सड़क दुर्घटना में सरकार देगी क्षतिपूर्ति राशि, नशे में गाड़ी चलाने पर मिलेगी कड़ी सजा व जुर्माना
नए बिल के अनुसार अगर कोई व्यक्ति दुर्घटना में घायल को उपचार के लिए अस्पताल पहुंचाता है और इस दौरान घायल की मृत्यु हो जाती है तो उस व्यक्ति पर किसी भी तरह का मामला नहीं चलेगा।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सड़क दुर्घटनाओं को लेकर अब रही नाकाम कवायदों के बीच केंद्र ने सोमवार को लोक सभा में 'Motor Vehicle (Amendment) Bill, 2019' पेश किया है। इस विधेयक में सड़क दुर्घटनाओं में घायलों की मदद करने वालों के हितों की रक्षा करने के उपायों के साथ-साथ ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करने वालों के लिए कड़ी सजा के प्रावधान किये गये हैं।
साथ ही छोटे-बच्चों को हेल्मेट पहनने से छूट देते हुए विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि सिर्फ चार साल से अधिक उम्र के बच्चों और व्यक्तियों को मोटरसाइकिल सहित दुपहिये वाहन की सवारी करते समय हेल्मेट पहनने की आवश्यकता होगी। शराब पीकर गाड़ी चलाने पर दो साल का कारावास और 15,000 रुपये जुर्माना लगेगा।
विपक्ष के सदस्यों ने किया विरोध
सरकार ने जब यह विधेयक सदन में पेश करने का प्रस्ताव किया तो विपक्ष के सदस्यों ने इसका विरोध किया। इस पर सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने यह कहकर विपक्षी सदस्यों की आशंका को खारिज किया कि केंद्र ने किसी राज्य के अधिकार नहीं छीने हैं।
उन्होंने 18 राज्यों के साथ परामर्श के बाद इस विधेयक का मसौदा तैयार किया है। उन्होंने सदन से इस विधेयक को पारित कराने का आग्रह किया ताकि सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की जानें बचाई जा सकें।
उल्लेखनीय है कि मोदी सरकार अपने पहले कार्यकाल में भी यह विधेयक लेकर आई थी जिसे लोक सभा ने पारित कर दिया लेकिन राज्य सभा से यह पारित नहीं हो पाया था। यही वजह है कि सरकार यह विधेयक लेकर आयी है।
नशे में गाड़ी चलाने पर पंद्रह हजार का जुर्माना
बता दें कि नये विधेयक के तहत सड़क दुर्घटना में मौत की स्थिति में वाहन स्वामी या बीमा कंपनी को पांच लाख रुपये तथा घायल होने पर ढाई लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देनी होगी। विधेयक में यह भी प्रावधान किया गया है कि शराब पीकर नशे की हालत में गाड़ी चलाने पर पंद्रह हजार रुपये तक जुर्माना और दो साल के कारावास की सजा मिलेगी।
दिव्यांगो को भी मिलेगा लाइसेंस
विधेयक में लर्निग लाइसेंस ऑनलाइन उपलब्ध कराने का प्रावधान है। खास बात यह है कि इस विधेयक के कानून का रूप लेने पर दिव्यांगों को भी लाइसेंस जारी किया जा सकेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के इरादे से विधेयक में परमिट से संबंधित प्रावधानों को उदार बनाया गया है। साथ दुर्घटना में घायलों को बचाने के लिए सामने आने वाले राहगीरों के हितों के संरक्षण से संबंधित भी प्रावधान इस विधेयक में किये गये हैं।
दुर्घटना के लिए ये हैं नियम कानून
अगर कोई व्यक्ति दुर्घटना में घायल को उपचार के लिए नजदीकी अस्पताल पहुंचाता है और इस दौरान घायल की मृत्यु हो जाती है तो, उस व्यक्ति पर किसी भी तरह का मामला नहीं चलेगा। रोडसेफ्टी की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों को स्पीड कैमरा, सीसीटीवी, स्पीड गन और बॉडी वियरेबल कैमरा जैसी तकनीक का इस्तेमाल करने को कहा गया है।
दुर्घटनाओं में आई कमी
विपक्षी सदस्यों की शंका को दूर करने की कोशिश करते हुए गडकरी ने कहा कि मेरे विभाग की यह विफलता है कि बीते पांच साल में यह विधेयक पारित नहीं हुआ और दुर्घटनाओं में मात्र 3 से 4 फीसद कमी आयी है जबकि समान अवधि में तमिलनाडु में दुर्घटनाओं में 15 फीसद की कमी आयी है।
TMC ने भी किया विरोध
तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सौगत राय ने विधेयक पेश करने का विरोध करते हुए कहा कि इसके कुछ प्रावधान राज्यों के अधिकारों पर अतिक्रमण हैं और इससे उनकी शक्तियां छिन जाएंगी। TMC की एक अन्य सदस्य मोहुआ मित्रा ने भी विधेयक के प्रावधानों पर ऐतराज जताते हुए इसे पेश करने का विरोध किया।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक में ड्राइविंग लाइसेंस की अवधि समाप्त होने के बाद महीने भर के भीतर लाइसेंस रिन्यू कराने की अवधि को बढ़ाकर एक साल कर दिया गया है जो उचित नहीं है। लोक सभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह विधेयक का पूरी तरह विरोध नहीं कर रहे बल्कि इसके कुछ प्रावधानों का ही विरोध कर रहे हैं।