सरकार ने संसद में बताया, आदिवासी बहुल जिलों में तीन फीसद से कम आबादी में कोरोना संक्रमण
सरकार ने राज्यसभा में बताया कि जनजातीय क्षेत्रों में कोरोना महामारी के प्रमुख प्रकोप की कोई रिपोर्ट नहीं है।
नई दिल्ली, पीटीआई। सरकार ने राज्यसभा में गुरुवार को बताया कि जनजातीय क्षेत्रों में कोरोना महामारी के प्रमुख प्रकोप की कोई रिपोर्ट नहीं है। जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा (Arjun Munda) ने बताया कि 177 आदिवासी बहुल जिलों में तीन फीसद से कम आबादी में कोरोना संक्रमण पाया गया है। इस बारे में उन्होंने आईआईटी दिल्ली की ओर से कराए गए हालिया अध्ययन का भी हवाला दिया। उन्होंने यह भी बताया कि मंत्रालय की COVID प्रतिक्रिया टीम ने अनुसूचित जनजातियों की आजीविका और स्वास्थ्य की रक्षा के लिए एक महामारी प्रतिक्रिया योजना तैयार की है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को राज्य जनजातीय उपयोजनाओं से धन का इस्तेमाल करने और मंत्रालय की विभिन्न योजनाओं के तहत इन तर्ज पर एक व्यापक प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए भी कहा गया है। प्रतिक्रिया योजना में जनजातीय क्षेत्रों में सामुदायिक रसोई का प्रावधान, राशन की आपूर्ति सुनिश्चित करना, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से बुनियादी वित्तीय सहायता प्रदान करना, ग्राम स्तर की जल उपलब्धता में सुधार और संगरोध सुविधाओं के निर्माण के लिए मदद पहुंचाना शामिल है। बीते दिनों अंडमान निकोबार द्वीपसमूह में घटती ग्रेट अंडमानी जनजाति के दस सदस्यों के कोरोना से संक्रमित पाए जाने की रिपोर्टें सामने आई थीं।
जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा ने शनिवार को कहा था कि उनका मंत्रालय इस मामले में अंडमान निकोबार द्वीपसमूह प्रशासन के नियमित संपर्क में है। उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि अंडमान निकोबार प्रशासन समेकित जनजाति विकास प्राधिकरण के माध्यम से घटते जनजातीय समूहों की सुरक्षा को लेकर सतर्क है। इन जोखिम वाले जनजातीय समूहों की कोरोना संक्रमण से रक्षा के लिए एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। बता दें कि ग्रेट अंडमान जनजाति के महज 59 सदस्य बचे हुए हैं जो द्वीपसमूह के स्ट्रेट द्वीप में रहते हैं।