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RIP George Fernandes: 88 वर्ष की उम्र में निधन, PM मोदी सहित नेताओं ने ऐसे किया याद

पूर्व रक्षा मंत्री George Fernandes का मंगलवार सुबह निधन हो गया। वह 88 साल के थे। 1967 से 2004 तक जॉर्ज फर्नांडिस 9 लोकसभा चुनाव जीते।

By Digpal SinghEdited By: Published: Tue, 29 Jan 2019 09:10 AM (IST)Updated: Tue, 29 Jan 2019 11:03 AM (IST)
RIP George Fernandes: 88 वर्ष की उम्र में निधन, PM मोदी सहित नेताओं ने ऐसे किया याद
RIP George Fernandes: 88 वर्ष की उम्र में निधन, PM मोदी सहित नेताओं ने ऐसे किया याद

नई दिल्ली, एजेंसी। पूर्व केंद्रीय मंत्री George Fernandes का मंगलवार सुबह निधन हो गया। वह 88 साल के थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में वह रक्षा मंत्री थे। बताया जा रहा है कि स्वाइन फ्लू के कारण उनकी जान गई है। 1967 से 2004 तक जॉर्ज फर्नांडिस 9 लोकसभा चुनाव जीते। 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पूर्व रक्षा मंत्री के निधन पर शोक व्यक्त किया है। पीएम ने अपने ट्वीट संदेश में लिखा कि जॉर्ड साहब ने देश के लिए उल्लेखनीय योगदान दिया। वह गरीबों और अंतिम छोर पर बैठे व्यक्तियों के हक की आवाज को दमदार तरीके से उठाने वालों में से थे।

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने जॉर्ज फर्नांडिस को श्रद्धांजलि दी है। राजनाथ ने भी पूर्व रक्षामंत्री के ट्रेड यूनियन लीडर की भूमिका का जिक्र किया है।

George Fernandes लंबे वक्त से अस्वस्थ थे। वह अल्जाइमर से पीड़ित थे। पहली गैर कांग्रेसी सरकार यानि जनता पार्टी की सरकार में वे उद्योग मंत्री थे। इसी दौरान उन्होंने अमेरिकी कंपनियों आईबीएम और कोका कोला को देश छोड़ने के लिए कहा दिया। वह जनता दल के एक प्रमुख सदस्य थे और बाद में समता पार्टी के फाउंडर भी रहे। 

George Fernandes विपक्ष के पहले नेता थे जिन्होंने भाजपा को मान्यता दी थी। 3 जून 1930 को जन्में जॉर्ज फर्नांडिस 2 दिसंबर 1989 से 10 नवंबर 1990 तक देश के रेल मंत्री रहे। 19 मार्च 1998 से 16 मार्च 2001 और 21 अक्टूबर 2001 से 22 मई 2004 तक उन्होंने देश के रक्षा मंत्री की कमान संभाली।

बिहार के मुख्यमंत्री और जॉर्ज फर्नांडिस के पूर्व सहयोगी नीतीश कुमार ने भी उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। नीतीश ने भी एक ट्रेड यूनियन नेता के तौर पर जॉर्ज को याद किया है।

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी जॉर्ज फर्नांडिस के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा - जॉर्ज ने अपना जीवन देश को समर्पित किया। उन्होंने ट्रेड यूनियनों के लिए न्याय की लड़ाई लड़ी।

वह मंगलौर के मूल निवासी थे और 1946 में पादरी बनने की ट्रेनिंग के लिए वह बेंगलौर आ गए। साल 1949 में वह बॉम्बे आ गए और यहां वह सोशलिस्ट ट्रेड यूनियन मूवमेंट से जुड़ गए। ट्रेड यूनियन लीडर बनने के बाद उन्होंने 1950 और 1960 के दशक में भारतीय रेलवे के साथ काम करने के दौरान बॉम्बे में कई प्रदर्शन और हड़ताल कीं। 

1974 में जब वह ऑल इंडिया रेलवेमेन फेडरेशन के प्रेसिडेंट थे उस वक्त उन्होंने रेलवे में सबसे बड़ी हड़ताल की थी। 1975 में आपातकाल के दौरान वह अंडरग्राउंड हो गए थे। आपातकाल के दौरान वह सिखों की वेशभूषा में घूमते थे और गिरफ्तारी से बचने के लिए खुद को लेखक खुशवंत सिंह बताते थे। साल 1976 में पकड़े जाने पर उन्हें जेल में डाल दिया गया।

देश की सबसे खूबसूरत रेल लाइनों में से एक कोंकण रेलवे के पीछे भी जॉर्ज फर्नांडिस का ही हाथ रहा। 1989-90 में जब वह रेल मंत्री थे। इस प्रोजेक्ट की सफलता के पीछे जॉर्ज फर्नांडिस को ही माना जाता है। पोखरण में हुए दूसरे परमाणु परीक्षण के वक्त और 1999 में कारगिल युद्ध के वक्त जॉर्ज देश के रक्षा मंत्री थे। 


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