संसद की कार्यवाही 14वें दिन भी ठप, सरकार ने साधा विपक्षी दलों से संपर्क
बजट सत्र के दूसरे चरण के 5 मार्च से शुरू होने के बाद से आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा, पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी मामला और कावेरी प्रबंधन बोर्ड की स्थापना की मांग सहित कई मुद्दों पर लोकसभा और राज्यसभा में हंगामा हो रहा है।
नई दिल्ली, आइएएनएस। हंगामे के बीच संसद के बजट सत्र की कार्रवाई 14वें दिन भी नहीं चल पाई। ऐसे में संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार ने विपक्षी पार्टियों से बात कर उन्हें मनाने का निर्णय लिया, लंबित बिल दोनों सदनों में पेश किए जा सकें। संसदीय मामलों के राज्यमंत्री विजय गोयल ने आज विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद से मुलाकात की।
राज्यसभा में आज भी वही दृश्य देखने को मिला, जो पिछले कई दिनों से दिखाई दे रहा है। गुरुवार को भी टीडीपी के सांसदों ने आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य के दर्जे की मांग के साथ वेल में पहुंचकर हंगामा किया। हंगामे के कारण राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने राज्यसभा की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी। उधर हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही पहले दोपहर 12 बजे तक फिर कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
आजाद से मिलने के बाद विजय गोयल ने कहा कि वह विभिन्न मुद्दों पर चर्चा के लिए फिर उनसे मुलाकात करेंगे। उन्होंने कहा कि वह तेदेपा, एआईएडीएमके, टीआरएस और अन्य पार्टियों के नेताओं से भी मिलेंगे। संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण के 5 मार्च से शुरू होने के बाद से आंध्र प्रदेश के लिए विशेष राज्य का दर्जा, पंजाब नेशनल बैंक धोखाधड़ी मामला और कावेरी प्रबंधन बोर्ड की स्थापना की मांग सहित कई मुद्दों पर लोकसभा और राज्यसभा में हंगामा हो रहा है।
विजय गोयल ने कहा, 'संसद के बजट सत्र में अब सिर्फ 9 दिन शेष रह गए हैं। 14 दिन हंगामे की भेंट चढ़ चुके हैं। मैं विपक्षी दलों से अनुरोध करता हूं कि संसद के दोनों सदनों में महत्वपूर्ण बिल लंबित पड़े हैं। इसलिए दोनों सदनों की कार्यवाही को चलने दें। मुझे उम्मीद है कि विपक्ष सहयोग करेगा।'
गोयल ने कहा कि सरकार विपक्षी नेताओं के साथ नियमित रूप से संपर्क में है और वह उन्हें संसद के सुचारू कार्य को सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से मिलेंगे। उन्होंने कहा कि विपक्ष चर्चा से दूर भाग रहा है। हम सदन में विपक्ष के हर मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार हैं। यहां तक कि हम अविश्वास प्रस्ताव पर भी चर्चा करने के लिए तैयार हैं। सदन में हमारे पास पर्याप्त संख्या है। इसलिए अविश्वास प्रस्ताव पर भी हम चर्चा के लिए तैयार हैं, बशर्ते विपक्ष राजी हो जाए।