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अंतरिम बजट में वित्तीय संस्थानों को उबारने की भावी रणनीति होगी पेश

इस बार वित्त मंत्री अरुण जेटली देश के वित्तीय संस्थानों को मजबूत करने का अपना भावी एजेंडा भी बजट में पेश करेंगे।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 23 Jan 2019 10:20 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jan 2019 10:20 PM (IST)
अंतरिम बजट में वित्तीय संस्थानों को उबारने की भावी रणनीति होगी पेश
अंतरिम बजट में वित्तीय संस्थानों को उबारने की भावी रणनीति होगी पेश

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकार यह मंशा पहले से ही साफ कर चुकी है कि इस बार के अंतरिम बजट में वह कुछ अहम घोषणा करने जा रही है। वित्त मंत्रालय के भीतर जो गतिविधियां चल रही है उससे इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि इस बार वित्त मंत्री अरुण जेटली देश के वित्तीय संस्थानों को मजबूत करने का अपना भावी एजेंडा भी बजट में पेश करेंगे।

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खास तौर पर सरकारी क्षेत्र के बैंकों को मजबूत बनाने और उन्हें अतिरिक्त संसाधन जुटाने की अपनी मंशा व योजना भी वह बताएंगे। साथ ही संक्षिप्त में वित्त मंत्री यह भी बताएंगे कि किस तरह से राजग सरकार के कार्यकाल में देश के वित्तीय संस्थानों पर छाये संकट को काफी हद तक दूर कर दिया गया है। इस संबंध में वह राजग सरकार की तरफ से तैयार नए दिवालिया कानून और इसकी सफलता का भी पूरा बखान करेंगे।

वित्त मंत्री यह भी बताएंगे कि किस तरह से राजग सरकार ने पिछले तीन वित्त वर्षों में सरकारी क्षेत्र के वित्तीय संस्थानों को मजबूत किया है और आगे किस तरह से सरकारी बैंकों को विश्वस्तरीय बनाने की तैयारी है। सरकारी बैंकों के पूंजी आधार को मजबूत करने के लिए तकरीबन 2.57 लाख करोड़ रुपये की मदद उपलब्ध कराई है। इससे ये बैंक तकरीबन 20 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज बांटने में सफल रहे है। सरकार का आकलन है कि अगले तीन वर्षों तक देश की आर्थिक विकास दर को 8 फीसद या इससे ज्यादा रखने के लिए सरकारी क्षेत्र की तरफ से वितरित होने वाले कर्जे की सालाना रफ्तार में कम से कम 10 फीसद की वृद्धि होनी चाहिए। इसके लिए इन बैंकों को सरकार से और ज्यादा वित्तीय मदद की दरकार होगी।

ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि वित्त मंत्री की तरफ से आने वाले समय में सरकारी बैंकों को दी जाने वाली राशि का ऐलान किया जाता है या नहीं। हाल ही में एक निजी एजेंसी ने अनुमान लगाया था कि सरकारी बैंकों को अगले वित्त वर्ष के दौरान सरकार से 1.2 लाख करोड़ रुपये की जरुरत होगी।

बैंकिंग क्षेत्र में दो अहम योजनाओं जन-धन और मुद्रा को लेकर भी कई तरह के विमर्श सरकार के भीतर हो रही है। इस बारे में बैंकों से भी सुझाव मांगे गये हैं कि किस तरह से इन दोनो योजनाओं को और व्यापक किया जा सकता है। अंतरिम बजट से चार दिन पहले वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की एक अहम बैठक बैंक प्रमुखों के साथ है। इसमें उक्त दोनो विषयों पर चर्चा होगी। 


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