सरकार और रिजर्व बैंक का निर्देश, हर छह माह पर बैंकों का हो साइबर सिक्योरिटी ऑडिट
बैंकों को कहा गया है कि अगर कोई साइबर सुरक्षा घटना घटित हो तो उस घटना का पता चलने के दो से छह घंटे के भीतर इसकी सूचना आरबीआइ को दी जाए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं के मद्देनजर सरकार और रिजर्व बैंक ने बैंकों को साइबर सुरक्षा चाक-चौबंद करने का निर्देश दिया है। इस संबंध में बैंकों को हर छह महीने पर साइबर सिक्योरिटी ऑडिट कराने को कहा गया है। साथ ही बैंकों को पासवर्ड पॉलिसी को भी सख्ती से लागू करने का निर्देश दिया गया है।
सूत्रों ने कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में हाल में सरकारी बैंकों के प्रमुखों की बैठक में बैंकों के कामकाज और प्रदर्शन का जायजा लेने के साथ-साथ साइबर सुरक्षा के संबंध में बैंकों में मौजूदा इंतजाम की समीक्षा भी की गयी।
बैंकों को स्पष्ट कहा गया है कि वे हर छह माह पर साइबर सिक्योरिटी ऑडिट कराएं। ऑडिट की जो भी सिफारिशें हों, उनका पूरी तरह कार्यान्वयन कर के अनुपालन रिपोर्ट तैयार की जाए। बैंकों को यह भी कहा गया है कि अगर कोई साइबर सुरक्षा घटना घटित हो जाए तो उस घटना का पता चलने के दो से छह घंटे के भीतर ही इसकी सूचना आरबीआइ को दे दी जाए।
सूत्रों ने कहा कि रिजर्व बैंक ने दो जून 2016 को बैंकों में साइबर सुक्षा फ्रेमवर्क तैयार कर एक सर्कुलर भेजा था। इस बैठक में यह भी चर्चा हुई कि किस कितने बैंकों ने इस फ्रेमवर्क के अनुरूप व्यवस्था बनायी है।
सूत्रों ने कहा कि बैठक में बैंकों को पासवर्ड पॉलिसी को भी सख्ती से पालन करने का निर्देश दिया गया ताकि साइबर सुरक्षा में किसी भी तरह चूक न हो। इस नीतियों के तहत पासवर्ड की संरचना और गोपनीयता पर विशेष जोर दिया जाता है। बैंकों को कंप्यूटर से अवांछित सॉफ्टवेयर को अनइंस्टॉल करने यानी हटाने का निर्देश भी दिया गया।
इसके अलावा बैंकों को चीफ इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी ऑफिसर (सीआइएसओ) को मजबूत करने का निर्देश दिया गया है। बैंकों को साफ कहा गया है कि इस पद पर तकनीकी जानकारी देने वालों को ही तैनात किया जाए। साथ ही सीआइएसओ एक निश्चित समयावधि के बाद बैंक बोर्ड को साइबर सुरक्षा की स्थिति का ब्यौरा भी देगा।