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सर्वदलीय बैठक के बाद गुलाम नबी आजाद ने चिदंबरम और फारुक अब्दुल्ला के लिए की ये मांग

कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने फारुक अब्दुल्ला और पी चिदंबरम को शीत कालीन सत्र में शामिल करने की अनुमति देनें की मांग की है।

By Ayushi TyagiEdited By: Published: Sun, 17 Nov 2019 03:30 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 03:30 PM (IST)
सर्वदलीय बैठक के बाद गुलाम नबी आजाद ने चिदंबरम और फारुक अब्दुल्ला के लिए की ये मांग
सर्वदलीय बैठक के बाद गुलाम नबी आजाद ने चिदंबरम और फारुक अब्दुल्ला के लिए की ये मांग

नई दिल्ली, एएनआइ। संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार (17 नवंबर) से शुरू हो रहा है। सत्र से ठीक पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबीं आजाद ने मांग की हैं कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूख अब्दुल्ला और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम को शीतकालीन सत्र में शामिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए।   

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फारूक अब्दुल्ला और पी चिदंबरम को मिले अनुमति

आजाद ने कहा कि फारूक अब्दुल्ला साहब को शीतकालीन सत्र में आने की अनुमति देनी चाहिए। साथ ही उन्होंने  कहा कि अतीत की मिसाले ऐसी हैं कि सांसदों को संसद के सत्रों में शामिल होने की अनुमति दी गई है। भले ही उनके मामलों की सुनवाई की जा रही हो। इसलिए, पी चिदंबरम को भी शीतकालीन सत्र में भाग लेने की अनुमति दी जानी चाहिए।             

18 से 13 दिसंबर तक चलेगा शीतकालीन सत्र

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 18 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने वाला है। 17वीं लोकसभा का ये पहले शीतकालीन सत्र है। ये सत्र 18 नवंबर से 13 दिसंबर तक चलेगा। सत्र से पहले विभिन्न मुद्दों पर विचार विमर्श करने के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने विभिन्न दलों के नेताओं की सर्वदलीय बैठक की थी। बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित बाकी पार्टियों के सांसद शामिल रहें। इसमें AIMIM के अध्यक्ष असुद्दीन ओवैसी भी हिस्सा लेने पहुंचे छे। शिवसेना की ओर से विनायक राउत बैठक में शामिल होने के लिए पहुंचे थे।              

टीएससी सांसद बंदोपाध्याय ने बैठक के बाद कहा कि पश्चिम बंगाल में राज्यपाल प्रशासन चला रहे हैं। जबकि उन्हें ऐसा करने की अनुमति नहीं होनी चाहिए। सरकार को बिना बताए राज्यपाल रोज अधिकारियों का ट्रांसफर एक जिले से दूसरे जिले में कर रहे हैं। सरकार इस शीतकालीन सत्र में नागरिक संशोधन विधेयक पास कराने की कोशिश करेगी। वहीं विपक्ष इसके विरोध में है। विपक्ष का आरोप है कि धार्मिक आधार पर सरकार ये विधेयक ला रही है। पिछली लोकसभा के भंग होने के बाद ये विधेयक निष्प्रभावी हो गया था।          


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