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कृषि विधेयक: खरीफ की फसल की सरकारी खरीद बनेगी मोदी सरकार के लिए पहली बड़ी चुनौती

केंद्र सरकार के आदेश पर एक अक्टूबर से धान मक्का ज्वार बाजरा मूंग मूंगफली और गन्ना की खरीद शुरू होगी।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Sun, 20 Sep 2020 06:59 PM (IST)Updated: Sun, 20 Sep 2020 06:59 PM (IST)
कृषि विधेयक: खरीफ की फसल की सरकारी खरीद बनेगी मोदी सरकार के लिए पहली बड़ी चुनौती
कृषि विधेयक: खरीफ की फसल की सरकारी खरीद बनेगी मोदी सरकार के लिए पहली बड़ी चुनौती

बिजेंद्र बंसल, नई दिल्ली। किसान संगठनों से लेकर विपक्ष के विरोध के बावजूद लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी दोनों कृषि विधेयक पारित हो गए हैं। अब सत्तारूढ़ दल भाजपा के लिए खरीफ की फसल की सरकारी खरीद सबसे बड़ी चुनौती होगी।

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एक अक्टूबर से धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली और गन्ना की खरीद होगी शुरू

केंद्र सरकार के आदेश पर एक अक्टूबर से धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, मूंग, मूंगफली और गन्ना की खरीद शुरू होगी। हरियाणा सरकार ने एक अक्टूबर से धान और मूंग की खरीद के लिए 200 से अधिक केंद्र बनाए हैं। यदि खरीफ की फसल की खरीद शुरू होने से पहले दोनों कृषि विधेयक राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद अधिनियम बन जाते हैं तो किसान सरकारी खरीद में अंतर देखना चाहेंगे।

कृषि विधेयक पारित होने से बदलेगी किसान संगठनों और कांग्रेस के आंदोलन की रणनीति- तोमर

रविवार सुबह केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर द्वारा राज्यसभा में रखे गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य विधेयक 2002 और किसान मूल्य आश्वासन तथा कृषि सेवा विधेयक 2020 को विपक्ष के हंगामे के बाद भी पारित कर दिया गया है। कृषि मंत्री ने इन विधेयकों को कृषि सुधार और किसान कल्याण के विधेयक बताया। कांग्रेस सहित किसान संगठन अभी भी इन विधेयकों को कृषि और किसान के लिए अनुकूल नहीं बता रहे हैं। विधेयक पारित होने पर माना जा रहा है कि किसान संगठन और कांग्रेस एक अक्टूबर तक तो अपने आंदोलन को यथावत रखेंगे। इसके बाद आंदोलन की रणनीति में बदलाव कर दिया जाएगा।

हरियाणा में बरौदा विधानसभा उपचुनाव के इर्द-गिर्द घूमेंगे राजनीतिक दलों के मुद्दे

हरियाणा में सोनीपत जिला के बरौदा विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव होना है। कृषि विधेयकों के खिलाफ कांग्रेस की सक्रियता को भी बरौदा उपचुनाव के मद्देनजर देखा जा रहा है। राज्य में फिलहाल सभी राजनीतिक दलों की बरौदा उपचुनाव पर नजर है। पंजाब में अकाली दल द्वारा कृषि विधेयकों के खिलाफ खड़े होने का भी राज्य में कांग्रेस को फायदा और भाजपा को नुकसान है। मगर भाजपा के रणनीतिकारों को भी बरौदा उपचुनाव के मद्देनजर न सिर्फ खरीफ की फसल में किसानों की सहूलियत पर ध्यान देना होगा बल्कि अपने सहयोगी दल जजपा सहित पार्टी की मुख्य धारा से बाहर हो चुके किसान नेताओं का सहारा भी लेना होगा।


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