ICJ में भी दिखा पुलवामा हमले का असर, पाक ने बढ़ाया हाथ तो भारत ने दूर से किया नमस्ते
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव एजी अनवर मंसूर खान जब भारत के विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव दीपक मित्तल के पास हाथ मिलाने पहुंचे, तो मित्तम ने मंसूर खान से हाथ मिलाने की जगह दूर से ही हाथ जोड़ लिए।
जागरण न्यूज नेटवर्क, नई दिल्ली। इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आइसीजे) में कुलभूषण जाधव मामले की सुनवाई से पहले सोमवार को भारत और पाकिस्तान के अधिकारियों का आमना-सामना हुआ। इस दौरान पाकिस्तानी अटॉर्नी जनरल ने हाथ मिलाने की कोशिश की, लेकिन भारतीय संयुक्त सचिव के नेतृत्व में अधिकारियों ने हाथ मिलाने की बजाय सिर्फ हाथ जोड़कर अभिवादन किया।
दरअसल, कुलभूषण जाधव मामले की सुनवाई से पहले भारत की तरफ से वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव दीपक मित्तल बैठे हुए थे। इसी बीच उनकी टेबल पर पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल मंसूर खान पहुंच गए। मंसूर खान ने संयुक्त सचिव दीपक मित्तल से हाथ मिलाने को आगे बढ़ाया, लेकिन दीपक मित्तल ने अपनी तरफ से करारा जवाब देते हुए केवल हाथ जोड़कर अभिवादन किया। इसके साथ ही दीपक मित्तल के साथ मौजूद अधिकारियों ने भी मंसूर खान से हाथ नहीं मिलाया। सिर्फ वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने ही मंसूर खान से हाथ मिलाया।
दीपक मित्तल के हाथ नही मिलाने को लेकर दावा किया जा रहा है कि भारत हर मौके पर पाकिस्तान को कड़ा संदेश भेजने में कोई कमी नहीं रखना चाहता। साथ ही पाकिस्तान को दुनियाभर में अलग-थलग करने के लिए कई तरह के कूटनीतिक दबाव बना रहा है। मालूम हो कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले में 44 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे।
गौरतलब है कि पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान को परोक्ष तौर पर पीम नरेंद्र मोदी की धमकी के बाद भारत की कूटनीति भी बेहद तेज हो गई है। एक तरफ भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंक और पुलवामा हमले को लेकर 15 फरवरी को अमेरिका, फ्रांस, जापान समेत 25 देशों के राजनयिकों से संपर्क साधा और उनके समक्ष जैश ए मोहम्मद व पाकिस्तान के गहरे रिश्ते पर पक्के सबूत पेश किये।
चीन ने भी पुलवामा हमले की कड़ी निंदा की
राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने अलग से अमेरिका में अपने समकक्ष जॉन बोल्टन से भी बात की है। शुरुआती चुप्पी के बाद चीन ने भी पुलवामा हमले की कड़ी निंदा की है और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को पत्र लिख कर मृतकों के प्रति अपनी संवेदना जताई है।
सुरक्षा पर कैबिनेट (सीसीएस) की बैठक में यह फैसला किया गया था कि पाकिस्तान को कूटनीतिक तौर पर अलग थलग करने की मुहिम चलाई जाएगी। वैसे भारत इस तरह की मुहिम पठानकोट व उड़ी हमले के बाद भी चलाया था और इसका परिणाम भी दिखाई दिया था।
भारत ने तलब किया था पाकिस्तान के उच्चायुक्त को
15 फरवरी को सीसीएस की बैठक के तुरंत बाद विदेश सचिव ने नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान के उच्चायुक्त सोहेल मेहमूद को तलब किया और कश्मीर में आतंकवादियों को पाकिस्तान की तरफ से दी जा रही मदद पर गहरी नाराजगी जताई। इसके कुछ ही देर बाद इस्लामाबाद स्थित अपने उच्चायुक्त अजय बिसारिया को भी बुला लिया गया है ताकि पाकिस्तान के हालात पर चर्चा हो सके।
आतंकी संगठन जैश को पाकिस्तान से मदद मिल रहा मदद
विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद के स्थाई पांच देशों के प्रतिनिधियों के अलावा जापान, जर्मनी, दक्षिण कोरिया, दक्षिण एशिया व खाड़ी क्षेत्र के 25 देशों के नई दिल्ली स्थिति प्रतिनिधियों से मुलाकात की गई है। ये मुलाकातें विदेश सचिव विजय गोखले के नेतृत्व में की गई।
विदेशी दूतावासों की तरफ से उनके राजदूत या उच्चायुक्त उपस्थित हुए। सभी देशों ने यह स्वीकार किया है कि आतंकी संगठन जैश को पाकिस्तान का मदद मिल रहा है। भारत ने कहा है कि वह चाहता है कि पाकिस्तान जैश समेत अन्य सभी आतंकी संगठनों को हर तरह का समर्थन देना पूरी तरह से बंद करे।
किसी बड़ी कार्रवाई से पहले सबका विश्वास लेना अहम
भारतीय विदेश मंत्रालय की इस कठोर प्रतिक्रिया को जानकार भारत के भावी कदम से भी जोड़ कर देख रहे हैं। भारत चाहता है कि कूटनीतिक तौर पर पाकिस्तान पर कुछ दबाव बने और वह अपने यहां पल रहे आतंकियों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करे। वैसे भी किसी बड़ी कार्रवाई से पहले सबका विश्वास लेना कूटनीतिक रूप से अहम होता है।
भारत को इस बात पर संतोष है कि पुलवामा हमले के बाद तमाम देशों ने उसके पक्ष को समझा है। अमेरिका ने पाकिस्तान पर करारा प्रहार किया है और कहा है कि वहां पनाह पाये सभी आतंकी संगठनों पर तत्काल कार्रवाई करनी होगी जो पूरे क्षेत्र में हिंसा भड़का रहे हैं।