CAA: असम के लोगों का डर दूर करने के प्रयास में जुटी सरकार, उच्च स्तरीय समिति ने की अमित शाह से मुलाकात
समिति अपनी रिपोर्ट में असम की विधानसभा और स्थानीय निकायों में असम के मूल निवासियों के लिए सीटें आरक्षित करने का सुझाव दे सकती है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ असम में हो रहे विरोध का हल निकालने की कोशिश में केंद्र सरकार जुट गई है। इस सिलसिले में असम की भाषाई और सांस्कृतिक पहचान बनाए रखने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति के प्रतिनिधिमंडल ने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। मुलाकात के बाद प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख सेवानिवृत न्यायाधीश जस्टिस बिप्लब कुमार शर्मा ने 15 दिन के भीतर कमेटी द्वारा रिपोर्ट सौंप दिये जाने की उम्मीद जताई।
अमित शाह ने समिति को दिए कई सुझाव
जस्टिस बिप्लब कुमार शर्मा के अनुसार प्रतिनिधिमंडल ने अमित शाह को समिति में अब हुए काम के बारे में जानकारी दी। इस संबंध में अमित शाह ने समिति को कई सुझाव दिये। माना जा रहा है कि समिति इन सुझावों पर भी विचार करेगी। उच्च पदस्थ सूत्रों की माने तो समिति अपनी रिपोर्ट में असम की विधानसभा और स्थानीय निकायों में असम के मूल निवासियों के लिए सीटें आरक्षित करने का सुझाव दे सकती है। दरअसल समिति की शर्तो में इस तरह का सुझाव देने का अधिकार दिया गया है।
सीएए को लेकर असम के लोगों में डर
दरअसल मोदी सरकार ने 1985 में हुए असम समझौते के धारा छह को लागू करने का सुझाव देने के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। इस धारा में असम की मूल संस्कृति, भाषा और विरासत को सुरक्षित रखने का प्रावधान था। लेकिन इसे लागू करने का कोई प्रयास नहीं किया गया था। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर असम में विरोध प्रदर्शन की वजह भी यही है कि इससे असम के मूल निवासी अल्पसंख्यक हो जाएंगे और इससे असम की संस्कृति, भाषा और विरासत बचाए रखना मुश्किल होगा।
जाहिर है असम समझौते की धारा छह को लागू कर सरकार यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी कि असम की मूल संस्कृत, भाषा और विरासत को अक्षुण्ण रखा जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल बार-बार आश्वासन दे चुके हैं कि सीएए से असम की संस्कृति, भाषा और धरोहर को कोई नुकसान नहीं पहुंचने दिया जाएगा।