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कांग्रेस के निशाने पर केंद्र, कहा- देश को बचाने के लिए महागठबंधन जरूरी

कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा- हमें स्थिति को बदलने के लिए 2019 लोकसभा चुनाव को जीतना होगा।

By Nancy BajpaiEdited By: Published: Sat, 24 Feb 2018 10:18 AM (IST)Updated: Sat, 24 Feb 2018 10:18 AM (IST)
कांग्रेस के निशाने पर केंद्र, कहा- देश को बचाने के लिए महागठबंधन जरूरी
कांग्रेस के निशाने पर केंद्र, कहा- देश को बचाने के लिए महागठबंधन जरूरी

मुंबई (पीटीआइ)। केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने महागठबंधन की मांग की आवाज उठाई। उन्होंने देश में 'अघोषित आपातकाल' से भी बदतर स्थिति बताते हुए कहा कि आज भारत की संस्थापक दृष्टि को बचाने के लिए गठबंधन की जरूरत है। उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि राहुल गांधी इस तरह के प्रयासों का नेतृत्व करने के लिए विशिष्ट रूप से तैयार हैं। यह सारी बातें उन्होंने अपने किताब के लॉन्च के मौके पर कही। अपनी किताब 'Tidings of Troubled Times' की लॉन्चिंग के मौके पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस सही सोच वाले लोगों के समर्थन के बिना अकेले लड़ नहीं सकती।

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हालांकि मनीष तिवारी ने यह भी साफ किया कि चुनावी कारणों की वजह से महागठबंधन की आवश्यकता नहीं है, बल्कि भारत के संस्थापक दृष्टि को बचाने के लिए है यह कदम उठाना जरूरी है। उन्होंने कहा, 'हमें स्थिति को बदलने के लिए 2019 लोकसभा चुनाव को जीतना होगा। जहां हम मजबूत हैं, हमें आखिरी से लड़ना होगा और जहां हम मजबूत नहीं हैं, वहां सही गठजोड़ करने की आवश्यकता है। हमें एकजुट होकर आगे बढ़ना होगा और इस प्रयास का नेतृत्व करने के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पूर्ण रूप से तैयार हैं।' उन्होंने आगे कहा, 'यह कोई चुनावी चुनौती नहीं है। राहुल गांधी की राजनीति को सत्ता की तलाश नहीं है। वे बड़े कारणों पर विश्वास रखते हैं और उनमें से एक भारत की मौलिक दृष्टि की रक्षा करना है।'

केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लेते हुए मनीष तिवारी ने कहा, 'वर्तमान माहौल में बातचीत के लिए कोई जगह नहीं है। मीडिया का कॉर्पोरेट स्वामित्व कोई नई बात नहीं है। आज की स्थिति अघोषित आपातकाल स्थिति से भी बदतर है।' तिवारी ने याद करते हुए कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संविधान की समीक्षा करने के लिए एक समिति की स्थापना की थी। लेकिन वाजपेयी एक गठबंधन सरकार का नेतृत्व कर रहे थे। अब यह बहुमत की सरकार है और ये साफ पता चलता है जिस तरह से वे (भाजपा) अपने सहयोगियों के साथ व्यवहार करते हैं। यह बहुसंख्यक सरकार है, जिसका मानना है कि कुछ संवैधानिक प्रावधान उनकी पसंद के लिए नहीं हैं तो उन्हें जाने दो।'


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