगवान राम का जन्म यहीं हुआ था।

निर्मोही अखाड़े ने कहा रिकॉर्ड खो गए
पिछली सुनवाइयों पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े से पूछा था कि क्या आपके पास कुर्की से पहले का राम जन्मस्थान के कब्जे का मौखिक या रेवेन्यू रिकॉर्ड है। निर्मोही अखाड़ा की ओर से जवाब में बताया गया कि 1982 में एक डकैती हुई थी, जिसमें सारे रेकॉर्ड गुम हो गए। निर्मोही अखाड़ा ने कहा था कि सन 1950 में उससे गलत तरीके से जन्मभूमि का कब्जा और प्रबंधन लेकर रिसीवर को सौंपा गया। हमारी मांग है कि हमें कब्जा और प्रबंधन वापस दिया जाए।

गोविंदाचार्य की मांग खारिज
पूर्व की सुनवाई के दौरान आरएसएस के पूर्व थिंकटैंक केएन गोविंदाचार्य ने अदालती कार्यवाही की रिकॉर्डिंग की मांग की थी जिसे शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था। गोविंदाचार्य ने विचाराधीन याचिका पर दायर अंतरिम आवेदन में यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि याचिकाकर्ताओं को कार्यवाहियों की लिखित प्रतिलिपि के साथ कार्यवाहियों की ऑडियो रिकार्डिंग की प्रति भी सौंपी जाए।  

मुस्लिम पक्ष की आपत्ति दरकिनार, पांच दिन सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने चौथे दिन सुनवाई के दौरान सोमवार से शुक्रवार तक हर दिन सुनवाई करने का फैसला किया था। पांच दिन सुनवाई की बात पर मुस्लिम पक्ष ने ऐतराज जताया था। मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने सुनवाई की तैयारी करने के लिए समय न मिल पाने की दलील दी थी, जिसे शीर्ष आदलत ने नकार दिया था। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने धवन से कहा था कि पहले के आदेश की तरह हम मामले की रोजाना सुनवाई करेंगे। शीर्ष अदालत ने मुस्लिम पक्ष के वकील धवन को यह आश्वासन भी दिया था कि उन्हें मिड-वीक ब्रेक देने पर विचार किया जाएगा।  


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