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देश की विकास दर से भी आगे हैं इन राज्यों की विकास दरें

इंडिया रेटिंग्स ने कहा है कि राजकोषीय घाटे में सुधार के लक्षण है लेकिन चुनावी साल में अगर राजनीतिक लोकलुभावन नीतियां अपनाई गई तो इस पर पानी फिर सकता है।

By Ravindra Pratap SingEdited By: Published: Mon, 21 Jan 2019 09:38 PM (IST)Updated: Mon, 21 Jan 2019 09:38 PM (IST)
देश की विकास दर से भी आगे हैं इन राज्यों की विकास दरें
देश की विकास दर से भी आगे हैं इन राज्यों की विकास दरें

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में दर्जन भर ऐसे राज्य हैं जिनकी सालाना आर्थिक विकास दर राष्ट्रीय विकास दर से ज्यादा रही है। राजस्थान, मध्य प्रदेश, उड़ीसा जैसे राज्यों ने ही विकास दर की रफ्तार नहीं बढ़ाई है बल्कि बिहार और पश्चिम बंगाल की आर्थिक विकास दर भी अचंभित करने वाली है। बिहार तो वित्त वर्ष 2017-18 में 11.3 फीसद की विकास दर देश में सबसे ज्यादा रही है। गत वर्ष देश की विकास दर 6.7 फीसद थी। देश की दो प्रमुख रेटिंग एजेंसियों इंडिया रेटिंग्स और क्रिसिल ने अपनी अलग अलग रिपोर्ट में राज्यों की माली हालात का जो खाका खिंचा है उसका लब्बो लुआब यह है कि अधिकांश राज्यों की स्थिति पिछले पांच वर्षो में सुधरी है। हालांकि राजकोषीय घाटे को लेकर इन राज्यों को अभी काफी सतर्कता बरतनी है।

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इंडिया रेटिंग्स ने कहा है कि राजकोषीय घाटे में सुधार के लक्षण है लेकिन चुनावी साल में अगर राजनीतिक लोकलुभावन नीतियां अपनाई गई तो इस पर पानी फिर सकता है। खासतौर पर अगर जिस तरह से कई राज्यों में कृषि कर्ज माफी को लागू किया गया है वह अच्छे संकेत नहीं है। यही वजह है कि इसने वर्ष 2018-19 के लिए राज्यों की समग्र राजकोषीय घाटे के अनुमान को पूर्व के 2.8 फीसद से बढ़ा कर 3.2 फीसद कर दिया है। इंडिया रेटिंग्स मानता है कि आम चुनाव के साल में लोकलुभावन नीतियों या अन्य वित्तीय घोषणाओं से वोटरों को लुभाने की पूरी कोशिश होगी। सनद रहे कि राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की नई सरकार ने किसानों के कर्ज को माफ करने की कुछ स्कीमें लागू की है। इसके अला झारखंड और तेलंगाना में भी किसानों को राहत देने का ऐलान किया गया है। पहले से ही पंजाब, कनार्टक, उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र में ऐसा हो रहा है।

क्रिसिल की रिपोर्ट राज्यों के आर्थिक हालात को ज्यादा विस्तृत तरीके से पेश करती है क्योंकि इसमें वित्तीय घाटे के साथ ही उनके विकास दर और वहां महंगाई की स्थिति का आकलन भी किया गया है। पिछले पांच वर्षो के औसत आधार पर या सिर्फ पिछले वित्त वर्ष के आधार पर गुजरात सबसे तेजी से आर्थिक प्रगति करने वाला, महंगाई को बेहतर तरीके से काबू करने वाला और राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखने वाला राज्य बना हुआ है। दूसरे स्थान पर कर्नाटक, तीसरे पर पश्चिम बंगाल और इसके बाद तमिलनाडु और महाराष्ट्र का स्थान है। हरियाणा छठे और बिहार सातवें स्थान पर है। लेकिन बिहार का राजकोषीय घाटा 7.2 फीसद है जो चिंता का कारण है। मध्य प्रदेश एक वर्ष के भीतर सातवें स्थान से खिसक कर 10वें स्थान पर चला गया है और इसकी वजह उसका राजकोषीय घाटे की स्थिति पर काबू नहीं कर पाना है। अब जबकि वहां की नई सरकार किसानों के कर्ज माफ कर रही है हो सकता है कि इस वर्ष उसकी स्थिति और बिगड़ जाए।

दोनो रिपोर्टो ने इन राज्यों की सरकारों से कहा है कि उन्हें तेज विकास दर और अपने राज्य की जनता की बेहतरी के लिए अपने राजस्व के स्त्रोतों को बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान देना होगा। सिर्फ केंद्र से मिलने वाली राशि पर निर्भर होने से काम नहीं चलेगा। चिंता की बात यह है कि केंद्र से ज्यादा हिस्सा मिलने के बावजूद अधिकांश बड़े राज्यों के अपने राजस्व में बहुत संतोषजनक इजाफा नहीं हो रहा है।

राज्यों की अर्थव्यवस्था (2017-18)

राज्य विकास दर खुदरा राजकोषीय महंगाई घाटा

गुजरात 11.3 2.6 1.7

कर्नाटक 9.3 3.0 2.8

प. बंगाल 9.1 3.7 2.4

तमिलनाडु 8.1 4.9 2.8

महाराष्ट्र 7.3 4.1 1.8

हरियाणा 7.2 4.1 2.8

बिहार 11.3 2.7 7.2

आंध्र प्रदेश 11.2 3.4 3.4

तेलंगाना 10.4 3.9 3.2

मध्य प्रदेश 7.3 2.7 3.4

राजस्थान 7.2 3.2 3.5

ओडिशा 7.1 2.2 3.5

छत्तीसगढ़ 6.7 2.7 3.0

झारखंड 4.6 3.9 2.5

उत्तर प्रदेश 6.4 2.4 3.1

पंजाब 6.2 3.7 4.5

केरल 5.0 6.0 3.4

नोट : - सभी आंकड़े प्रतिशत में

-हरियाणा, पंजाब और केरल की आर्थिक विकास दर का सरकारी आंकड़ा उपलब्ध नहीं होने की वजह से क्रिसिल ने इसका अनुमान लगाया है


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