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सरकार ने कहा, जम्‍मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और सीएए पर मिला विश्व समुदाय का साथ

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने तथा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पूरी जानकारी दी गई।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Thu, 19 Mar 2020 07:23 PM (IST)Updated: Thu, 19 Mar 2020 07:23 PM (IST)
सरकार ने कहा, जम्‍मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और सीएए पर मिला विश्व समुदाय का साथ
सरकार ने कहा, जम्‍मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने और सीएए पर मिला विश्व समुदाय का साथ

 नई दिल्ली, प्रेट्र। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने तथा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को पूरी जानकारी दी गई और इन देशों ने भारतीय स्थिति के प्रति समझ दिखाई है। माना जा रहा है कि एक तरह से विश्व समुदाय ने इन मुद्दों पर भारत का साथ दिया है।

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 भारत का अंदरूनी मामला

गुरुवार को राज्यसभा में एक सवाल के लिखित उत्तर में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधर ने बताया कि सरकार के प्रयासों के चलते विश्व समुदाय ने जम्मू-कश्मीर से जुड़े मामलों के प्रति न केवल बेहतर समझ दिखाई, बल्कि वे इसे भारत का अंदरूनी मामला भी मान रहे हैं। विश्व समुदाय को यह बात भी अब समझ में आ रही है कि पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद भारत के लोगों के लिए खतरा पैदा कर रहा है।

सीएए से किसी नागरिक पर नहीं पड़ेगी आंच

मुरलीधर ने बताया कि कुछ देशों ने तो पाकिस्तान से साफ कहा है कि वह किसी भी सूरत में अपनी भूमि का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं होने दे। विदेश राज्य मंत्री ने बताया, 'सरकार ने काफी तेजी से जम्मू-कश्मीर से संबंधित तथ्यों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष रखा और साथ ही नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के परिप्रेक्ष्य और लक्ष्यों के बारे में उनको अवगत कराया।' मुरलीधरन ने कहा, 'दुनिया को यह बात भी समझ आ गई है कि इससे भारत के किसी भी नागरिक के दर्जे में किसी भी तरह से कोई असर नहीं पड़ेगा और इससे किसी भी धर्म से ताल्लुक रखने वाले किसी भी भारतीय की नागरिकता पर कोई आंच नहीं आएगी।'

भारत ने सीएए पर मानवाधिकार उच्चायुक्त के समक्ष विरोध दर्ज कराया

विदेश राज्य मंत्री ने कहा, दिसंबर में सीएए को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त के प्रवक्ता की टिप्पणी पर 'सरकार ने तुरंत मानवाधिकार उच्चायुक्त के समक्ष विरोध दर्ज कराया और साफ शब्दों में कहा कि यह कानून मानवीय उपाय है और भारत के अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों के अनुरूप है।' सरकार ने चीन, मलेशिया और तुर्की के बयानों को भी गंभीरता से लिया और उनको भी भारत के अंदरूनी मामलों पर टिप्पणी न करने और देश की संप्रभुता व उसकी क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने को कहा।


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