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गुलाम नबी आजाद बोले, नेहरू को दोष देना बंद हो, उनकी बदौलत ही कश्मीर भारत का अंग

गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हर बात के लिए नेहरू को दोष देना ठीक नहीं है। वह नेहरू ही थे जिनकी बदौलत आज जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Mon, 01 Jul 2019 10:50 PM (IST)Updated: Mon, 01 Jul 2019 10:50 PM (IST)
गुलाम नबी आजाद बोले, नेहरू को दोष देना बंद हो, उनकी बदौलत ही कश्मीर भारत का अंग
गुलाम नबी आजाद बोले, नेहरू को दोष देना बंद हो, उनकी बदौलत ही कश्मीर भारत का अंग

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राज्यसभा में कांग्रेस की ओर से नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर पर केंद्र सरकार की नीतियों की बखिया उधेड़ते हुए कहा कि हर बात के लिए नेहरू को दोष देना ठीक नहीं है। वह नेहरू ही थे जिनकी बदौलत आज जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है। उन्होंने राज्य में जल्द विधानसभा चुनाव कराने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि राष्ट्रपति शासन लगाकर केंद्र ने राज्य के लोगों का भरोसा तोड़ा है।

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जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के प्रस्ताव व आरक्षण संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान आजाद ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू, शेख अब्दुल्ला, महमूद शेरवानी, ब्रिगेडियर उस्मान, कर्नल रंजीत राय के त्वरित प्रयासों और दृढ़ इरादों के परिणामस्वरूप ही महाराजा हरि सिंह जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय कर सके थे। वरना विधायक इब्राहिम जैसे राज्य के कुछ नेताओं ने पाकिस्तान के साथ जाने की तैयारी कर ली थी। विश्व युद्ध से लौटे हजारों सैनिकों ने विद्रोह कर दिया था।

पाकिस्तानी फौज और कबायलियों ने लगभग पूरे कश्मीर पर कब्जा कर लिया था। राजौरी, हवेली पुंछ, नौशेरा, कोटली, मेडक, बाग, बारामूला सब पाकिस्तान के हाथ में जा चुके थे। नेहरू ने दिल्ली से छोटे-छोटे जहाजों के जरिये फौज भेजी और कर्नल रंजीत व ब्रिगेडियर उस्मान जैसे जांबाजों ने महीनों तक लड़ाई लड़कर पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ा।

नेशनल कांफ्रेंस की सराहना करते हुए आजाद ने कहा कि उनके साथ हमारे मतभेद हो सकते हैं, लेकिन कश्मीर के भारत में विलय में उसने जो भूमिका निभाई उसे भुलाया नहीं जा सकता। शेख अब्दुल्ला ने 10 हजार स्थानीय लड़ाकों को इकट्ठा कर घुसपैठियों से लोहा लिया था। 20 साल के युवक मकबूल शेरवानी के बलिदान को कोई याद नहीं करता जिसने पाकिस्तानी फौज को तब तक गलत रास्ते पर भटकाए रखा जब तक भारतीय फौज दिल्ली से श्रीनगर पहंुच नहीं गई। जब पाक फौज को उसकी चतुराई का पता चला तो उसने उसे 14 गोलियां मारीं और सबको दिखाने के लिए लाश को दो पेड़ों के बीच लटका दिया। शेख अब्दुल्ला ने एक नहीं, कई बार यह कहा कि कश्मीर भारत का हिस्सा था, है और रहेगा।

आजाद ने सरकार की आतंकवाद के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति पर भी सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि यदि आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त न करने की नीति है तो फिर पांच वर्षो में सबसे ज्यादा फौजी और नागरिक क्यों मारे गए, 16 आतंकी हमलों के अलावा सबसे ज्यादा आतंकियों की भर्ती क्यों हुई। आप पीडीपी के साथ तीन साल रहे, एक साल अकेले रहे। लेकिन कश्मीरियों में भरोसा पैदा करने वाले कदम नहीं उठाए। पहले हफ्ते में दो दिन हाईवे बंद किया और अब अमरनाथ यात्रा के 40 दिनों तक 10 से तीन बजे तक स्थानीय यातायात पर रोक लगा दी है। आजाद ने कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक का समर्थन किया, लेकिन इसे तीन के बजाय छह फीसद करने का सुझाव दिया।

इससे पहले कांग्रेस के विप्लव ठाकुर ने बहस की शुरुआत करते हुए सरकार पर जम्मू-कश्मीर को बांटने के प्रयास का आरोप लगाया। तृणमूल कांग्रेस के डेरेक-ओ ब्रायन ने कहा कि जब प्रधानमंत्री एक देश, एक चुनाव की बात करते हैं तो राज्य में लोकसभा चुनावों के साथ विधानसभा चुनाव क्यों नहीं कराए गए। उन्होंने केंद्र पर बार-बार अध्यादेश का रास्ता अपनाने का आरोप भी लगाया। अन्नाद्रमुक सदस्य एसआर बालासुब्रमण्यम का कहना था कि विधानसभा चुनाव तक राष्ट्रपति शासन जरूरी है, लेकिन यह चुनाव लोकसभा चुनावों के साथ क्यों नहीं कराए गए। सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि भाजपा ने पीडीपी के साथ सरकार बनाकर गलती की। भाकपा सदस्य डी. राजा और माकपा सदस्य केके रागेश ने भी राष्ट्रपति शासन बढ़ाने पर सवाल उठाया।

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