संसदीय समिति ने कहा, विश्व को पाक के भीतर हवाई हमले के कारण बताएं
संसदीय समिति ने शुक्रवार को सरकार से पूछा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने वह कारण बताये जिस कारण पाकिस्तान के भीतर जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी शिविर पर हवाई हमले किए गए।
नई दिल्ली, आइएएनएस/प्रेट्र। एक संसदीय समिति ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय समुदाय को समझाए कि भारत ने पाकिस्तान में घुसकर जैश-ए-मुहम्मद के ठिकानों पर हवाई हमला क्यों किया।
विदेश सचिव विजय गोखले के नेतृत्व में विदेश मंत्रालय के अफसर ने शुक्रवार को कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता वाली विदेशी मामलों की संसद की स्थायी समिति को पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सभी घटनाओं का ब्योरा दिया।
उन्होंने दोनों देशों के बीच जारी तनाव से लेकर पाकिस्तान के भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों पर आतंकी हमले करने के प्रयास की भी जानकारी दी। हालांकि इस समिति के सदस्यों में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल हैं, लेकिन वह बैठक में मौजूद नहीं थे।
सूत्रों के अनुसार गोखले के पूरी जानकारी देने के बाद समिति के एक सदस्य ने सुझाव दिया कि सरकार पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को और गहन तरीके से बताए कि उनका हमला पाकिस्तान पर नहीं बल्कि वहां स्थित आतंकी शिविरों पर था।
गोखले ने समिति को बताया कि पाकिस्तान में आतंकी शिविरों पर भारतीय वायुसेना ने किस प्रकार हमला किया। किस तरह पाकिस्तान के एफ-16 विमानों ने भारतीय वायुक्षेत्र में घुसपैठ करके भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश की। लेकिन इस हमले को विफल करने में कैसे पाकिस्तानी एफ-16 विमान मार गिराया गया और हमारा भी मिग-21 बिसन विमान धराशायी हुआ और भारतीय पायलट अभिनंदन वर्तमान पाकिस्तानी फौज के कब्जे में आ गया।
संसदीय समिति के सभी सदस्यों ने भारतीय वायुसेना की कार्रवाई की प्रशंसा की और कहा, वायुसेना ने हीरो की तरह काम किया। हालांकि समिति के एक सदस्य ने भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका और यूएई जैसे तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के बारे में भी पूछा।
इसके जवाब में गोखले ने कहा कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से कुछ नहीं कह सकते। उल्लेखनीय है कि हाल ही में ट्रंप ने कहा था कि भारत-पाक की ओर से कोई अच्छी खबर आने वाली है।
समिति के एक अन्य सदस्य ने विदेश सचिव से कहा कि सरकार को हवाई हमले के असर को उजागर करना चाहिए। जैश के कितने आतंकी मारे गए और उनको किस हद तक क्षति पहुंची यह भी बताना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि कोई अंतरराष्ट्रीय एजेंसी हमले के असर पर सवाल नहीं उठा पाएगी।