विदेश से पढ़कर आने वाले डाक्टरों को विशेष प्रशिक्षण देने की तैयारी में भारत सरकार
स्वास्थ्य मंत्रालय विदेश से पढ़कर आने वाले छात्रों के विशेष प्रशिक्षण देने की तैयारी में जुटी है ताकि उन्हें भारत में पढ़ाई करने वाले डाक्टरों के समान गुणवत्ता तक लाया जा सके।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले डाक्टरों को भारत में प्रैक्टिस शुरू करने में आ रही दिक्कतों को दूर करने में मदद करने की तैयारी में जुटी है। इसके लिए इन डाक्टरों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। विदेश से पढ़ाई करने वाले डाक्टरों को भारत में प्रैक्टिस शुरू करने के लिए एक विशेष परीक्षा देनी होती है, लेकिन इसमें अधिकांश डाक्टर फेल हो जाते हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 2014 से 2018 के बीच विदेश से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले 74,202 डाक्टरों ने प्रैक्टिस शुरू करने के लिए होने वाली अनिवार्य फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एक्जाम दिये थे। इनमें से केवल 10,400 डाक्टर ही इस परीक्षा में सफल हो सके। अब स्वास्थ्य मंत्रालय विदेश से पढ़कर आने वाले छात्रों के विशेष प्रशिक्षण देने की तैयारी में जुटी है, ताकि उन्हें भारत में पढ़ाई करने वाले डाक्टरों के समान गुणवत्ता तक लाया जा सके। इसके तहत कई ओपन आनलाइन कोर्स के साथ-साथ उन्हें क्लीनिकल स्किल लैब की सुविधा मुहैया कराई जाएगी।
फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एक्जाम में पूछे जातें हैं कठिन सवाल
विदेश से मेडिकल की पढ़ाई कर वापस आने वाले डाक्टरों का आरोप है कि फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट एक्जाम में भारतीय डाक्टरों की तुलना में जानबूझकर कठिन सवाल पूछे जाते हैं, इसी कारण केवल 10 फीसदी डाक्टर से इसे पास कर पाते हैं। जबकि यह परीक्षा जून और दिसंबर में साल में दो बार आयोजित की जाती है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि आने वाले एक-दो सालों में विदेश से पढ़ाई कर आने वाले छात्रों के लिए नई परीक्षा की जरूरत ही समाप्त हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि 1956 के एमसीआइ कानून की धारा 13(4ए) के तहत विदेशी डाक्टरों के लिए विशेष परीक्षा का पास करना अनिवार्य था। लेकिन अब एमसीआइ को निरस्त कर सरकार राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग का गठन करने जा रही है। इससे संबंधित कानून संसद के पिछले मानसून में पास हो चुका है। नए कानून में विदेश से पढ़ाई करने वाले डाक्टरों को भी भारतीय डाक्टरों के साथ एक ही एक्जिट परीक्षा देनी होगी। दरअसल एमबीबीएस की अंतिम साल की परीक्षा को एक्जिट परीक्षा में बदल दिया गया है, जो पूरे देश में एक समान होगी। इससे एमबीबीएस डाक्टरों की गुणवत्ता में समानता लाने में मदद मिलेगी।