दुष्कर्म, हत्या, भ्रष्टाचार के दोषियों को क्षमादान नहीं : सरकार
राज्यों से 15 अगस्त तक सूची तैयार करने को कहा गया है ताकि दो अक्टूबर को पहला बैच रिहा किया जा सके।
नई दिल्ली, प्रेट्र। जेल में बंद हत्या, दुष्कर्म या भ्रष्टाचार के दोषियों को सरकार द्वारा घोषित क्षमा योजना के तहत रिहा नहीं किया जाएगा। इस तरह के आरोपों के लिए दोषी करार दिए जा चुके नेताओं को भी योजना का लाभ नहीं मिलेगा। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने के लिए दो अक्टूबर से शुरू होने जा रहे एक वर्षीय उत्सवों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने क्षमा योजना की घोषणा की है।
गृह मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि 55 साल और उससे अधिक उम्र की महिलाएं और 60 साल और उससे अधिक के वैसे पुरुष कैदी जो आधी सजा काट चुके हैं उन्हें क्षमा योजना के तहत दो अक्टूबर 2018, छह अप्रैल 2019 और दो अक्टूबर 2019 को देश भर की जेलों से रिहा किया जाएगा। रिहा किए जाने वाले ऐसे कैदियों में कुछ अन्य वर्गो के कैदी भी शामिल होंगे। केंद्र सरकार राज्यों को क्षमा के पात्र सभी कैदियों पर दिशानिर्देश भेज चुकी है। राज्यों से 15 अगस्त तक सूची तैयार करने को कहा गया है ताकि दो अक्टूबर को पहला बैच रिहा किया जा सके।
कौन हो सकते हैं रिहा
-ऐसे कैदी जिनका व्यवहार लगातार अच्छा बना रहा, वे विशेष क्षमा के लिए पात्र होंगे।
-55 वर्ष या इससे अधिक उम्र की महिला कैदी जो अपनी अर्जित आम क्षमा अवधि की गणना किए बगैर वास्तविक सजा का आधा हिस्सा काट चुकी हैं।
-55 या उससे अधिक उम्र के ट्रांसजेंडर जो अपनी अर्जित आम क्षमा अवधि की गणना किए बगैर वास्तविक सजा का आधा हिस्सा काट चुके हैं।
-60 या इससे अधिक उम्र के पुरुष कैदी जो अपनी अर्जित आम क्षमा अवधि की गणना किए बगैर वास्तविक सजा का आधा हिस्सा काट चुके हैं।
-मेडिकल बोर्ड से प्रमाणित 70 फीसद या इससे अधिक शारीरिक रूप से अक्षम कैदी जो वास्तविक सजा अवधि का आधा हिस्सा काट चुके हैं।
-मेडिकल बोर्ड से प्रमाणित मरणासन्न बीमार कैदी के अलावा ऐसे कैदी जिन्होंने दो तिहाई (66 फीसद) वास्तविक सजा काट ली है।
ऐसे कैदी नहीं होंगे रिहा
मृत्युदंड पाए या जिनकी फांसी की सजा उम्रकैद में बदल दी गई है। ऐसे अपराध जिसमें मृत्युदंड की सजा भी दी जा सकती है उसमें दोषी ठहराए गए और जिस अपराध के लिए उम्रकैद की सजा भी दी जा सकती है उसके दोषी को भी क्षमादान नहीं दिया जाएगा।
-आतंकवादी गतिविधि या टाडा 1985, पोटा 2002, गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 1908, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1982, सरकारी गोपनीयता अधिनियम 1923, हाईजैकिंग विरोधी अधिनियम 2016 व अन्य कई कठोर कानूनों के तहत सजा भोग रहे कैदियों को भी रिहा नहीं किया जाएगा।