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लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने के प्रस्ताव पर गहराई से विचार करेगा केंद्र

भाजपा का मानना है कि कर्नाटक की सिद्दरमैया सरकार ने यह फैसला आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर लिया है और वह धर्म के नाम पर राजनीति कर रही है।

By Manish NegiEdited By: Published: Tue, 20 Mar 2018 07:10 PM (IST)Updated: Tue, 20 Mar 2018 07:10 PM (IST)
लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने के प्रस्ताव पर गहराई से विचार करेगा केंद्र
लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा देने के प्रस्ताव पर गहराई से विचार करेगा केंद्र

नई दिल्ली, प्रेट्र। कर्नाटक सरकार की लिंगायत और वीरशैव लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने संबंधी सिफारिश की केंद्र सरकार गहराई से पड़ताल करेगी। क्योंकि यह दर्जा दिए जाने पर इन समुदायों के अनुसूचित जाति के लोग आरक्षण के लाभ से वंचित हो जाएंगे। इसी आधार पर 2013 में तत्कालीन संप्रग सरकार ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया था।

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केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने मंगलवार को बताया कि कर्नाटक सरकार का उक्त प्रस्ताव प्राप्त होते ही उसे गहराई से पड़ताल के लिए महापंजीयक और जनगणना आयुक्त को भेजे जाने की संभावना है। इसके अलावा उनसे इस प्रस्ताव पर सुझाव भी मांगे जाएंगे। दरअसल, भाजपा का मानना है कि कर्नाटक की सिद्दरमैया सरकार ने यह फैसला आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर लिया है और वह धर्म के नाम पर राजनीति कर रही है। अगर ऐसा नहीं होता तो मनमोहन सिंह सरकार ने ही यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया होता।

केंद्रीय संसदीय कार्य राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बताया, 'नवंबर 2013 में तत्कालीन मनमोहन सिंह सरकार ने कहा था कि अलग धर्म का दर्जा देने से समाज और बंट जाएगा और लिंगायत व वीरशैव समुदाय का अनुसूचित जाति का दर्जा भी प्रभावित होगा।' उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस अब अपने ही पूर्व के फैसले को पलट रही है। मेघवाल ने भारत के महापंजीयक द्वारा 14 नवंबर, 2013 को कर्नाटक सरकार को लिखे पत्र के हवाले से बताया कि वीरशैव और लिंगायत हिंदुओं के समुदाय हैं न कि अलग धर्म। उन्होंने कहा कि इस मसले पर केंद्र सरकार का फैसला बिल्कुल स्पष्ट है और इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।


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